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Monday, 1 April 2019

आ इंतज़ार है तेरा नीलम भागी

 आ इंतज़ार है तेरा
                                                          नीलम भागी
नवजात गीता को जो भी देखने आता, वो बच्चा पालने से संबंधित अपना अनुभव जरुर शेयर करता। इसी प्रोसेस में मेरी सहेलियों ने सलाह दी कि गीता की लोई जरुर करना। इससे बड़ी होने पर इसके चेहरे आदि पर बाल नहीं होंगे, यह फेस थ्रेडिंग, वैक्सिंग आदि के झंझटों से मुक्त रहेगी। गोरी गीता की कुछ समय बाद मालिश लोई से शुरु की। एक कटोरी में आटा दूध और उसमें ऑलिव ऑयल, देसी घी, नारियल का तेल, तिल का तेल इनमें से कोई सा एक डाल कर आटा गूंधा जाता। महिलाओं का अनुभव था कि सरसों का तेल नहीं डालना, इससे गीता काली हो जायेगी। जिसका सांवले बच्चों की माँओं ने उदाहरण भी दिया कि उनका बच्चा जन्म के समय बहुत गोरा था। उन बेचारियों को पता नहीं था, उन्होंने सरसों के तेल की मालिश और लोई करवा दी, जिससे उनकी स्किन का कॉम्पलैक्शन डार्क हो गया और बच्चा काला हो गया। ख़ैर लोई करने के बाद उतरा हुआ आटा मेड ने जैसे ही डस्टबिन में डाला मैंने उसे समझाया कि ये अन्न है। इसे कूड़े में नहीं फैंकते। उसने जवाब दिया फिर कहाँ फैंकू ?जहाँ अन्न देवता पर किसी के पैर न पड़ें। खिड़की के बाहर ए.सी. फिट है। उस पर आटा रख दिया। अगले दिन रक्खा तो पहले दिन का उबटन वाला आटा गायब था। ये सिलसिला चलता रहा। एक दिन गीता बीमार थी, उसकी लोई नहीं की। वो सो रही थी। दोपहर तीन बजे करीब खिड़की के बाहर काँव काँव शुरु। गीता जाग न जाये, मैं कौवे को उड़ाती, वह उड़ जाता, मेरे हटते ही फिर काँव काँव शुरु, मुझे ध्यान आया कि शायद ये लोई खाता हो! मैंने उसे कुछ खाने को दिया, वह चुपचाप खा कर चला गया। अगले दिन फिर उसी समय पर वह आया। मैंने उसे खाने को दिया वह खाकर चला गया। गीता के ठीक होते ही फिर लोई शुरु की। मैंने आटे को रख लिया। जब वह अपने समय पर आया। तो मैं गीता को गोद में लेकर बैठ गईं और आटे की छोटी छोटी गोलियाँ खिड़की की ग्रिल पर जगह, बदल बदल कर रखती जाती, वह उड़ उड़ कर अपनी चोंच से उठाता जाता और खाता जाता। ये देख कर गीता बहुत खुश होती। 




जिस दिन खिड़की बंद होती, वह आता और ए.सी. पर बैठता कुछ देर कांव कांव करता और चुपचाप चला जाता। गीता बड़ी होती गई, दिन भर का उसका बचा खाना हम कटोरी में रखते जाते हैं। वह अपने साथी के साथ आता है और गीता को इंतजार करते पाता है। उसे देखते ही गीता ग्रिल पकड़ कर खड़ी हो जाती। वे खाने को चोंच में भरते और दूर बैठते। गीता मुंह से आ आ करती और एक हाथ से बुलाती। वे दोनों फिर खाने के कटोरे पर आते। गीता खिलखिला कर हंसती। खाना खत्म होते ही वे चले जाते और गीता थक कर सो जाती। गीता अब विदेश शिफ्ट कर गई। उस फ्लैट में रहने वाले बताते हैं कि प्रतिदिन दो कौवे आकर बैठते हैं और कुछ देर काँव काँव कर चले जाते हैं।