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Thursday, 2 June 2022

योग और संगीत दोनों तनाव दूर करते हैं!! उत्सव मंथन नीलम भागी Yoga & Music Both Relief Stress Neelam Bhagi

 


   हमारे देश में साल का छठा सबसे गर्म महीना जून है। देश विदेश के विशेष दिनों और भारत में उत्सवों और महापुरुषों के कारण जून बहुत मुख्य है। इन सभी उत्सवों, व्रत और विशेष दिनों को मनाते हुए, हमें प्रयास करना चाहिए कि सामाजिक चेतना भी आए। 

विश्व दुग्ध दिवस 1जून, इस दिन को मनाने का मकसद डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता लाना, आजीविका है। कुपोषण से बचना है इसलिए भोजन में डायरी प्रोडक्ट दूध आदि को शामिल करना है। 

  सिख समुदाय में गुरु परंपरा के पाँचवें गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस 3 जून को उनकी शहादत को याद करने के लिए मनाते हैं। गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के पहले शहीद हैं। इन्होंने धर्म के लिए अपनी शहादत दी। इनके शहीदी दिवस पर जगह जगह ठंडे र्शबत की छबीलें लगाई जाती हैं। गुरु जी ने सिखों को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक और सामाजिक कार्यों में लगाने के लिए प्रेरित किया। 

  3 जून को विश्व साइकिल दिवस है। जिसका उद्देश्य शारीरिक स्वास्थ्य, पर्यावरण बेहतर करने के लिए समाज के सभी वर्गो में इकोफ्रैंडली साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देना है।  हमें साइकिल चलानी है। आस पास के काम के लिए साइकिल का उपयोग करना है न कि साइकिल के फायदों पर भाषणबाजी करनी है।   


 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास पर बल दिया जाता है। साथ ही बच्चों को पेड़ लगाने और  पर्यावरण को बचाने में आगे आने की अपील की जाती है।

पौधों में जीवन होता है। हमारे बुजुर्ग बिना विज्ञान पढ़े रात को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ते थे। तुलसी का विवाह करते थे। अब भी यह परम्परा चली आ रही है। लेकिन “विश्व भौतिक विकास की ओर तो तेजी से बढ़ रहा है, मगर प्रकृति से उतना ही दूर हो रहा है। पानी दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। जल संरक्षण करना है। पर्यावरण सुधार के लिए खूब पेड़ लगाए जाएं। राजस्थान में इंदिरा कैनाल बनने के बाद उसके आसपास खूब पेड़ लगाये गये। अब उस इलाके में बारिश होती है।

   अब 5 जून को पर्यावरण दिवस मनायेंगे। लेकिन इकोफैंडली साइकिल नहीं चलायेंगे। न ही पेड़ पौधों की देखभाल करेंगे। हमें पर्यावरण में सुधार करना होगा जिससे हम स्वस्थ रहेंगे और अपने उत्सवों का आनन्द उठायेंगे।

   विश्व खाद्य सुरक्षा- हमारे धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में 20ः भोजन फेंका जाता है। कुछ लोग जूठा छोड़ना शान समझते हैं। बड़े मॉल और स्टोर में खाद्य पदार्थ, फल सब्ज़ियां डम्प में फैंके जाते हैं। चूहों द्वारा नष्ट किए जाते हैं। ऐसा न हो इसके लिए 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है।


   जून के पहले सप्ताह में शिमला समर फैस्टिवल मनाया जाता है। इस प्रसिद्ध त्यौहार में खेलकूद की गतिविधियां, फैशनेबल कपड़ों, हैंिडक्राफ्ट वस्तुओं और व्यंजनों, फूलों की, कुत्तों की प्रदर्शनी लगती है। हवा में कलाबाजियां और लाइव फैशन शो का प्रदर्शन होता है।

   8 जून को महासागर का महत्व बताने के लिए विश्व महासागर दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2009 में की गई।    

