एयरपोर्ट से घर जाते समय उत्कर्षनी मुझसे यात्रा के बारे में पूछता जा रही थी। नोएडा में घर से लेकर एयरपोर्ट तक श्वेता अंकुर मुझे समझाते रहे। असिस्टेंट को मुझे सौंपने के बाद मेरे एयरपोर्ट में प्रवेश करने के बाद वे चले गए। उनके जाते ही उत्कर्षनी का फोन आया,"मां सिक्योरिटी जांच के बाद मुझे फोन करना।" जांच के बाद मैंने सोचा कि मैं गेट पर जाकर फोन करूंगी। उससे पहले ही उसका फोन आ गया। मुझे लगातार समझाना। मैं अपने जीवन में इतनी लंबी हवाई यात्रा पहली बार कर रही थी। वह पूरे समय मेरे लिए चिंता में रही। एमस्टर्डम में भी मुझे समझाती रहीं। अब बहुत खुश! मैं उसको जवाब भी देती जा रही थी और वह लगातार मुझे रास्ते में इशारे कर करके उन जगहों के नाम बताती जा रही थी। उनसे जुड़ी बातें कहती जाती थी और कहती," आपको यहां लायेंगे।" मेरी आंखें तो बाहर लगी हुई थीं। गीता प्यार में मेरा हाथ पकड़ कर बैठी थी। उत्कर्षनी जब सरबजीत फिल्म के डायलॉग और स्क्रिप्ट लिख रही थी तो मैं छोटी सी गीता के साथ मुंबई में ही रही। उत्कर्षनी परिवार के अमेरिका शिफ्ट होने पर मैं नोएडा आई। गीता को देखते हैं मेरी रास्ते की थकान मिट गई। एल ए कैलीफोर्निया के सबसे बड़े शहर और अमेरिका के आबादी में दूसरे बड़े शहर में जा रही हूं। और हैरान हो रही थी कि न तो यहां सड़कों पर भीड़ नजर आ रही थी और न ही इतनी गाड़ियों के बावजूद जाम लगा था। न ही 📯 हॉर्न बजा! दुनिया के सबसे बड़े फिल्म और टेलीवीज़न उद्योग के शहर लॉस एंजिल्स में मौसम भी लाजवाब था। क्रमशः
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