जोमसोम प्रहरी पोस्ट पर हमारी गाड़ियां रुकीं उन्होंने परमिट लेते हुए पूछा,’’कहां से?’’ भारत सुनते ही बोला,’’जाओ।’’यहां विकास कार्य तेजी से चल रहा था वैस तो पोखरा से जोमसोम तक कि 159 किमी की दूरी पर सड़क निर्माण कार्य लगातार चल ही रहा था। जोमसोम में तो हिमालय ऐग्रो फार्म द्वारा जानवरों से बचाते हुए जालीदार कैबिन में पेड़ पौधे भी लगाने में जुटा हुआ है। जोमसोम नेपाल के गंडकी प्रदेश में 2700 मीटर(8,900 फीट) की ऊँचाई पर है। धौलागिरी और नीलगिरि की ऊँची चोटिया ंतो हैं। काली गंडकी पवित्र नदी इसके बीच से होकर बहती है। जिसके किनारों पर शालिग्राम पाए जाते हैं जो हमारी संस्कृति में भगवान विष्णु के प्रतीक हैं। ये सिर्फ काली गंडकी में ही पाए जाते हैं। यहां की जलवायु के अनुसार कई क्यारियों में तरह तरह की वनस्पितियां बोई हुई हैं। जो बस से देखने पर रास्ते को और भी खूबसूरत बना रहीं हैं। सेब के बाग तो है ही पर उस समय पत्ते झड़े हुए थे लेकिन कुछ पेड़ सिर्फ परपल फूलों से भरे हुए थे। कुछ ही समय में जोमसोम एयरर्पोट आया। यहां से मुक्तिनाथ की दूरी 23.9 किमी. है। पोखरा से जोमसोम की फ्लाइट सुबह आती है जो 20 मिनट में पहुंचा देती है। वही फ्लाइट वापिस जाती है। जो श्रद्धालु आते हैं। वे दर्शन करते हैं एक रात रुक कर अगले दिन जाते हैं। 11 बजे से यहाँ तेज हवाएं चलने लगती हैं। जिसमें प्लेन नहीं उड़ सकता। लेकिन काठमांडू से पोखरा दिन भर फ्लाइट आतीं हैं। कहीं पर सस्पेंशन ब्रिज भी दिखा जो एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर जाने के लिए बना होता है। जोमसोम से गुजरने वाली पगडंडी काली गंडकी नदी का अनुसरण करती हुई दुनियां की सबसे गहरी घाटी बनाती है। यहां हरियाली अधिक नहीं है। लेकिन जिस तरह से कोशिश चल रही है आने वाले वर्षों में हो भी सकती है।
घर यहां की बर्फबारी और हवा से बचाव के अनुसार बने हैं। ज्यादातर दिवारों पर पत्थर चुने हुए थे। लेकिन फ्लैट छत की मुंडेरों पर लकड़ियां चिनी हुई हैं। आबादी के बीच में से निकलने पर रास्ता बड़े बिना किसी शेप के पत्थरों से बना है जो उबर खाबड़ नहीं है। दोनों ओर थकाली खाजा घर यानि रैस्टोरैंट और होटल हैं। आबादी से बाहर आते ही राजू ने बस रोक कर कहा कि बस की खिड़कियां खोल दो। जैसे ही खिड़कियां खोलीं। ऐसा लगा कि सररर करती ठंडी हवा बस को अपने साथ ले जायेगी। कोई धूल मिट्टी नहीं। तभी जोमसोम की हवा पर नेपाली गाने बहुत सुनने को मिले। जोमसोम आने पर यहां की हवा से परिचय होने पर हवाई गाने बहुत अच्छे लगने लगे।
हे हे हे हे हो हो हो हवा सरर
जोमसोमै बजारमा बाह्र बजे हावा सरर
जोमसोमै बजारमा बाह्र बजे हावा सरर
जल्दी से सबने खिड़कियां बंद की और बस चल पड़ी। राजू की ये बहुत बड़ी विशेषता है वो कुछ भी विशेष आने से पहले ड्राइविंग करते हुए बोलता है। जू0 राजू सुनते ही उसी समय देखो देखा करता हुआ यात्रियों की ओर मुंह करके जोर से बताने लगता है जिससे नेपाल और भी प्यारा लगने लगता है। अब बिल्कुल सूखे पहाड़ हैं। धूप और कहीं बादलों के कारण रंग काला, भूरा आदि और कहीं बर्फ भी है। एक ही रास्ते में हमने प्रकृति के कई रुप देखे। अचानक राजू ने बस रोक कर कहा,’’यहां आप सेल्फी ले लो।’’ जैसे ही उतरे खिली हुई धूप साथ ही ठंडी कटीली तेज हवा। मैं तो पोखरा से ही थर्मल पहन कर चली थी। तब भी यहां ठंड लग रही थी। मुझे तो ऐसा लगा कि अपनी पोजिशन हवा की दिशा के अनुसार बदलते रहो। कंघी करने की जरुरत ही नहीं! हवा ही बाल सैट कर रही थी। मैं बंधे बालों से हवा के विपरीत दिशा में खड़ी हो गई तो बालों को हवा ने आजाद करना शुरु कर दिया। मैंने बाल खोल ही दिए बाकि काम हवा ने कर दिया। जल्दी से बस में बैठ कर हुडी पहनी और कंबल जैसी शॉल ओढ़ी। 5 बजे के करीब हम मुक्तिधाम पहुंचे। यहां अंदर केवल पास से छोटी गाड़ी ही जा सकती थी। हमें मोनालिसा होटल में ठहरना था। बाकि गाड़ियां अभी पहुंची नहीं थीं। मैंने अपना झोला उठाया पैदल होटल की ओर चल दी। क्रमशः
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