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Saturday, 9 November 2019

शादी के लिये परफैक्ट मैन !!विदेश को जानो, भारत को समझो घरोंदा Videsh Ko Jano, Bharat Ko Samjho GHARONDA Part 15 नीलम भागी



  उस दिन वो बहुत सुंदर लग रही थी| वह बोली,” चेंज करके आती है।अब आते ही  उसने मुझसे ही प्रश्न किया,” क्या मुझे शादी के लिये परफैक्ट मैन मिल जायेगा? मैं उसके परफैक्ट मैंन की परिभाषा नहीं जानती थी। मैं बोली,’’हमारे यहाँ तो एक ही परफैक्ट मैन रहे हैं, वो हैं श्री कृष्ण। जिन लड़कियों को परिवार पति नहीं उपलब्ध करा सकता, वे श्रीकृष्ण को अपना प्रिय मान कर अपने को उसकी गोपियाँ समझती हैं, जो उन्हें प्रियतम समझती हैं वे अपने को राधा मान लेती हैं। जो भक्ति में होती है वह मीरा बन जाती है। अध्यात्म में ही आनंद की अनुभूति शायद उन्हें होती है। भक्ति में लीन होने के कारण  वे कोई तर्क नहीं करतीं| इसे अपनी नियति मान लेती हैं। तुम जैसी लड़की जिसे घड़ने में किसी का योगदान नहीं है। जो कइयों को रोजगार देती है। तुम्हें तो परिवार बढ़ाना ही चाहिए। ये सुनते ही वह मेरा हाथ पकड़ कर, अपनी लाइब्रेरी में ले गई| वहां इंग्लिश में गीता देख कर, मेरे मुहं से निकला,”तुम भी गीता पढ़ती हो!!उसने गीता को उठाया उसके कवर पर हाथ फेरते हुए बोली,”जब भी इसे पढ़ा, इसमें कुछ नया ही पाया हैफिर मुझसे पूछा,” तुम्हारे प्रफक्ट मैन का मतलब, लार्ड कृष्णा से है न!" मैं हंस पड़ी| अब वह सीढ़ियाँ चढ़ाती मुझे ऊपर ले गई। और बोली,’’ यहाँ मैं आज तक किसी को नहीं लाई। और पहला कमरा उसने अपनी कल्पना में होने वाले बच्चे के लिये तैयार कर रखा था। नवजात बच्चा क्या क्या पहनेगा, उसकी पोशाके मुझे दिखाई। सूती टोपियाँ, दस्ताने सबके साथ क्या क्या और किसलिये पहनायेगी| ये भी बताती भी जा रही थी। पालना, खिलोने बच्चे के उपयोग की ऐसी कौन सी चीज थी  जो उसने वहां नहीं रखीं थी| उसका वात्सल्य भाव चेहरे से टपक रहा था और मेरा दिल उसे देख कर रो रहा था। मैने कहा कि तुम अब परफैक्ट मैन के थोड़े पोइंट कम कर दो, बच्चे के लिये शादी करो| पहले उसे पालने का सुख उठाना। फिर उसे कुछ बनाना। अच्छा इनसान बनेगा तो खुश होना। फिर मैं हंस कर बोली कि तुम्हारे मन का नहीं बना तो तुम्हें कोसने का काम मिल जायेगा। तुम बहुत व्यस्त हो जाओगी वैसे व्यस्त  तो आप अब भी हो। ऐसे ही उम्र निकल जाती है। वहीं उसका बैडरूम था। वहां वह मुझे नहीं लेकर गई| हम नीचे आये शुभरात्री किया। आई तो बेटी को इंतजार करते पाया। कात्या मुले के बच्चे की तैयारी को छोड़ कर, सब मैंने उसे सुनाया और बेटी से कहा कि मैं तेरे लिए लड़का देखना शुरू कर रहीं हूं। अगर उसकी कोई पसंद है तो मुझे बताए। वो बोली,’’अच्छा अब सो जाओ और मुझे भी सोने दो।’’ ऐसा कह कर  वो सो गई| आज मुझे लगा कि महिला चाहे घरेलू हो या करियर वूमनउसके मन से माँ बनने की ललक को कोई नहीं निकाल सकता। और मुझे अपना मध्यम वर्गीय परिवेश याद आने लगा, जहाँ कीमती वस्तुएं माँ अपनी बेटी की शादी के लिए संजोकर रखती है। लाडली बड़ी होती जाती है और परिवार की उसके हाथ पीले करने की चिंता बढ़ती जाती है। क्रमश: