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Tuesday, 26 August 2025

प्रवासी जीवन नीलम भागी अमेरिका प्रवास

 


दित्त्या ने तो मुझ पर कब्जा कर लिया था। उत्कर्षनी ने उसको कह दिया कि मुझको सोने नहीं देना है। उसने बहुत अच्छे से ड्यूटी निभाई। जेट लॉक न हो इसलिए डिनर के बाद सोने दिया। दित्त्या मेरे और गीता के बीच में सोई। यानि मुझ पर पूरा कब्जा! सुबह दोनों अपने समर कैंप में मुझे साथ लेकर गई। दित्त्या उंगली पकड़ कर क्लास में ले जाकर, उसने अपनी टीचर को बताया,"माई नानी।" घर लौटे तो उत्कर्षनी ने नाश्ता तैयार कर रखा था। तीनों ने नाश्ता बाहर अपने पौधों के पास किया। घर शिफ्ट किया है। राजीव जी ने लिस्ट चेक की। अब हम शॉपिंग के लिए होम डिपो चल दिए। दोनों अलग-अलग सामान खरीद रहे थे। कुछ सामान रह गया था। मैकेनिक का फोन आ गया कि वह घर से निकल चुका है। उसकी जरूरत का सामान राजीव ने खरीद लिया था। उतकर्षिनी ने कहाकि बाकी मैं घर के पास वाले माल से ले लूंगी। राजीव बिल बनवाने लगे। उत्कर्षनी गायब! खूब पौधे खरीद कर लौटी। पेमेंट करके निकल गए। घर पर सामान रखकर, मैं उत्कर्षनी फ़िर खरीदारी करने चल दिए। मैंने कहा,"मैकेनिक को थोड़ा रोक लेते, दोबारा तो नहीं आना पड़ता।" उसने बताया कि वह 30 डॉलर प्रतिघंटे के हिसाब से आया है। मॉल में उत्कर्षनी जरूरत का सामान खरीद रही थी। और मैं घूम रही थी।






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