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Monday, 23 May 2022

काठमांडु से जनकपुर धाम के रास्ते की खूबसूरती नेपाल यात्रा भाग 37 नीलम भागी Nepal Yatra Part 37 Neelam Bhagi


 

  बस काठमांडु से परिचय करवाती हुई होटल की ओर चल रही है। जिसमें बहुत ही मधुर धुन के नेपाली गाने बज रहें हैं। होटल पहुंचते ही लंच किया। हमें कल सुबह 5 बजे  जनकपुर के लिए निकलना हैं। अब अपने मन से घूमों, शॉपिंग करों। प्राचीन मंदिरों का शहर काठमांडु कला और संस्कृति का केन्द्र है। समुद्र तल से 1300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस शहर में खूबसूरती और शांति का अनूठा संगम है। यह शहर नेपाली हिमालय का प्रवेश द्वार है। विशिष्ट शैली में बने घर और यहां के प्राचीन बाजारों की रौनक भी देखते बनती है। चहल पहल वाला दरबार स्क्वायर (बगीचे वाला शाही परिसर) , रानी पोखरी, र्गाडन ऑफ ड्रीम(स्वप्न बगीचा, हरे भरे बगीचे के साथ पवेलियन और फ़व्वारे) 1920 में बना है। थामेल मार्किट, नेपाल ट्रैक एडवेंचर(हाइकिंग), नारायणहिटी दरबार संग्राहलय(पुराना शाही महल और नरसंहार की जगह), हनुमान ढोका( पुराने महल में ऐतिहासिक कलाकृतियां), खान पान और कपड़ों का चहल पहल भरा बाजार असन बाजार, हिंुदु और बौद्ध धर्म से संबंधित मूर्तियां पाटन दरबार, चबूतरे पर बना 16वीं सदी का पूजा स्थल तलेजु भवानी मंदिर, आकाश भैरव मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, राष्ट्रीय संग्राहलय, धरहरा जिसे भीमसेन स्तम्भ भी कहा जाता है।, एवरेस्ट पर्वत की उड़ान अग्रिम बुकिंग करा कर एवरेस्ट और हिमालय पर्वतमाला के हवाई दृश्य का आनन्द ले सकते हैं। बेहद थकने के बाद डिनर करके मैं रुम आती हूं। मैम का टेप अब बंद रहता है। वे मोबाइल में लगीं हुईं हैं। मैं सो गई। सुबह मेरे उठने से पहले वह चैकआउट कर गईं थीं। मैं भी तैयार होकर चल दी दूसरे होटल, वहां से जाना है। काठमांडु सो रहा है। जहां ब्रेकफास्ट बन रहा है, मैं वहां बैठ गई। आलू के परांठे बन रहे थे साथ में पैकिंग भी चल रही थी कि रास्ते में खाए जायेंगे। हलवाइयों के साथ फाइव स्टार सोशल वर्कर की सखि भी बनाने में मदद कर रही थीं। मेरे आने से पहले से वह बेल रही थी और मेरे सामने भी बड़ी फुर्ती से एक घण्टे तक वह बेलती रही, उनका नाम बड़ा यूनिक सा है मुझे याद ही नहीं आ रहा है। चाय बिस्किट खाकर मैं बस की ओर चल दी। काठमांडु भी जाग रहा था। हरी सब्ज़ियां, फल सज गए हैं। बाकि दुकाने खुल रहीं हैं।








राजू जू0 ने बस में गणपति, प्रार्थना चक्र, पगोड़ा शैली में बने मंदिर और भी धार्मिक चिन्ह हैं को धूप दिखाई। जयंती और अधीर जी ने भी बस में लड्डु गोपाल को भोग लगाया। हमारी गाड़ियां सात बजे चलीं। चलती बस में जयंती जी सबको प्रशाद दे रहीं हैं, मजा़ल है कोई प्रशाद के बिना रह जाए! जनकपुर यहां से 247.3 किमी. दूर है। जहां हमें मारवाड़ी धर्मशाला में ठहरना है। वहां पहुंचने में 7 घण्टे से अधिक समय लगता है। रास्ता बेहद खूबसूरत है। सड़कें भी बहुत अच्छी बनी हुई हैं। उनके वीडियो के लिंक लगाए हैं। https://youtu.be/5ww6JuXuTLs

   https://youtu.be/HyKxjmg-OKY 

मेरे दाएं ओर दूर से शीशे चमक रहें हैं। यह सेती देवी का मंदिर है। जहां मन्नत पूरी होने पर सीसा चिपकाते हैं। एक चेक पोस्ट पर कुछ देर गाड़ी रुकी। एक सज्जन लघुशंका के लिए किसी झाड़ के पास अभी खड़े ही हुए थे कि तुरंत उन्हें जू0 राजू रोकने गया कि यहां पर जुर्माना है। गाड़ी शौचालय पर रोकी जायेगी। पब्लिक प्लेस पर कोई फा़रिग नहीं हो सकता है। इतना लंबा रास्ता तो अपने समय पर ही मंजिल पर पहुंचा पर प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण लगा जल्दी बीत गया है। क्रमशः