अंकुर का फोन आया कि वह एक थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर लेने आ रहा है, एक मैं अपने पास रखूं। छूटते ही मैंने पूछा,’’क्यों सब ठीक है न!’’वह बोला,’’हां किसी को देना है।’’ मैंने दोनों को सैनेटाइज़र से पोंछ कर, थैली को भी सैनेटाइज़ कर, उसके आने से पहले गेट पर टांग दिया और बाहर कुर्सी पर बैठ गई ताकि वह मुझे देख ले कि मैं ठीक हो रहीं हूं। वह आया उसने एक कागज़ से थैली उठाकर गाड़ी की पिछली सीट पर रखी। मैं ध्यान से उसका चेहरा देख कर बोली,’’ कमज़ोर सा लग रहा है। उसने गाड़ी में बैठते हुए कहाकि शेव नहीं की न इसलिए आपको लग रहा है।’’और ये जा, वो जा। मैंने फिर सोचा मेरे लिए भी तो परेशान था न। अंकुर का कभी फोन आता कि विटामिन की दोनो गोलियां ले रही हो ना। मेरे हां कहते ही फोन कट। मैंने सोचा वर्क फ्रॉम होम चल रहा है। मुझे ठीक देख गया है इसलिए अब कम और छोटा फोन कर रहा है। रजिस्ट्रेशन के सात दिन बाद भाभी का घर में कोरोना का टैस्ट करने आया। उनकी रिर्पाट नेगेटिव आई। मेरी पॉजिटिव रिर्पोट के बाद वैसे ही उन्होंने रजिस्ट्रेशन करवाया था। आठ दिन बाद मेरी कोरियर से गोलियां आ गईं। मैं नियम से खाने लगी और स्वस्थ होने लगी। मैंने अंकुर को फोन किया कि तेरा वैक्सीनेशन कब होगा? उसने कहा,’’ अभी नहीं डॉक्टर से पूछना पड़ेगा क्योंकि मुझे और श्वेता को कोरोना हो गया था। दो दिन पहले हमारा क्वारेंनटाइन खल्म हुआ है। जिसने आप का इलाज़ किया, उसी से हमने करवाया। जिस दिन आप से ऑक्सीमीटर लेने आया था। उस समय बुखार शुरु हो गया था। श्वेता को मुझसे दो दिन पहले हो गया था।’’ मैंने पूछा,’’बच्चे!’’उसने बताया कि गुड़िया ने संभाले। कोरोना का डर इतना फैला हुआ है कि बच्चों को समझा दिया कि हमारे रुम में मत आना। दीदी का कहना मानना, नहीं तो दीदी अपने घर चली जायेगी। फिर हमें खाना कौन देगा? हम 15 दिन बाद तुम्हें हग करेंगे।’’ अदम्य ने छुटते ही प्रश्न दागा,’’दीदी अगर छुट्टी करेगी तो!’’दीदी ने ही जवाब दिया,’’न न न, बिल्कुल नहीं करुंगी।’’ सुनते ही शाश्वत और अदम्य के चेहरे पर बड़ा सकून आया। अदम्य तो 4 घण्टे के बाद ही पूछने लगा,’’अभी कित्ता टाइम लगेगा!’’सुनते ही हम परेशान हो गये कि ये तो श्वेता से लोरी सुने बिना सोता नहीं, पर शाश्वत उसी समय समझदार हो गया। उसे अपने साथ लगा लिया। जो वह कहता शाश्वत करता। यहां तक कि उसे सुलाने के लिए लोरी गाता। अब कोई रोकटोक तो थी नहीं खूब टी.वी. देखना पर अदम्य की पसंद का र्काटून चलता। शाश्वत की ऑनलाइन क्लास के बीच में अदम्य यूट्यूब पर अपनी पसंद का र्काटून लगवाता। ये रोये न वह इसका आर्डर मानता। बच्चे क्या कर रहें थे? हमने न सोचा न जाना। हमारा मकसद था, ठीक होना। हम डॉक्टर के कहे अनुसार चल रहे थे। दोनों बच्चों ने कोई शिकायत का मौका नहीं दिया, न ही हमारी तरफ आये। दोनों कितनी भी आपसी शैतानी में व्यस्त हों पर जैसे ही गुड़िया हमारे खाने नाश्ते के लिए दरवाजे पर नॉक करती तो दोनों सब कुछ छोड़ कर दूर खड़े होकर हमें देखते और दरवाजा बंद होने से पहले ऐसे हाथ हिला कर बाय करते जैसे हम कहीं जा रहें हो। अदम्य बोलता,’’जब आप बाहर आओगे तो आपको इतना प्यार करुंगा कि आपका कचूमर निकाल दूंगा।’’Spirometer जिससे हम ब्रिथिंग एक्सरसाइज़ करते वो तीनो बॉल इन्हें खिलौना लगतीं। वे दिन गिनते कि 15 दिन बाद ये खिलौना इनको मिल जायेगा।
आपको इसलिए नहीं बताया कि जान कर कुछ कर तो सकती नहीं थीं, सिवाय परेशान होने के।’’ दोनों ने एक दूसरे से कहा कि अपना ध्यान रखना। मैंने उसे कहा कि घर से बाहर नहीं जाना। थक गया होगा, मैंने फोन बंद किया। बच्चों पर मुझे बहुत हैरानी हुई! मैं बिमार हुई मुझे दोनों ऑडियो भेजते कि मैं जल्दी ठीक हो जाउं। जब ठीक थी तो अदम्य जब से फोन करना सीखा, दिन में कई बार मुझे अपने मम्मी, पापा, भइया की शिकायत का फोन करता। अब ये तक नहीं बताया कि श्वेता अंकुर को कोरोना हो गया! बिल्कुल ठीक होते ही कोरोना से जंग का अनुभव आप से शेयर किया। हेमू भी करोना की जंग जीतकर ड्राइव करते हुए भागलपुर अपने घर गया।आप भी स्वस्थ होने वालों की संख्या देखें, हौंसला बढ़ेगा। नीलम भागी l
3 comments:
नीलम जी आपकी कोविड से संबंधित सभी पोस्ट इस बार वाकई में दिल को छू गई यह आपने स्वयं का तजुर्बा जो बयान किया है वाकई में दिल को छूने वाला है
आपको हार्दिक बधाइयां
आप बहुत ही सटीक जानकारी देते हैं बहुत बहुत आभार
आप बहुत ही सटीक जानकारी देते हैं बहुत बहुत आभार
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