जब मैं लॉस एंजेलिस पहुंची थी तो 4:00 बजे शाम हो चुकी थी और 4:30 बजे अंधेरा हो गया। 17 दिसंबर को सिर्फ एक ही जैकेट में घूम रही थी। 2 महीने पहले जब मैं यहां से लौटी थी तो 8:00 बजे रात रोशनी रहती थी। राजीव जी बोले, "दित्त्या को सरप्राइज देते हैं, पहले उसे स्कूल से लेने जाते हैं।" इतने में उत्कर्षनी का फोन आ गया कि मम्मी को ले लिया है? हाँ सुनते ही उत्कर्षनी ने और गीता ने बात की। गीता स्विमिंग क्लास में जाने के लिए आना कानी करने लगी। फिर मेरे समझाने पर जाने को राजी हो गई। दित्या स्कूल में मुझे देखते ही बहुत खुश हुई। उसमें बहुत बदलाव आ गया। प्ले से, नर्सरी किंडर गार्डन में चली गई। अब बात इंग्लिश में ही करती है। हिंदी समझती है, थोड़ा बोलती भी है पहले की तरह नहीं कि मुझसे तो हिंदी में ही बात करनी है। बस उसमें एक बात नहीं बदली, नमस्ते वह दोनों हाथ जोड़कर ही करती है। अगर उसके हाथ में कोई सामान भी हो तो उसको रखेगी, पर नमस्ते हाथ जोड़कर ही करेगी। उसके पूरे स्कूल में दो ही भारतीय बच्चे हैं। थोड़ी बहुत स्पेनिश भी बोल लेती है। हम घर पहुंचे कुछ देर बाद उत्कर्षनी गीता भी आ गए। गीता के मेरे गले लगते ही, दित्या नाराज होकर दूर बैठ गई क्योंकि नानी सिर्फ उसकी है।
रात को उत्कर्षनी ने बताया कि 18 से बच्चों की क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियां हो रही हैं। वह लोग ऑन रोड घूमने के लिए निकल रहे हैं। वह लगातार लेखन में व्यस्त है क्योंकि वह कमिटमेंट की पक्की है । तब तक वह भी अपना लेखन पूरा कर लेगी। हम बच्चों के साथ ब्रेक ले रहे हैं। राजीव जी साथ-साथ यात्रा की तैयारी में व्यस्त हैं। क्रमशः


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