
हमारे साथ बच्चे थे और उनकी ये मनपसंद जगह है। उन्हे प्रवेश द्वार पर यूनिवर्सल स्टूडियो के लोगो के साथ फोटो खिचवाने से कोई मतलब नहीं था वहां वैसे भी लाइने लगी थी। हम पहले उन राइडस पर गये, जो दूर थे जहां उस समय लाइन नहीं थी। ये इंगलिश के सी शेप में है।

जब तक हमने दूर वाले राइडस पर झूलते हुए, पास आए तब तक यहां हम लोगो का नम्बर आ गया। कोई राइड बच्चों ने नहीं छोडने दी और फोटो

भी ले ली।

5 स्क्वायर किमी में ये फैला हुआ हैं। यहां मनोरंजन के लिए बहुत कुछ है। प्रकृति के साथ, इंसानों की रचनात्मकता का टैक्नोलॉजी के साथ मेल करके गज़ब का सेंटोसा आइलैंड है। जहां सबकी रुचि का ध्यान रक्खा गया है। एतिहासिक म्यूजियम में यहां की संस्कृति से परिचित होते हैं। मलेशिया से अलग होने से पहले का और बाद का भी सिंगापुर। कैसे उनका मुल्क दूसरे विश्व युद्ध का शिकार हुआ। यहां का र्फोट सिलोसा को दूसरे विश्व युद्ध में जपानी हमले से बचाव के लिए बनाया गया था। लेकिन जापानियों ने पीछे से हमला करके सिंगापुर पर अधिकार कर लिया और वहां के युद्धबंदियों पर जम कर जुल्म ढाये। चित्र और अखबारों की कटिंग भी हैं। एक दिन में सब कुछ विस्तार से देखना संभव नहीं था।

जहां बच्चों को अच्छा लगता था वहां ज्यादा समय बिताना पड़ता था। बड़ी बंदूकों का बहुत बड़ा कलैक्शन, कैसीनो, नेचर डिस्कवरी, वाटर फ्रंट, शॉपिंग मॉल पर वे नहीं रुकते। पलवाना बीच, सिलोसा बीच की खूबसूरती आंखों में बस गई।ं केबल कार से उतरना पसंद नहीं, दस दस मिनट के अंतराल पर संटोसा बस चलती है। उसमें भी बैठना पसंद था। बटरफ्लाई इनसैक्ट किंगडम, सी. इ. ए. एक्वेरियम, ट्रिक आई म्यूजियम


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लेक ऑफ ड्रीम सब कुछ बच्चे तो बच्चे, बड़ों के लिए भी दूसरी दुनिया थी। कॉफी शॉप, रैस्टोरैंट, फूड र्कोट आदि सब कुछ था। बुरी तरह थकने पर भी घर लौटने का किसी का भी मन नहीं था। अगले दिन फिर से लाने का वायदा बच्चों से वादा करके लाए। क्रमशः
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