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Tuesday, 30 June 2020

बाघा बार्डर अमृतसर यात्रा Vagha Border Amritsar Yatra भाग 13 Neelam Bhagi नीलम भागी


नीरज तिवारी की शादी पर हम शाने पंजाब से समय पर पहुंच गए। लंच कर ही रहे थे कि मेरी भतीजी मनदीप और उसका बेटा शुभ्रजीत अमृतसर से शॉपिंग करके आ रहे थे। ये गोहाटी से आये थे। हमें देखते ही मनदीप बोली,’’बुआ आप थोड़ा पहले नहीं आ सकती थी!!’’ मैंने पूछा,’’क्या हुआ?’’ वह बोली,’’कुछ नहीं, मैं असम का मूंगा सिल्क की साड़ियां और मेखला चादर वगैरहा लाई हूं। आपका तो पता नहीं रहता कि  आओगी या नहीं?आपकी साड़ियां हमारी तरह हैं। मैं अभी जाकर चमचम चमचम बल्ले बल्ले कपड़े खरीद कर लाई हूं।’’सुनकर मैं हंस पड़ीं। गुड्डी बोली,’’सामने वाले घर में आप के कमरे हैं। हमने कहाकि हम एक ही रुम में रहेंगे। जब मैं कपूरथला में थी तो मनदीप, मीना असम से आतीं थीं तो हम तीनों बहुत बतियाती थीं। उसी समय हमने बाघा र्बाडर जाने का प्रोग्राम बना लिया। गली से बाहर आते ही एक शेयरिंग ऑटो दिखा। हमने पूछा,’’पाई, बाघा र्बाडर चलना।’’ जवाब में उसने कहा,’’बी(20)रुपइए सवारी।’’उसमें हम छओ लद गये। मैंने ऑटोवाले से कहा कि ये आसाम से आई है। शहर के बारे में बताते जाना। उस भले आदमी ने उसी समय ऑटो की स्पीड बड़ा कर पूछा कि क्या हमारे पास वीआईपी पास है? हमें तो कुछ पता ही नहीं था। हमने कहा नहीं। वह बोला,’’यहां तीन बजे पहुंच जाओ तो सीट अच्छी मिल जाती है। आप लोग लेट हो पर मैं परेड से पहले पहुंचा दूंगा। ऑटो हवा से बातें कर रहा था। कुछ दिन पहले संजीव भागी सपरिवार गाड़ी से चाची जी को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी दिल्ली से दिखाने लाया था। उसने बताया था कि प्राइवेट पार्किंग बहुत दूर है। अंदर मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता इसलिए पहले निश्चित कर लेना की समापन पर कहां इक्कट्ठे होंगे। ऑटोवाला हमारे गाइड का काम कर रहा था। वह हमारा अमृतसर से परिचय करवाता  रहा था। जहां से गुजरता उस जगह का नाम बताता जा रहा था। रेजीडेंशियल एरिया खत्म होने पर उसने बताना शुरु किया कि यह गोल्डन टैंपल से जहां से आप बैठे हो 35 किमी. दूर है। अमृतसर से 32 किमी. और लाहौर से 22 किमी. दूर है। बाघा बार्डर पाकिस्तान की ओर के क्षेत्र को कहते हैं। हमारे देश की ओर के क्षेत्र का नाम अटारी बार्डर है। जिसे सरदार श्याम सिंह अटारी के नाम पर रखा गया है। वे महाराजा रणजीत सिंह के सेना प्रमुख थे।  भारत के अमृतसर  तथा पाकिस्तान के लाहौर के बीच ग्रैंड ट्रक रोड पर स्थित बाघा गांव है। जहां से दोनो देशों की सीमा गुजरती है। दोनो देशों के बीच थल मार्ग से सीमा पार करने का यही एकमात्र निर्धारित स्थान है। पता नहीं सवारी इसे बाघा र्बाडर क्यों कहती हैं! अब हमारे बाईं ओर कंटीली तारों की दो देशों की सीमा थी। काफी पहले ऑटो ने उतारा उससे आगे सबको पैदल जाना था। हमने ऑटोवाले से कहाकि भाई हम तुम्हें सौ रुपये रुकने के देंगे। तुम्हीं हमें वापिस ले जाना। उसे पैसे देने लगे। उसने कहा बाद में ले लूंगा। एक कागज पर अपना नाम और गाड़ी का नंबर लिख कर दे दिया और हमें कहा कि इक्कटठे रहना, यहां से निकलोगे मैं आपको यहीं से ले लूंगा। अब हम तसल्ली से देशभक्ति से ओतप्रोत जोशीली भीड़ के साथ चल पड़े। कृतिका भागी के कहने पर हम पर्स भी नहीं लेकर गए। कुर्ते की जेब में मैंने पैसे रख लिए थे। लोग सामान जमा करवाने की लाइन में भी लगे हुए थे। 4.30 बजे गेट खुल चुका था। सिक्योरिटी जांच के बाद हम अंदर पहंुचे। कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां हम एक साथ बैठ सकें। हमने तय किया कि समापन पर हम भीड़ को जाने देंगे। अपनी जगह पर बैठे रहेंगे। कार्तिकेय का मैंने हाथ पकड़ रखा था। जिसको जहां जगह मिली बैठ गया। बॉलीवुड के देशभक्ति के जोशीले गाने पर जमकर अपनी जगह पर डांस हो रहा थां। ऐसे जोशीले नारे लग रहे थे कि अगर उस समय बार्डर खोल दे तो ये जोशीले, नारे लगाते हुए इस्लामाबाद पहुंच जायेंगेें। 
6 बजे दोनो देशों के द्वार खेल दिए गए, फिर दोनो देशों के गार्डस ने एक दूसरे का अभिवादन किया। दोनो ओर परेड शुरु हुई। गुस्सा दिखाना, सिर ऊपर तक पैरों को ले जाना और दोनो देशों के झंडों को एक साथ उतारा जाना, उनको सम्मान से फोल्ड करना। बहुत ही रोमांचक दृश्य होता है। 6.45 पर यादगार सेरेमनी संपन्न हुई। 
अब लगा कि हम तो नाच नाच के नारे लगाकर गर्मी से बेहाल, बुरी तरह प्यासे थे। जैसे ही हम इक्कट्ठे हुए स्टेडियम से बाहर आते ही दो दो गिलास शिकंजवी के पिये। हमारा ऑटोवाला हमें ढूंढता हुआ वहां तक आ गया। उसके साथ चलते हुए हम ऑटो पर बैठे। सब थके हुए, चुपचाप बैठे घर पहुंचे। मैंहदी वाली रात के लिए तैयार हुए। बन्ने गाने को बैठे, हम चारों के देशभक्ति के नारे लगा कर, गले से आवाज नहीं निकल रही थी, वे बैठ गए थे। नीरज ने हंसते हुए पूछा,’’बाघा बार्डर से आ रहे होे न, तभी!! क्रमशः     




1 comment:

डॉ शोभा भारद्वाज said...

पढने में बहुत आनन्द आ रहा है में आपके सभी अपनों से अपा समझ कर मिल रही हूँ बाघा बार्डर में वन्देमातरम चिल्लाना जोश भरता है