   ग्ंागा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। दशहरा का अर्थ 10 मनोविकारों के विनाश से है। क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन गंगा जी में स्नान करना अपना सौभाग्य समझा जाता हैं। जहां पर जो भी नदी होती है श्रद्धालू उसकी पूजा अर्चना कर लेते हैं क्योंकि नदियां हमारी संस्कृति की पोषक हैं। कुछ दिन पहले जनकपुर धाम नेपाल गई तो वहां पर गंगा सागर झील पर शाम को गंगा जी की आरती में भाग लेना अपना सौभाग्य लगा। गंगा जी कितनी हमारे मन में समाईं हैं!! जो दर्शनार्थियों का भाव हरिद्वार, ऋषिकेश में गंगा जी की आरती के समय, वहां होने से समां बंधता है। वैसा ही श्रद्धालुओं के भाव से यहां लग रहा था। 9 जून को गंगा जी में स्नान करके गंगा जी के मंदिर में पूजा और दान करते हैं। 10 दिनों तक मनाये जाने वाले इस उत्सव के समापन के दिन को शुक्ल दशमी कहा जाता है। 

    हिंदू धर्म में 24 एकादशियों का बहुत महत्व है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इसकी कथा में हिंदू धर्म की बहुत बड़ी विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता है, सबके योग्य नियमों की लचीली व्यवस्था भी करता है। महर्षि वेदव्यास ने पाडंवों को एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो भीम ने कहा,’’पितामह इसमें  प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। पर मैं तो एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता। मेरे पेट में ’वृक’ नाम की जो अग्नि है उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाऊंगा?’’ यह सुनते ही महर्षि ने भीम का मनोबल बढ़ाते हुए कहा,’’आप ज्येष्ठ मास की निर्जला नाम की एकादशी का व्रत करो। तुम्हें वर्ष भर की एकादशियों का फल मिलेगा।’’ इस एकादशी पर ठंडे र्शबत की जगह जगह छबीलें लगाई जातीं हैं। जिसे पीकर भीषण गर्मी में राहगीरों को बड़ी राहत मिलती है। स्वयं निर्जल रह कर जरुरतमंद या ब्राह्मणों को दान दिया जाता है।

    पानी हाटी में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल की त्रयोदशी को दही चूड़ा का विशेष भोज होता है। जो 15 जून को है। इस वर्ष यह महोत्सव 12 से 16 जून तक चलेगा। 15 जून को ’दंड महोत्सव’ का विशेष विधान है। जो ’दही चूड़ा महोत्सव’ कहलाता है। इसमें अन्य संप्रदाय के अनुयायी भी शामिल होते हैं। 16 को संकीर्तन के कार्यक्रम के साथ इस महोत्सव का समापन होगा। बैंगलोर एस्कोन में भी इस उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालू भाग लेते हैं।

 हर वर्ष जून पूर्णिमा के दिन जम्मू और कश्मीर के लेह में सिंधु दर्शन महोत्सव का तीन दिन 12 ये 14 जून तक आयोजन किया है। जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटक आते हैं। सिंधु दर्शन समारोह के आयोजन का मुख्य कारण सिंधु नदी को भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के प्रतीक के रुप में समर्थन करना है। सिंधु दर्शन लेह के मुख्य शहर से 8 किमी. दूर स्थित शीला मनला में मनाया जाता है। यहां लगभग 50 वरिष्ठ लामा प्रार्थनाओं को अनुष्ठान के रुप में करते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी प्रस्तुत की जाती है।

  सागा दावा सिक्किम के सबसे बड़े त्यौहार में से एक है। यह धार्मिक त्यौहार सिक्किम की संस्कृति को प्रस्तुत करता है। महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान और निर्वाण की प्राप्ति को दर्शाता यह पर्व है। माना जाता है कि इस दिन बुद्ध का जन्म हुआ था, उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और निर्वाण प्राप्त किया था। उनके इस सफ़र को दर्शाता यह उत्सव है। सागा दावा तिब्बत का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। 14 जून को इस उत्सव के दर्शक बनने के लिए टूर पैकेज़ भी तैयार किए जाते हैं। 

  15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध समाज सुधारक, कवि, संत का जन्म ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को हुआ था। जिसे कबीर प्रकाश दिवस के रुप में मनाया जाता है। कबीर अंधविश्वास और अंधश्रद्धा के प्रथम विद्रोही संत हैं। जगह जगह होने वाले कार्यक्रमों में इनके दोहे गाए जाते हैं।        

      ओचिरा कलि मंदिर से जुड़ा केरल का एक वार्षिक उत्सव है। जो पुराने समय में हुई एक लड़ाई की याद में लोग मनाते हैं। जिसमें दो समूह कायाकुलम और अलाप्पुझा के बीच लड़ाई हुई थी। मलयालम में कलि का अर्थ खेल होता है। ओचिरा कलि में पुरुष और लड़के पानी से भरे धान के खेत में नकली लडा़ई करते हैं। संगीत मय यह लड़ाई प्रतिभागियों के शारीरिक कौशल का प्रदर्शन है। 15, 16 जून को इसका आनन्द उठाने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। यहां कि अनोखी रस्म है बैलों की पूजा क्योंकि शिव का वाहन नंदी बैल है। 

