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Monday 13 February 2023

खुदाई का ईंट और पुण्डरीक क्षेत्र का पानी सीतामढ़ी बिहार यात्रा भाग 24 नीलम भागी

स्वामी उमेशानन्द जी हमें महेश प्रसाद जी के घर लेकर गए। पहले हमने खुदाई में निकला स्क्वायर में पत्थर देखा जो आकार में बहुत बड़ी ईट लग रहा था। परिवार ने उसे तुलसी जी के नीचे रखा था। 



महेश जी ने घर के अंदर हमें बैठने को कहा। पर मुझे तो बाहर खुले में पेड़ पौधों से घिरे आंगन में बैठना था। उन्होंने वहाँ हमारे लिए कुर्सियाँ लगवा दीं और हम ऑक्सीजन चैम्बर में, धूप में बैठ कर बतियाने लगे। उनके आंगन में लगे आंवले के पेड़ का तोड़ कर आंवला भी मैंने खाया। हैण्डपंप से ताजा पानी की निकाल कर पिलाया। मैंने उस पानी को डरते हुए पिया। बहुत अच्छा स्वाद था, एक गिलास पीने के बाद दूसरा भी पिया। बोतलबंद पानी पीने वाली मैं, मुझे कुछ नहीं हुआ। उन्होंने हमसे खाना खाने का आग्रह किया हम लंच करके गए थे। उनकी बेटी बहुत लज़ीज़ लैमन टी बना कर लाई। यहाँ की बातें चलती रहीं। मैंने देखा कि यहाँ घर ऊँचाई पर हैं। महेश जी का घर भी आठ सीढ़ियाँ चढ़ कर है।

 





इसका कारण आस पास हिमालय से उतरने वाली कई नदियाँ और जलधाराएँ हैं। बागमती नदी, लखनदेई नदी एवं अधवारा नदी समूह मुख्य हैं। शहर में पुरातात्विक रुचि का कोई अवशेष का न रहना, यहाँ बाढ़ के साथ प्रचण्ड बहाव से टनों मिट्टी का हर बार आना है। पुण्डरीक क्षेत्र पर चर्चा करते हुए यहाँ की साहित्य की विलक्षण प्रतिभाओं पर भी बातें हुई और फिर लाजवाब चाय के साथ नाश्ता। मेरा वहाँ बैठे हुए आस पास ध्यान जा रहा था। एक ओर पशुओं का तबेला, फलों के बाग के नीचे सब्जियाँ बोई हुई हैं। इतनी उपजाऊ मिट्टी कि फल फूलों से लदी हुई हैं। 

दूर खेत भी हैं। सब कुछ आस पास और आंगन ऐसा कि वहीं बैठे पड़ोसियों से बतिया लो। जिससे भी यहाँ बात की, वह अच्छे से बोला है। मध्य जुलाई से अगस्त तक बागमती, लखनदेई और हिमालय से उतरने वाली नदियों की वजह से बाढ़ग्रस्थ रहता है। बाढ़ की विभिषिका को भी ये लोग गाकर हल्का कर लेते हैं। लोक गीतों में जट जटनी झूमर जैसा है। झझिया नवरात्र में महिलायें सिर पर घड़ा रख कर नाचती गाती हैं। सोहर जनेऊ के गीत, स्यामा चकेवा, फाग, नचारी जिसमें शिव चरित्र का वर्णन है यहाँ गाये जाते हैं। लाइब्रेरी न बंद हो जाए, इसलिए अब हम सबको धन्यवाद करके चल दिए। क्रमशः        


2 comments:

Monika Tewari said...

Very nice Massi ji👌👌

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद प्रिय मोना