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उत्कर्षनी वशिष्ठ, दित्या को सुला कर लिखने बैठती है। गीता उसे उठा देती है और पता नहीं क्या-क्या गाती है!! अगर उन लोगों की आहट से दित्या कच्ची नींद से उड़ जाए तो खूब रोती है। अब बहन जगाती है तो एंजॉय करती है।
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