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Friday 29 January 2021

प्याज़ की हैल्दी कढ़ी 90 प्लस रसोई नीलम भागी Healthy Onion Kadhi Neelam Bhagi



 इसके लिए प्याज़ की लम्बी थोड़ी मोटी स्लाइस काट लेते हैं। कढ़ाई में तेल और प्याज़ स्लाइस मिला कर, सुनहरा होने तक भून लेते हैं। प्याज सिकुड़ जाती है और तेल छोड़ देती है। गैस मंदी करके अब प्याज को कढ़ाई में से पूरी छानने वाले से इस तरह निकाल लेते हैं कि तेल कढ़ाही में बचे। इस तेल में मेथी दाना, जीरा, साबूत धनिया, अजवाइन, कैंची से कटी मोटी मोटी सूखी अखा लाल मिर्च का तड़का लगा कर इसमें  कढ़ी का घोल डाल दो। घोल बनाने के लिए दहीं या खट्टी छाछ(फ्रिज में रखी दो दिन पुरानी, बाहर एक दिन पुरानी) में से थोड़ी सी छाछ लेकर उसमें बेसन डाल कर अच्छी तरह फेंट लेते हैं ताकि बेसन की कोई गांठ न बने। अगर दहीं से बनाते हैं तो बेसन का आठ गुना पानी डलता है। वैसे पतली या गाढ़ी अपनी पसंद अनुसार रख सकते हैं। अब इसे बाकि छाछ में मिला देते हैं। गैस की तेज आंच कर देते हैं। स्वादानुसार नमक और हल्दी डाल कर इसे लगातार कलछी से चलाते रहना है ताकि छाछ फटे नहीं, न ही कढ़ी तले में लगे। उबाल आने पर गैस स्लो कर देनी है। जब उबाल आने बंद हो जाएं और कढ़ी कढ़ने लगे तब पंद्रह मिनट के बाद गैस बंद कर दो।



अब वे भूने प्याज जो तड़के से पहले निकाले थे इसे कढ़ी में डाल दो। हैल्दी कढ़ी खाने के लिए तैयार है।

अब फाइनल टच भी दे सकते हैं, तड़का पैन में देसी घी इतना गर्म करें कि जिसमें बिना धुआं छोड़े लाल मिर्च और हींग भुन जाए और थोड़ी सी कसूरी मेथी डाल कर इसे कढ़़ी में डाल दो।                    


Wednesday 27 January 2021

रसोई के कचरे से ऑरगेनिक लहसुन उगाना नीलम भागी Organic Garlic from kitchen waste!! Neelam Bhagi


 लहसुन से ज्यादा मुझे लहसुन की हरी पत्तियां पसंद हैं। सेहत के लिए तो ये लाभदायक हैं साथ ही ये बहुत से व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाती हैं। इस कारण मैं पूरे साल लहसून उगाये रखती हूं। इस बार मैंने किचन वेस्ट से गमले में उगाया था।

मुझे अच्छे लहसुन के पत्ते मिल रहें हैं। इससे उत्साहित होकर मैंने छत पर खाली आटे की थैली, फैंकने वाली बाल्टी में रसोई का कचरा इक्टठा किया।


दोनों के नीचे ड्रेलेज होल किया। कचरे को अच्छी तरह एक डिब्बे की मदद से दबाया। 60 मिट्टी, 35 वर्मी कम्पोस्ट और रेत मिलाया। कचरे के उपर इस मिट्टी को भर दिया। मोटी कलियों वाले लहसुन लेकर कलियों को अलग कर लिया।

एक एक कली को 3’’ की दूरी पर 1’’गहरा मिट्टी में चपटा सिरा नीचे की ओर और प्वाइंटिड सिरा ऊपर की ओर करके दबा दिया।

हन्हें अच्छे से पानी देकर, दोनों को धूप में रख दिया। ज्यादा पानी नहीं डालती। इसका अपडेट भी पोस्ट करुंगी। https://youtu.be/cGhCCXIHzKw तो गमले में उगाए लहसुन से हरे हरे पत्ते निकलते हैं। हरेक के 5-6 पत्ते होने पर मैं किनारे के दो दो पत्ते कैंची से काट लेती हूं। बीच के नहीं निकाले। इन ताजी पत्तियों को धोकर बहुत ही बारीक काटा, साथ ही गमले से तोड़ कर हरी मिर्च को काटा ,घर में उगाई हैं इसलिये जब मुझे पत्तियां मिलती हैं हरा लहसुन का रायता बना लेती हूं। इस रायते के स्वाद के कारण मैं पूरे साल लहसून उगाये रखती हूं। सब्जी के लिए लहसून बाजार से खरीदती हूं। अक्टूबर से अप्रैल तक पत्ते बहुत अच्छे मिलते हैं बाकि समय काम चल ही जाता है। कभी कभी नीचे गांठ भी मिल जाती है।  

किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा और बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।#Kitchen waste management

Tuesday 26 January 2021

अजवाइन पत्ते के पकौड़े 90 प्लस रसोई नीलम भागी Carom Leaves Fritters Neelam Bhagi

 


हमारी 90 प्लस महिलाएं झटपट एक स्नैक्स तैयार कर देतीं, वह था अजवाइन पत्ते के पकौड़े। इसे बनाने के लिए गमले से अजवाइन के पत्ते तोड़े, अच्छी तरह धोकर सूती कपड़े से पोंछ दिए।


बेसन का गाड़ा घोल बनाया। उसमें स्वादानुसार नमक, मिर्च, धनिया और हींग मिलाया। कभी घोल में हींग न डालकर अदरक, लहसून हरी मिर्च का पेस्ट डाल देतीं और अच्छी तरह मिलातीं। अजवाइन तो इसमें डालने की जरुरत ही नहीं है क्योंकि अजवाइन पत्ते के पकौड़े हैं।

कड़ाही में तेल गर्म करके उसमें पत्ते को बेसन में  लपेट कर पत्ते गर्म तेल में डालतीं।

फूले फूले पकौड़े पत्ते के साइज़ के अलट पलट के सिकने पर निकालती जातीं।  पकौड़े फूले फूले बनते।

जब भी आपको ये पकौड़े खाने हों आप खा सकते हैं।

इसके लिए आप गमले में इसका पौधा लगा लें। हमारी 90 प्लस महिलाओं ने,  जब मैंने इसका पौधा घर में लगाया तो इसके पकौड़े बनाने लगीं। कैसे लगाना है आप इस लिंक पर जाने के लिए कि्लक करें.

https://neelambhagi.blogspot.com/2020/09/ajwain-patta.html

Saturday 23 January 2021

फूलगोभी की खीर 90 प्लस रसोई नीलम भागी Caramelized Cauliflower Pudding Neelam Bhagi


 नाम याद नहीं आ रहा किसी ने कमेंट किया कि आप 90 प्लस रसोई में डायबटिक के लिये भी कोई व्यंजन लिखो। मेरी 90 प्लस महिलाएं डायबटीज़ जानती ही नहीं थी। दिन भर भजन गाती गुनगुनाती काम करती रहती थी। उनकी गोभी की खीर शायद डायबटीज़ वाले खा सकते हैं। घर में गाय तो हमेशा रहती थी। भड़ोली(मिट्टी की बड़ी हण्डिया) में दूध कढ़ता रहता था। गोभी को अच्छे से धोकर आगे के सफेद भाग को कद्दूकस करके भड़ोली के दूध  में डाल देतीं।

चलते फिरते नीचे उपला कोई भी लगा देती। बेवक्त कोई आ जाये तो उसे कटोरा भर के दिया जाता और पूछते कि शक्कर(जैगरी पाउडर) या चीनी। जो जिसकी पसंद होती वह कटोरे में डाल कर मिला देते। ये चीनी नहीं खाती थीं। किसी कथा वाचक ने कह दिया था कि चीनी को सफेद करने के लिये गन्ने के रस में हड़डी का चूरा मिलाते हैं।  किसी को चीनी खाने से रोकती नहीं थी पर आप नहीं खाती थीं। अपने लिए गोभी की खीर निकाल कर उसमें गुड़ या खाण्ड मिलातीं बाकि में चीनी मिला देतीं। मंदी आंच पर वह कढ़ती रहती। शाम तक वह बादामी रंग की रबड़ी जैसी हो जाती। जो बहुत स्वाद लगती। मैं इस तरह बनाती हूं।

एक लीटर फुल क्रीम दूध को उबाल आने पर गैस स्लो कर देती हूं। एक कड़ाही में थोड़ा सा घी डाल कर जो भी मेवा डालना है उसे घी में रंग बदलने तक डाल कर भून कर निकाल लेती हूं। फिर उसमें फूलगोभी के आगे का सफेद फूल कद्दूकस किया हुआ डाल कर थोड़ा भून कर उबलता दूध इसमें डाल देती हूं। गोभी गलते ही खोया या मिल्क पाउडर या कोई घर में रखी बफी या पेड़ा इसमें मिला देती हूं।


कुछ नहीं है तो ऐसे ही खीर को थोड़ा काढ़ लेती हूं।


डायबटीज़ वाले के लिए निकालने के बाद, 

जितनी चीनी मिलानी है, उसे कैरमलाइज़ कर लेती हूं। इसके लिये चीनी को एक बर्तन में गैस पर बिना पानी के चलाती हूं।



