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Friday 12 June 2020

गार्डन बाय द बे Garden By The Bay Singapore सिंगापुर यात्रा भाग 18 Neelam Bhagi नीलम भागी


रिक्लेम्ड लैंड पर 250 एकड़ में बना ये बहुत सुन्दर गार्डन है। इसमें प्रवेश करते ही मैं हैरान होकर इसकी सुन्दरता निहारने लगी। 16900 के करीब इसमें पेड़ पौधे हैं। जिनकी दो सौ प्रजातियां हैं और 18 सुपर ट्री हैं। चलने के लिए जो टैªक बने हैं, उस पर चलते जा रहे थे और विस्मय विमुग्ध से देखते जा रहे थे। फ्लावर क्लॉक तो रुकने को मजबूर कर देती है। डैªगन फ्लाइ लेक, किंगफिशर लेक, क्लाउड फॉरेस्ट दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाउस यहां है। चाइनीज न्यू इयर का समय था इसलिए बहुत भीड़ थी। हैरानी इस बात की थी कि टैªक पर एक सूखा पत्ता तक नहीं दिखा। हम दोपहर बाद गए थे, रात होने पर लाइटिंग में इसकी खूबसूरती और भी बढ़ गई थी। डिनर के लिए जहां भी जाते बहुत ज्यादा वेटिंग थी। अर्पणा ने ठान रक्खा था डिनर बाहर ही करना हैं। गाड़ी में बैठ कर लगा कि बहुत थक गए हैं। चाइना टाउन में देखने से ज्यादा डिनर के लिए रैस्टोरैंट ज्यादा देखे, सब जगह वेटिंग थी। आखिरकार कम वेटिंग का रैस्टोरैंट मिल ही गया। डिनर करके घर पहुंचे। ये मेरा आखरी सप्ताह था। कल शिखा ने भी चले जाना था। इस बार वो मालद्वीप जा रही थीं। ये उसका पांचवा देश था। सुबह उसके जाने से पहले ही इण्डोनेशियन मेड एनी आ रही थी। मैंने अर्पणा से पूछा कि एनी के बारे में पता कर लिया था वो ठीक है न। अर्पणा हंस कर बोली,’’एजेंट ने उसके एम्पलॉयर का फोन नम्बर दे दिया था। मैंने उनसे बात की। उसने कहा,’’बहुत अच्छी लेडी है और मासी उसके दो बच्चे हैं। हम जब ट्रिप पर जायेंगे तो इण्डोलेशिया यहां से पास है। इसको घर का टिकट दिला दिया करेंगे, अपने बच्चों से मिल आया करेगी। ’’ मेरे सोकर उठने का शिखा इंतजार कर रही थी, मिल कर चली गई। मैं एनी की दो बच्चों की मां जैसी महिला की कल्पना कर रही थी पर वह तो शिखा से भी र्स्माट!! शॉट और टी शर्ट पहिने लड़की सी खड़ी थी। काम का र्चाट लगा हुआ था। उसे पढ़ पढ़ कर वह काम करती जा रही थी। हिंदी वह बिल्कुल नहीं समझती थी। दुनिया जहान के खाना बनाना जानती थी पर इण्डियन खाना नहीं, सिवाय चावल के। एओ एकदम उससे हिल मिल गई। एओ को खुश देख कर अमन अर्पणा बोले,’’खाना हम बना लेंगे।’’दाल, सब्जी, रायता शिखा बना कर गई थी। एनी से मैंने कहा कि सबसे अच्छे चावल तूं जैसे बनाती है बना। उसने लाजवाब चाइनीज़ फ्राइड राइस बनाये। चाइनीज फैमली से वो आई थी। डिनर में भी हमने कहा कि अपनी पसंद का बना।उसने चाइनीज फूड बनाया बहुत लजीज़। मैंने मन में सोचा जिसे स्वाद देना आता है वो कुछ भी बना लेगा। अर्पणा कहने लगी, मासी कुछ दिन और रुक जाओ। मैंने कहा,’’नहीं बेटी, जरुरी जाना है। मेरे लौटने में पांच दिन थे। मैंने सोच लिया इन दिनो जितना मैं भारतीय खाना बनाना सिखा सकूंगी, सिखा दूंगी। अर्पणा बहुत अच्छी कुक है। उससे सीख लेगी। सुबह मैंने उसे सबसे पहले आटा गूंथना सिखाया। अपने लिए परांठे बनवाए। शेप तो प्रैक्टिस से ही आयेगी। दाल छौंकनी, सब्जी बनानी रायता आदि बनवाया। दोपहर को अर्पणा का फोन आया,’’मासी नये नये खाने ट्राई करना आपको पसंद है। आप बनवा लेना। डिनर मैं घर आकर बनाउंगी। प्लीज़ आप नहीं बनाना। मैंने कहा,’’अच्छा बेटी।’’ रात को जब वो ऑफिस से आए। खाना लगा हुआ था। दोनो गुस्सा होने लगे आपने क्यों बनाया।? मैंने कहा,’’ एनी ने बनाया है।’’ खाना स्वाद था। अमन बोला,’’रोटियां लंगर की लग रहीं थीं।’’ मैंने कहा सिंकी हुई तो अच्छी तरह हैं। अगले दिन एनी रिक्वैस्ट कर रही कि आप रुक जाओ। मेरे आने से पहले उसकी रोटी की शेप ठीक हो गई। खाना अच्छा बनाने लगी। पांचवें दिन  मेरी सुबह की फ्लाइट थी। सोती हुई एओ को मैं देख कर आई, मुझे बहुत प्यार करती है। जागने पर रोती इसलिए नहीं जगाया। अर्पणा एयरर्पोअ पर गले लग कर बोली,’’मासी और रुक जाती न।’’उसके सिर पर प्यार से आर्शीवाद देकर चलदी, अपने देश।










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