  

  ओडिशा में राजा संक्रांति समारोह मानसून के शुरुआत का तीन दिवसीय उत्सव है। इसे’ स्विंग फेस्टिवल’ भी कहते हैं, जगह जगह पेड़ों पर झूले जो पड़ जाते हैं। त्यौहार के दौरान लोग पथ्वी पर नंगे पांव भी नहीं चलते। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मानसून की बारिश से पहले पृथ्वी को आराम दिया जाना चाहिए। महिलाएं घर के काम से छुट्टी लेतीं हैं और किसान खेती से। सब खेलों में व्यस्त रहते हैं। लड़कियां पारंपरिक पोशाक पहनतीं हैं और पैरों में आलता लगातीं हैं। दूसरे दिन को ’’सजबजा’’ कहते हैं। इसमें सिलबट्टे को सजा कर रखते हैं। हिंदू देवी धरती के प्रतीक सिल को हल्दी का लेप लगा कर महिलाओं द्वारा स्नान कराया जाता है। धरती मां को फलों का भोग लगाया जाता है। बारिश का स्वागत करने के लिए सब एक साथ आते हैं। समापन 15 जून को, धरती मां के आर्शीवाद स्वरुप अच्छी पैदावार होगा।

  अर्न्तराष्ट्रीय योग दिवस भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का रिर्काड 175 सदस्य देशों द्वारा इसका समर्थन किया गया। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में घोषित किया गया। इसका उद्देश्य योगाभ्यास करने के लाभ के बारे में विश्व की जागरुकता बढ़ाना है। 

योग और संगीत दोनों तनाव दूर करते हैं। हमारे मन को शांत रखते हैं। कहते हैं संगीत हर मर्ज की दवा है। मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए म्यूजिक थैरेपी बहुत कारगार है। 

संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से विश्व में एक दिन संगीत के नाम है। 21 जून को अर्न्तराष्ट्रीय संगीत दिवस मनाया जाता है। संगीत के बिना उत्सव कैसा! स्ंागीत हमें सकून पहुंचाता है। 

  खारची पूजा के उत्सव में पूर्वोतर भारत के त्रिपुरा राज्य में 14 देवताओं की पूजा की जाती है। अगरतला में स्थित 14 देवताओं को समर्पित मंदिर में एक सप्ताह तक अनुष्ठान किया जाता है। यह भी देवताओं के साथ धरती पूजन है। इन दिनों धरती की जुताई नहीं की जाती है। 14 देवताओं की मूर्ति को सैदरा नदी में डुबकी लगाने ले जाते हैं। डुबकी लगाने के बाद अनुष्ठान करके उनको फूलों और माथे पर सिंदूर से सजा दिया जाता है। यह त्यौहार आदिवासी और गैर आदिवासी दोनों समुदायों द्वारा 22 जून को मनाया जायेगा।

    आंबुची मेला यह तीन दिन तक चलने वाला मेला गोहाटी में मनाया जाता है। तीन दिन कामाख्या मंदिर बंद रहता है। तीन दिनों बाद, चौथे दिन देवी की प्रतिमा को नहलाया जाता है और भक्त मां के दर्शन के लिए आ सकते हैं। 22 जून को यह मानसून वार्षिक मेला लगेगा।

  23 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है। यह दिन खेल और फिटनेस को समर्पित है।    

गोवा में साओ जोआओ 24 जून को मानसून आगमन के साथ ही में खास तौर पर मछुआरा समूह मनाते हैं। नाच गाना और तरह तरह के रंगारंग कार्यक्रमों द्वारा आपस में एन्जॉय करते हैं। ये फैस्टिवल यहां का खास आर्कषण है। 

    जून की भीषण गर्मी में हमारे उत्सव हमें यात्रा, संगीत, स्वास्थ और पर्यावरण का महत्व समझाते हुए हमसे मानसून का स्वागत भी करवाते हैं। यह लेख के प्रेरणा शोध संस्थान से प्रकाशित केशव संवाद पत्रिका के जून अंक में प्रकाशित हुआ है।