सब चीनी पिघल कर ब्राउन शुगर हो जाती है तो इसे गोभी की खीर में मिला देती हूं। जो देखने में 90 प्लस रसोई की खीर जैसी लगती है। ऊपर भूना हुआ मेवा डाल देती हूं। गर्म तो बहुत स्वाद होती है पर ठण्डी लाजवाब होती है।        


Friday 22 January 2021

हैल्दी मसाला मूंगफली 90 प्लस रसोई नीलम भागी Crispy, spicy, healthy, Peanuts Neelam Bhagi

 


हमारी 90 प्लस महिलाओं के नुस्खे बड़े कामयाब थे। सर्दी में हम सफेद कवर की रजाई्र में बैठ कर पढ़ते थे। हम सो न जायें ये स्वेटर बुनतीं थी। सुबह इन्हें जल्दी उठना होता था। हमारा नाश्ता, लंच बॉक्स तैयार करना होता इसलिये सोने से पहले ये मिट्टी का बर्तन लातीं जिसमें छिलका उतरे सफेद मूंगफली के दाने होते थे। जिसे ये कटोरी से हमारे दोनों हाथों की ओक में डालती। ठंड में हमारे हाथ भी गर्म हो जाते, खाते हुए नींद भाग जाती और अम्मा सो जातीं। इसके लिए ये मूंगफली के दानों को कढ़ाई में डाल कर हल्की आंच पर रख देतीं। दूसरे काम करती हुई बीच बीच में इसे अलटती पलटती रहतीं। दाने पट पट कर भूनते रहते।

भूनने के बाद ठंडा होने पर दाने मोटे कपड़े में रख कर पोटली बना कर उसे पटकती, हथेलियों  से उन्हें आपस में रगड़तीं।


जब उनका लाल छिलका उतर जाता तो थाल या सूप में डाल कर उसे फटक देती। सफेद दानों को मिट्टी की हण्डियां में डाल कर थोड़ा नमक मिला देतीं और हण्डिया दादी के आग सेकने के तसले में रख देतीं। जिससे वे गर्म हो जाते। छिलके वे इसलिये उतार कर देतीं कि हम रसाई पर न फैला दें।

मैं भी वैसे ही मूंगफली के छिलके उतार कर उसमें थोड़ा सा घी डाल कर, चाट मसाला और मिर्च मिला कर अच्छी तरह मिक्स कर लेती हूं। घी के कारण मसाला दानों पर चिपक जाता है। और चटपटी मसाला मूंगफली तैयार हो जाती है। छोटे बच्चों के लिए घी और नमक मिलाती हूं। बच्चे बहुत शौक से खाते हैं। प्रोटीन, फाइबर से भरपूर सर्दी में मसाला मूंगफली चाय के साथ सबकी पसंद है।        


Thursday 21 January 2021

लाजवाब आलू गोभी की सब्ज़ी का राज़ 90 + रसोई नीलम भागी Gobhi Aloo from Amma's secret treasure Neelam Bhagi

हमारी 90 + महिलाओं ने चूल्हे और बड़े संयुक्त परिवार के कारण कई झटपट तरकीबें पकाने में खोज लीं। वे नहीं जानती थीं कि जो उनकी आदत थी वे हमारी भी बन गईं। जिससे स्वाद तो बढ़ता ही है और समय भी बचता है। ये तरीके कामकाजी महिलाओं के लिए उपयोगी है। उनकी चूल्हा पद्धति को मैं गैस और प्रैशर कूकर की मदद से प्रयोग में लाती हूं।  जैसे मैं आलू गोभी की सादी सब्ज़ी बनाती हूं उसका स्वाद अलग होता है। सबसे पहले आलू धोकर थोड़ा पानी डाल कर गैस पर तेज आंच पर रख देती हूं। प्रेशर बनने पर जब सीटी नाचती है तो गैस बिल्कुल कम कर देती हूं। दो मिनट के बाद गैस बंद कर देती हूं। भाप नहीं निकालते। इस समय मैं गोभी के फूल को हाथ से अलग, बड़े बड़े टुकड़ों में करके पानी में डाल देती हूं। और प्याज लहसून, अदरक, हरी मिर्च धनिया धोकर काटती हूं। उनका कहना था कि सब्जी काट कर धोने से सब्जी के स्वाद में कमी आ जाती है। उसके गुण पानी में चले जाते हैं।




कड़ाही में तेल डालकर गर्म होते ही इसमें जीरा भूनती हूं फिर लहसून डाल कर गोल्डन होने पर प्याज़ डाल कर भूनती हूं। साथ साथ गोभी को पानी से निकाल कर  और फिर छोटे छोटे टुकड़ों में काट लेती हूं। इसमें जरा भी पानी नहीं रहता। प्याज़ सुनहरा होने पर अदरक डाल कर हल्दी, मिर्च और धनिया पाउडर और गोभी डाल कर चलाते हुए इसमें नमक मिलाती हूं। फिर ढक कर मीडियम आंच पर पकाना है। अब तक आलू का प्रैशर खत्म हो गया। आलू को छील कर टुकड़े काट लेने हैं।



