Search This Blog

Friday 5 June 2020

माँ का दूध और कामकाजी महिलाएं Singapore Yatra Part 12 Neelam Bhagi नीलम भागी



संडे को हम हिंदी फिल्म देख कर हॉल से बाहर आ रहे थे। एक महिला हमारी ओर खुशी से दौड़ती हुई आई। अर्पणा परिचय करवाते हुए बोली,’’मासी ये मेरी सहेली रमा है, ये मेरी मासी इंडिया से आई हैं।’’सुनते ही रमा ने शनिवार को लंच पर आमंत्रित किया। रमा के खड़े होते ही कंगारु बैग में उसके पेट से सटी बेटी तंग करने लगी। रमा बोली,’’माफ करना, ये आज मेरे साथ घूमने निकली है। इसलिये इसे मेरा बतियाना पसंद नहीं है। चलती हूँ, शनिवार को मिलते हैं। घर आकर मैंने अर्पणा को मिर्च का आचार बनाना सिखाया।
शनिवार को उसने छोले बनाये। अब हम तैयार होकर गिफ्ट, छोले और मिर्च का आचार लेकर, रमा के घर चल दिये। रास्ते में उसने बताया कि मोना भी आपको घर बुला रही थी। हमने उसे भी रमा के घर बुला लिया है। सभी अलग दिन पर रैस्टोरैंट में बुला रहीं थीं। मैंने मना कर दिया।
 हम तीनों के पास कभी मिल बैठ कर बतियाने का समय ही नहीं होता। आज आपके बहाने हम सब इक्ट्ठे हो रहें हैं। शाम को लौटेंगे। मैं होस्टल में आपके बनाये छोले और मिर्च का आचार ले जाती थी। जो इन्हें बहुत पसंद था। इसलिये मैंने मेड से नहीं बनवाया। सभी एक दूसरे की पसंद का बनायेंगी। रमा की मेड बस हमें परोसेगी और बेबी सम्भालेगी। घर जाते ही मोना और रमा के पतियों ने मेरे पैर छुए और मुझसे हमारे देश के बारे में बाते करने लगे। हम सब के आगे पीटा ब्रैड, हुमुस और जूस आ गया। मैंने देखा कि यहाँ कोई भी किसी से कुछ माँगता नहीं था। जिसका जो मन होता, वह स्वयं ही ले लेता और जूठे बरतन किचन में रख आता जबकि सभी उच्च पदों पर थे। मैं फ्रिज से पानी लेने गई। अलमारी के साइज का फ्रिज उसमें छोटी छोटी दूध की बोतलें उस पर मार्कर से तारीख और समय लिखा हुआ था। कुछ छोटे छोटे दूध के पाउच भी थे। उन पर भी तारीख और समय लिखा हुआ था। मैंने फ्रिज का मुआइना किया। उसमें पाँच लीटर का एक दूध का जार भी रक्खा था। रसोई में एक र्काटून टैट्रा पैक दूध का था। मैं ये मन में प्रश्न लेकर सखियों में बैठ गई कि सौ, डेढ़ सौ, दो सौ मिली. दूध की बोतलें भला क्यों तारीख अनुसार फ्रिज में सजाई हुई हैं। लंच में रमा ने रबड़ी भी बनाई थी। जब मैंने रबड़ी की तारीफ की, तो उसके पति ने बताया कि रात दो बजे तक रबड़ी तैयार की है। शाम को चाय बनाते समय दूध जार का इस्तेमाल किया गया। फिर ये बोतलें किस लिये? मैंने सोचा घर जाकर अर्पणा से पूछूंगी।     
’आप जब इण्डिया लौटेंगी तो मैं अपनी प्रेगनेंट बहन सीमा के लिए ब्रैस्ट पम्प दूँगी, आप ले जायेंगी न’ मोना ने चलते समय मुझसे पूछा। मेरी स्वीकृति मिलते ही उसका चेहरा खिल गया। मोना एक बक्सा उठाए चली आई। बक्सा देखते ही मैं डर गई। पर हाथ में उठाते ही वह हल्का लगा, लेकिन उसने मेरा तीन चौथाई बैग घेर लिया। मैंने ऐसे ब्रैस्ट पम्प की तो कल्पना भी नहीं की थी। मोना और रमा दोनों की बेटियाँ छोटी हैं। उच्च पद और लम्बे समय तक काम में व्यस्त रहने के कारण उनके मन में ज़रा भी गिल्ट नहीं है कि उनकी बच्चियाँ माँ के दूध से वंचित हैं और फार्मूला मिल्क पर पल रहीं हैं। उस इलैक्ट्रिक पम्प की बदौलत दोनों अपनी बेटियों को खूब माँ का दूध पिला रहीं है। सिंगापुर में उनकी कम्पनी में  मैटरनिटी लीव तीन महीने की है। मोना कंस्लटैंट है और रमा मैनेज़र। अब दोनों मुझे पम्प के फायदे बताने लगी ताकि वर्किंग सीमा भी अपने होने वाले बच्चे को भरपूर माँ का दूध पिलाये। क्रमशः
   




No comments: