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Monday 4 April 2022

नैमिषारण्य तीर्थ भाग 9 नीलम भागी Naimisharanya Part 9 Neelam Bhagi


हनुमान गढ़ी यहां कुछ ऊँचाई पर हनुमान जी का मंदिर है। यह वह स्थान है जहां हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण को मुक्त किया था और दक्षिण की यात्रा की थी। मंदिर की परिक्रमा करते समय, पीछे यह देखकर बड़ी हैरानी हुई! वहां बड़े करीने से कलावा बंधीं ईंटे रखीं थीं और दीपक जल रहे थे। मैंने जाकर पंडित जी से पूछा तो उन्होंने बताया कि भक्त अपना घर बनाने का सपना लेकर आते हैं और मनौती में ईंट रख जाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर मनौती की ईंट ले जाते हैं। न जाने कितने भक्तों की मनोकामना पूरी होती होगी! तभी तो श्रद्धालुओं के अनुपात में मनौती ईंटों की संख्या कम थी।   



पाण्डव किला इसमें श्रीकृष्ण और पाण्डवों की मूर्तियां हैं। पाण्डवों ने उस स्थान पर तपस्या की थी। यह स्थान पाण्डव किला के नाम से जाना जाता है। पास में ही गऊशाला है। अक्षय कुमार अग्रवाल तो गऊओं को चारा खिलाने चल दिए। वहां के माहौल में शास्त्रीय गायन ने ऐसे समां बांधा हुआ था कि कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। 



बालाजी मंदिर पहुंचे तो देखा भगवान की भक्ति में लीन हिंदुस्तानी वोकलिस्ट राघवेन्द्र सी.एन.(रायचूर) गा रहे हैं। उसी श्ऱद्धा से श्रोता वहां और बाहर दूर तक सुन रहे हैं। जितना समय हम दे सकते थे उतना हमने भी सुना और इतने महान गायक के गायन के बीच से बड़े भारी मन से उठे। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्रवर को समर्पित है। दक्षिण भारत से श्रद्धालु यहाँ पर दर्शन के लिए आते हैं। जो वहां रुकना चाहते हैं मंदिर परिसर में उनके लिए आवास की सुविधा है।


 भारत की चारों दिशाओं में आदिशंकराचार्य जी के द्वारा स्थापित चारों धाम मंदिर नैमिशारण्य में महर्षि गोपाल दास जी द्वारा स्थापित चारों जगन्नाथ धाम, बद्रीनाथ धाम, द्वारिकाधीश धाम, रामेश्वरम धाम के  दर्शन कर सकते हैं।

सूत जी का स्थान एक मंदिर में सूतजी की गद्दी है। वहीं राधा कृष्ण और बलराम जी की मूर्तियां हैं।







