जब भगवान विष्णु द्वारा भगवान वैद्यनाथ की स्थापना हो गई तब भगवान विष्णु ने सोचा कि इस अघोर जंगल में शिव जी को जल कैसे चढ़ाएं और उनकी पूजा अर्चना आदि कौन करने आयेगा? उस समय देवघर में बैजू नामक ग्वाला रहता था। उसे विष्णु जी ने कहा कि जो शिवलिंग तुम देख रहे हो उस पर जल चढ़ाओगे तो तुम्हारी गाय खूब दूध देंगी। बैजू यह सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ और वह नित्य बाबा की पूजा करने लगा। एक दिन बाबा की पूजा किए बिना उसने नाश्ता कर लिया याद आने पर दौड़ा हुआ गया और बाबा को जल चढ़ाया। बैजू की भक्ति से बाबा बहुत प्रसन्न हुए एवं बैजू से बोले,’’बालक! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं जो भी वर मांगना हो मांगो।’’बैजू बोला,’’बाबा हमारी गाय खूब दूध देने लगें।’’ यह सुन कर बाबा बोले,’’ठीक है ऐसा ही होगा, कुछ और भी वर मांगो।’’ सुन कर बैजू परेशान हो गया वह ग्वाला तो दूध ही जानता था। वह कहने लगा,’’मां से पूछ कर आऊँ?’’बाबा बोले,’’ठीक है।’’बैजू जब अपनी माँ से पूछने गया तो उसने कहा,’’बेटा तूं महान है। जा बाबा से कहना कि तेरा नाम उनके नाम के साथ जोड़ा जाये।’’बैजू ने यही वर मांग लिया तब से इनका नाम बैजनाथ पड़ गया। मुझे लगता है तभी यहां की प्रसादी पेड़ा है और चाय वाला भी कुल्हड़ में पहले दूध फिर उसमें चाय का काढ़ा डालता है। दहीं का स्वाद तो यहाँ का है ही लाजवाब। पंडों के पास भी अपने यजमानों को दर्शन के साथ सुनाने की के लिए बहुत कथाएं हैं और उनकी हिम्मत के अनुसार पूजा की विधियां भी हैं।
VIP दर्शन
यहाँ बाह्य अघ्घर््ा देने वालों की भी बहुत भीड़ थी। पूर्वी द्वार से बाहर आने के लिए सेवादारों से रास्ता पूछते पूछते हमने पूरा मंदिर परिसर घूम लिया कहीं दुर्गापूजा की तरह ढोल बज रहे हैं। यहां महिला कांवड़ियों की संख्या भी बहुत है। हम पूर्वी द्वार से बाहर आ गए। क्रमशः