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Sunday 17 April 2022

पोखरा के दर्शनीय स्थल मुक्तिनाथ की ओर नेपाल यात्रा भाग 8 नीलम भागी Places To Visit in Pokhara Nepal Yatra Part 8 Neelam Bhagi


 

22 मार्च को मौसम ऐसा नहीं था कि पंखा चलाया जाए। मैंने बाल धोए थे। कंबल ओढ़़ कर सो रही थी। बाल सूखे नहीं थे। मैम लंच करके आईं, आते ही पंखा चला दिया। मुझे बहुत जोर से ठंड लगी, जिससे मैं उठ गई और लंच के लिए गई तो वहां आलू के परांठों और दहीं, उस समय और साठ से ज्यादा लोगों में ठीक नहीं बैठा। परांठें एक बार में दो ही सिक रहे थे। मैं ये सोच कर देर से गई कि सब खा चुके होंगे। प्रेशर कूकर इनके पास था ही नहीं। कभी मसाला खत्म हो जाता था और आलू उबल रहे होते थे। यहां महिलाओं की विशेषता थी, कोई भी कूक की मदद करने लग जाती थी। यहाँ भी मिसेज़ कपिल परांठे सेकने में लग गई तीनों हलवाई बनाने में लगे थे। मैंने धूप में ही लंच किया क्योंकि मुझे धूप अच्छी लग रही थी। लंच के बाद पोखरा घूमने जाना था। किसी तरह लंच निपटा साथ ही जो इस गलत मैन्यु पर जो गोष्ठियां चल रहीं थीं वह समाप्त हुईं। 

     सबके बैठते ही गाड़ियां गुप्तेश्वर महादेव की ओर चल पड़ी। आठ झीलों वाला गेटवे ऑफ अन्नपूर्णा सर्कट पोखरा का तो कोना कोना दर्शनीय है। लेकिन विशेष जगहों का अपना महत्व है। काठमाण्डु के बाद यह नेपाल का दूसरा बड़ा शहर है जो गण्डकी अंचल का कास्की जिला के पोखरा घाटी में स्थित पर्यटन केन्द्र है। यह बड़ा शांत, सादगी भरा, प्राकृतिक खूबसूरती से भरा और हिमालयी पहाड़ों से घिरा शहर है। पोखरा बाग्लुंग बेनी सड़क पोखरा को उत्तर पश्चिम के भूभागों(मुक्तिनाथ, मुस्तांग) से जोड़ता हैं।  

   सबसे पहले हम गुप्तेश्वर महादेव मंदिर गये। यह नेपाल का सबसे खास धार्मिक और पर्यटक स्थलों में से एक है। यह गुफावाला मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर तक जाने के लिए घुमावदार सीढ़ियां हैं। गुफा के अंदर फोटो खींचने की सख्त मनाही है। गुफा के अन्दर टपकते हुए पानी में जाने से कुछ अलग सी अनुभूति होती है। इस गुफा के अंदर जाने के बाद एक बड़ी जगह है जहाँ शिवलिंग स्थापित हैं। 





महेन्द्र गुफा का नाम बीर बिक्रम शाह देव के नाम पर रखा था। इस गुफा में इसमें भगवान शिव की एक प्रतिमा के साथ कई स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स हैं। इससे दस मिनट की दूरी पर चमगादड़ गुफा है।

मंदिर की सौ रुपये टिकट है।   





 शांंित स्तूप इसे वर्ड पीस पगोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। हर तरफ पहाड़ ही पहाड़ हैं। यह अनाडू पर्वत पर स्थित है। उनमें बसा यह स्तूप दर्शनीय है। यह बौद्ध स्मारक है जो विश्व शांति को समर्पित है। यहां से फेवा झील भी दिखती है। 




  फेवा झील यह मीठे पानी की नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है। पारदर्शी पानी में पर्वतों के प्रतिबिंब दिखाई देते हैं। पुराना बाजार में स्थानीय हस्तशिल्प, सांस्कृतिक पोशाक और धातु की वस्तुएं आप ले सकते हैं। शाम को हमें मंदिर में आरती देखनी थी हम पहुंचे हल्की बूंदा बांदी हो रही थी पर श्रद्धालु भीगते हुए पहुंच रहे थे। आरती के बाद जैसे ही हम गाड़ी में बैठे। खूब तेज बारिश, सड़कों पर ऐसे पानी हो गया था जैसे बाढ़ आ गई हो। बारिश रुकते ही सड़कों का पानी गायब!

 ट्रैकिंग करने के लिए बहुत बढ़िया जगह है। ज्यादा दिन के लिए जाएं तो इन दर्शनीय स्थानों पर जरुर जाना चाहिए। इंटरनेशनल माउंटेन म्यूजियम, सारंगकोट पोखरा नेपाल, गोरखा मेमोरियल संग्राहलय यह संग्राहलय सुबह 8ः30 बजे से शाम 4ः30 बजे तक खुला रहता है। डेविस फाल पोखरा नेपाल, घोरपानी हिल्स पोखरा नेपाल, ताल बाराही मंदिर, विंध्यवासिनी मंदिर, सेटी गंडकी नदी, डेविस फॉल, अन्नपूर्णा तितली संग्राहलय, झंडों से सजा तिब्बती शरणार्थी शिविर आदि जा सकते हैं। इन सब दर्शनीय स्थलों को अच्छी तरह देखने के लिए समय लेकर आना चाहिए। 

होटल पहुंचते ही डिनर तैयार था। मुझे कुछ बुखार सा लग रहा था। खाना खाया। हमें कहा गया कि सुबह पांच बजे मुक्तिनाथ धाम के लिए निकलना है। सब जल्दी सोने चल दिए। क्रमशः

    

    


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