़ित्रशक्ति मंदिर में दक्षिण भारत की कलाकृति देखने को मिलती है। यहां की सफाई लाजवाब है। इस मंदिर को देखने के लिए अवश्य समय निकालें। सूर्य, देवी दुर्गा विष्णु जी की मूति देखते ही रह जाते हैं। हमेशा की तरह पता नहीं क्यूं मैं सबसे अलग रह जाती थी। उस्मान मेरे साथ नंगे पांव रहता और मेरे कहने पर फोटो भी ले लेता था। अब हम अधिवेशन स्थल अल्लीपुर पहुंचें। रास्ते में उस्मान ने हरदोई की विशेषताओं के बारे में बताया। संडीला के लड्डू तो बहुत ही प्रसिद्ध हैं। हमारी गाड़ी रात 11.30 की थी। जैसे ही हम पहुंचे पाण्डे सर ने गर्मागर्म समोसे पैटीज़ और चाय कॉफी लगवाई। मैंने पाण्डे सर से पूछा,’’पैटीज़ भी यहां बनी है। वे बोले,’’नहीं ये हरदोई की बेकरी से मंगवाई हैं। समोसा यहां बनाया है।’’ समोसा खाया जिसका कवर मठरी की तरह खस्ता, मसाला बहुत ही गज़ब का भून कर भरा हुआ था।’’ डिनर के लिए खीर कढ़ रही थी जिसकी चारों ओर खूशबू फैली हुई थी। एक मिनी स्कूल बस जा रही थी। उसमें दो सीट खाली थी। मुझे तो हरदोई से अच्छी तरह परिचय करना था इसलिए मैं उसमें बैठ गई। अक्षय कुमार अग्रवाल को भी बुला लिया। छ लोग, सिद्धार्थ मिश्रा और दो अध्यापिकाएं भी उसमें हमारे सामने की सीट पर बैठे थे। वे बड़ी विनम्रता से हमसे बोले,’’डिनर तैयार हो रहा है। आपके लिए गाड़ियां लगी हुईं हैं। इतनी देर आप आराम कीजिए न।’’मैंने कहा,’’आप अपने रुट से जाइए। जहां से स्टेशन पास होगा। वहां हमें उतार देना हमें कोई जल्दी नहीं है।’’वे सब इस अधिवेशन के आयोजन में जी जान से लगे हुए थे। आज घर लौट रहे थे। सब थके हुए थे पर हमें बड़े उत्साह से एक एक जगह के बारे में बता रहे थे। एक एक को घर छोड़ते हुए सम्पन्न शहर हरदोई को हमने अच्छी तरह देख लिया। उन्होंने हमें मशहूर चाट और हलवाई की दुकाने भी बताई। स्टेशन के आगे हमें उतारा। जैसे ही बस गई। हमने ई रिक्शा बुलाया उसे मोनी मैम के बताए भोला हलवाई के यहां जाने को कहा। उसने स्टेशन के पास ही एक गली के आगे रिक्शा रोक कर कहा कि दुकान अंदर है रिक्शा ले जाउंगा तो जाम लग जायेगा। अक्षय जी चले गए मैं सामान के साथ रिक्शा पर बैठी रही। पास ही एक बंद शटर की दुकान के आगे गर्मागर्म इमरती बन रही थी। उसके पास कुछ ही वैराइटी थी। लगातार उसकी दुकान पर ग्राहक थे। मैंने उसे कहा कि मुझे सब कुछ खाना है बहुत थोड़ा थोड़ा दीजिए। उसने हंसते हुए कहा,’’इमरती और गुलाब जामुन तो साबूत दूंगा।’’ और साथ ही मुझे कुरकुरी इमरती पर रबडी डाल कर दी। कढ़ाई वाला तो पूरी लगन से तलने में लगा था। दूसरा ग्राहक अटैण्ड कर रहा था। जैसे ही मैं खत्म करती, दूसरी वैराइटी, एक जलेबी, गुलाब जामुन, गाजर का हलुआ, रसमलाई। पैसे कुल 125रु। सब कुछ बहुत लाजवाब मेरठ और मथुरा की तरह।


मुझे नहीं लगता कि उसका कुछ भी सामान बचता होगा! आधे घण्टे बाद अक्षय जी जितनी उठा सकते थे मिठाइयां लेकर और उससे बतिया कर आए। वेटिंग रुम में प्रवीण आर्य और उनकी पत्नी बैठे थे। साहित्यकार आते जा रहे थे और वेटिंग रुम में भी कवि सम्मेलन शुरु! सोफे कुर्सियां फर्श सब भर गए।


हम अपनी गाड़ी पर बैठ गए। अखिल भारतीय साहित्य परिषद का 16वां राष्ट्रीय अधिवेशन अल्लीपुर हरदोइ मन पर छा गया है। अब 17वें त्रैवार्षिक अधिवेशन के इंतजार में हूं। समाप्त        

।नैमिशारण्य कैसे पहुंचे

लखनऊ के नैटवर्क से बहुत अच्छी तरह जुड़ा है। नियमित बस सुविधा है। या लखनऊ से कैब से भी जा सकते हैं।


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