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Tuesday 9 June 2020

सराहनीय पब्लिक ट्रांसर्पोट और खोया पाया!! Public Trasnport Santosa सिंगापुर यात्रा Singapore yatra Part 15 Neelam Bhagi नीलम भागी

यहां पब्लिक ट्रांसर्पोट बहुत सस्ता और उत्तम है। इसलिए लोग गाड़ी बहुत कम रखते हैं। एक ही र्काड मैट्रो और बस दोनो में चलता है। बस में कण्डक्टर नहीं होता। आप आगे से चढ़ते समय र्काड को स्वाइप करते हैं और उतरते समय र्काड स्विप करेंगे। आपका स्टॉपेज़ के हिसाब से र्काड से पैसा कट जायेगा। आपको न कोई देख्ेागा, न टोकेगा कि आप पैसा कटवाओ। पर यहां कोई भी फोकट में यात्रा नहीं करता दिखा। एडी को प्रैम से कभी उतारना नहीं पड़ा। बस का फ्लोर स्टैण्ड के लेबल पर आ जाता है। प्रैम अंदर आ जाती हैं। बस में प्रैम और विकलांग की जगह पास पास होती है। उनके लिए एक बटन लगा होता है। जहां उतरना होता है विकलांग उसे दबा देता है। ड्राइवर बस रोक देता है। एडी ने देख लिया उसने भी बटन प्रैस कर दिया, बस रुक गई। ड्राइवर ने पीछे मुड़ कर मुस्कुराकर कहा,’’नो किड, डॉन्ट प्रैस।’’अब हम उस पर नज़र रखते, बेमतलब बटन प्रैस न कर दे। बस में अगर कोई महिला बच्चे के साथ है तो हर सवारी उसे सीट देने को तैयार हो जाती है। ऐसा ही सीनियर सीटीजन के साथ होता है। इसलिए लोग पब्लिक ट्रांसर्पोट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और फिटनैस के लिए ज्यादा से ज्यादा जहां तक साइकिल से जाया जा सकता है, जाते हैं। कहीं भी साइकिल का पार्किंग शुल्क नहीं है। पब्लिक ट्रांसर्पोट को देशवासी खुशी से इस्तेमाल करें, इसके लिए उत्तम व्यवस्था है। साथ ही गाड़ियों का पार्किंग शुल्क बहुत ज्यादा है। श्वेता अंकूर दोनो बच्चों के साथ घूमने गए और साथ में शॉपिंग भी कर आए। घर पहुंचे तो पता चला कि तीन पैकेट में से एक कैरी बैग मैट्रो में छूट गया है। उनका सारा घूमने का मज़ा चला गया। उन्होंने बैग का छूटना भाभी को बताया। वे सुनकर बोलीं कि मिल जायेगा। खाना खाओ और कल जहां घूमने जाना है, वहां के लिए प्लानिंग करो, प्रोग्राम बनाओ। श्वेता ने पूछा ,’’कैसे मिल जायेगा?’’भाभी बोलीं,’’यहां कोई किसी का सामान नहीं उठाता, कोई भूल जाए तो पड़ा देख कर, देखने वाला उठाता नहीं है। विभाग को सूचना दे देता है। वे उठा कर रख लेते हैं। आप वहां से पता कर लो। सौरभ आए थे, उनकी एयरर्पोट पर शॉल रह गई थी। यहां तो शॉल की जरुरत नहीं थी इसलिये लौटते हुए पता किया उन्होंने कलर वगैरहा पूछा और दे दी। अगले दिन ये संटोसा घूमने गए। वहां भाभी का फोन आया कि आपका बैग मिल गया है। श्वेता ने पूछा,’’कैसे?’’उन्होंने बताया कि मैंने फोन करके पूछा था। उन्होंने मुझसे पहचान पूछी। मैंने बताई। मैंने बिल देख कर तीन चीजों के नाम भी बता दिए। हमारे घर के पास पडने वाला मैट्रो स्टेशन पूछा,’’मैंने बता दिया।’’ उन्होंने कहाकि वहां से कलैक्ट कर लेना। आप एंजाय करो, मैं कलैक्ट कर लूंगी। हम सुनकर हैरान रह गए। जहां इतनी सवारियां चढ़ती उतरती है, वहां से बैग का मिलना, उससे ज्यादा हैरान कर रहा था कि घर के पास से कलैक्ट करना। अब संटोसा घूमने का और मज़ा आने लगा हम उस समय यूनीर्वसल पार्क पर थे।  क्रमशः



2 comments:

Meena Joshi said...

सराहनीय हमारा इंडिया होता तो कैरी बैग ढूँढ़ते रह जाना था
बहुत ही सराहनीय ।

Neelam Bhagi said...

Hardik dhanyvad