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Thursday, 11 June 2020

र्पूवजों का सम्मान, हंगरी घोस्ट फैस्टिवल, नैशनल स्टेडियम, नैशनल म्यूज़ियम Singapore Part 17 Neelam Bhagi नीलम भागी श्राद्धों की तरह यहां पितरों की याद में घोस्ट फैस्टिवल मनाया जाता है। हमारे देश की तरह विश्व की हर संस्कृति में र्पूवजों को सम्मान दिया जाता है। सम्राट अशोक के पुत्र और पुत्री संघमित्रा भी बौध भिक्षु और भिक्षुणी थे। उन्होंने बौध धर्म का प्रसार दक्षिण पूर्व एशिया तक किया। भारत की धरती से बौध ध्रर्म मंगोलिया तक फैला। बौध भिक्षु और भिक्षुणियों ने दूर दूर तक बौध ध्रर्म का प्रसार किया। जहां भी बौध धर्म (इनमें सनातन धर्म की परंपराएं भी मिश्रित हैं) प्रभाव रहा है, वहां पूर्वजों को बहुत सम्मान दिया जाता है। पितरों की याद में ये त्यौहार मनाया जाता है। एक तरह से शरद का त्यौहार भी हैं। मान्यता है कि साल में एक बार र्स्वग नरक के दरवाजे खुलते हैं, और आत्माएं धरती पर आती हैं। इसे ओबोन कहते हैं। उनके स्वागत के लिए घर से बाहर कंडील लगा कर रास्ता दिखाने के लिए उसमें दिया जलाया जाता है। शाकाहारी भोजन मंदिरों में या घर के बाहर रक्खा जाता है। सिंगापुर में साउथ ईस्ट खाने के रैस्टोरैंट हैं। उनके प्रवेश द्वार पर सजावट की गई थी। स्टेज़ पर बड़े बड़े मजीरों और ड्रम से संगीत बज रहा था। लोग शांत से बैठ कर सुन रहे थे। आगे की सीटें पूर्वजों की आत्मा.ओं के सम्मान में खाली रखी जाती हैं मान्यता है कि वे उन पर आकर बैठ कर संगीत सुनतीं हैं। इसे यहां हंगरी घोस्ट फैस्टिवल कहते हैं। ये सातवें महीने की पंद्रवीं रात को होता है। इस महीने को घोस्ट मंथ कहते हैं। पित्रों का विर्सजन रात को किया जाता है। कागज की नाव में दिया जला कर पानी में बहाते है। आसमान में टिमटिमाते तारे और पानी में तैरते हुए दिए बहुत सुन्दर लगते हैं। मानना है कि रास्ते के अंधेरे मे ये दिए उन्हे राह दिखाते हैं। कहते हैं कि आत्माएं रात को सक्रिय होती हैं। उनकी शांति के लिए ये सब किया जाता है। नैशनल म्यूजियम देखने गएं। नैशनल स्टेडियमम गए। ये मल्टीपरपज़ है


श्राद्धों की तरह यहां पितरों की याद में घोस्ट फैस्टिवल मनाया जाता है। हमारे देश की तरह विश्व की हर संस्कृति में र्पूवजों को सम्मान दिया जाता है। सम्राट अशोक के पुत्र और पुत्री संघमित्रा भी बौध भिक्षु और भिक्षुणी थे। उन्होंने  बौध धर्म का प्रसार दक्षिण पूर्व एशिया तक किया। भारत की धरती से बौध ध्रर्म  मंगोलिया तक फैला। बौध भिक्षु और भिक्षुणियों ने दूर दूर तक बौध ध्रर्म का प्रसार किया। जहां भी बौध धर्म (इनमें सनातन धर्म की परंपराएं भी मिश्रित हैं) प्रभाव रहा है, वहां पूर्वजों को बहुत सम्मान दिया जाता है। पितरों की याद में ये त्यौहार मनाया जाता है। एक तरह से शरद का त्यौहार भी हैं। मान्यता है कि साल में एक बार र्स्वग नरक के दरवाजे खुलते हैं, और आत्माएं धरती पर आती हैं। इसे ओबोन कहते हैं। उनके स्वागत के लिए घर से बाहर  कंडील लगा कर रास्ता दिखाने के लिए उसमें दिया जलाया जाता है। शाकाहारी भोजन मंदिरों में या घर के बाहर रक्खा जाता है। सिंगापुर में साउथ ईस्ट खाने के रैस्टोरैंट हैं। उनके प्रवेश द्वार पर सजावट की गई थी। स्टेज़ पर बड़े बड़े मजीरों और ड्रम से संगीत बज रहा था। लोग शांत से बैठ कर सुन रहे थे। आगे की सीटें पूर्वजों की आत्मा.ओं के सम्मान में खाली रखी जाती हैं मान्यता है कि वे उन पर आकर बैठ कर संगीत सुनतीं हैं। इसे यहां हंगरी घोस्ट फैस्टिवल कहते हैं। ये सातवें महीने की पंद्रवीं रात को होता है। इस महीने को घोस्ट मंथ कहते हैं। पित्रों का विर्सजन रात को किया जाता है। कागज की नाव में दिया जला कर पानी में बहाते है। आसमान में टिमटिमाते तारे और पानी में तैरते हुए दिए बहुत सुन्दर लगते हैं। मानना है कि रास्ते के अंधेरे मे ये दिए उन्हे राह दिखाते हैं। कहते हैं कि आत्माएं रात को सक्रिय होती हैं। उनकी शांति के लिए ये सब किया जाता है। नैशनल म्यूजियम देखने गएं।  नैशनल स्टेडियमम गए। ये मल्टीपरपज़ है। कंर्सट से लेकर कई तरह के खेल आयोजित किए जाते है। वातानूकूलित भी है। छत इस तरह डिजाइन की गई्र है कि बरसात आने पर 25 मिनट में कवर हो जाती है।ं  क्रमशः
 थी।









2 comments:

kulkarni said...

Kya baat hai fantabulous

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद