गीता और दित्या की अमेरिका से फोटो आई है. हमेशा की तरह हमारे विशेष दिनों पर उन्हें उस दिन की कथा कहानी सुनाई जाती है. और उत्कर्षनी राजीव उन्हें माथा टिकाने ले जाते हैं.
गुरु तेग बहादुर जी का जन्म गुरु हरगोबिंद जी के घर हुआ था और वे उनके सबसे छोटे पुत्र थे. 1665 में वे सिखों के नौवें गुरु बने और अगले दस वर्षों तक समाज, धर्म और सत्य के मार्ग पर लोगों का मार्गदर्शन करते रहे. इस वर्ष गुरु तेग बहादुर का 350वां शहीदी दिवस मनाया जा रहा है. साल 2025 में उत्तर प्रदेश और दिल्ली में इसकी सरकारी छुट्टी 25 नवंबर को रखी गई है. इस दिन देशभर में गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास और सेवाभाव के कार्य किए जाते हैं.
* धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से सम्पूर्ण मानवता को उपदेश दिया -
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।3.35।।
गीता के इस संदेश को प्राण- प्रण से आत्मसात करने वाले हिन्द की चादर श्री गुरु तेगबहादर जी ने आज ही दिन 24 नवम्बर, 1675 को शीश देना स्वीकार किया लेकिन धर्म पर अडिग रहे। आज उनके शहीदी दिवस पर कोटिशः नमन 🙏
श्री विनोद बब्बर (संपादक राष्ट्र किंकर, कार्यकारी अध्यक्ष इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली प्रांत) की व्हाट्सएप वॉल से

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