बीच बीच में गोभी को चलाते रहना है। जब गोभी 90 प्रतिशत गल जाये तो इसमें आलू डालें और आलू की मात्रा के हिसाब से नमक डाल कर अच्छी तरह मिला कर, गरम मसाला डाल कर ढक देती हूं और आंच मंदी करती हूं।। पांच मिनट बाद गोभी को चैक कर लिया। यदि गल गई हैं तो बारीक कटा हरा धनिया डाल कर गैस बंद कर दी। इसमें गोभी के फूल टूटते नहीं हैं और अच्छी तरह पके होते हैं। आलू या गोभी को तला नहीं गया है इसलिये प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, सी से भरपूर गोभी, आलू की सब्ज़ी को आप खूब खा सकते हैं।    

 


Wednesday 20 January 2021

गलत जगह गोभी उगाना नीलम भागी Cauliflower needs a sunny Spots !

अपनी उगाई सब्जी को बढ़ता देखने का आनन्द ही अलग होता है। इंतजार के बाद जब ताजा़ तोड़ कर बनाया जाता है तो उसका स्वाद लाजवाब होता है। मुझे गोभी बहुत पसंद है। मैंने भीष्म प्रतिज्ञा करली कि सर्दियों में मैं खुद की उगाई गोभी के परांठे ही खाउंगी। और मैं अपने गोभी उगाने के अभियान में लग गई। मैंने थोड़ी सी जगह तैयार की। बीज और मिट्टी अच्छी अच्छी हो तो पौधे बढ़िया उगते हैं। बीज की दुकान से 50रु का गोभी के बीज का पैकेट खरीदा। दुकानदार का 500रु का दिमाग चाट कर, उससे नर्सरी से हारवैस्टिग तक की जानकारी ली। 70% मिट्टी और 30% वर्मी कम्पोस्ट मिला कर मिट्टी तैयार की। बीज लगाये। उसमें पानी अच्छी तरह दिया। जब  पौधे 4’’ के हो गये । तो पौधों को शाम के समय रोपित कर दिया और पानी दे दिया। हर महीने उसमें वर्मी कम्पोस्ट भी लगाती। रेगूलर गुड़ाई करती। सुबह उठते ही पौधों को घूर घूर के देखती पर आज तक उसमें फूल नहीं आये। एक दिन मैंने माली को बुलाकर उससे फूल न बनने का कारण पूछा। उसने कहा कि धूप न के बराबर है और पौधे पास पास हैं।


दोपहर का समय था मेरे गोभी के पौधों पर अठन्नी चवन्नी जितनी धूप पड़ रही थी। सड़क पार पेड़ की शेड के कारण। गर्मी में मैं वहां चौलाई बोती हूं। धूप होती हैं पर इतनी कम नहीं।  उसने कहा कि कल आकर वह इनमें से फालतू पौधों को कन्टेनर में लगा कर छत पर रख देगा क्योंकि नीचे तो हर जगह पौधे हैं। मैं खुश हो गई कि इसी बहाने मेरी टैरेस गार्डिनिंग शुरु होगी। सामने गुजर रहे सब्ज़ी के ठेले से मैंने गोभी खरीदी और प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, सी से भरपूर गोभी के परांठे बनाने लगी। रैस्पी शेयर कर रही हूं। दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
https://neelambhagi.blogspot.com/2024/08/blog-post_22.html

# Kitchen waste management



किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक   रा रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो। कभी पतली सी थोड़ी सी छाछ डाल दें।और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।

Friday 15 January 2021

फूलगोभी के तीन तरह के परांठे, 90 प्लस रसोई नीलम भागी Stuffed Indian Cauliflower flatbread, Gobi Parantha Neelam Bhagi


 हमारी 90 प्लस महिलाएं गोभी के तीन तरह से परांठे बनातीं थीं तीनों का स्वाद अलग और लाजवाब होता है। ये मसाला बाहर झांकता पंजाबी परांठा बनाना जरा मुश्किल होता है। भरावन की तैयारी बेटियों से करवातीं थीं। 

इसके लिए गठे हुए सफेद फूलगोभी के फूल अच्छी तरह धोकर कद्दूकस किए जाते। इसमें बारीक कटा हरा धनिया, हरी मिर्च, प्याज, अदरक़ और धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर(इसे छोड़ भी सकते हैं)गरम मसाला आदि डाल कर मिला लिया जाता है। इस गोभी के मसाले में थोड़ा हेर फेर करके ही तीनों परांठों में उपयोग होता है। इस मसाले में नमक नहीं मिलाना है।


आटे में नमक आजवाइन मिलाकर अच्छी तरह मल कर मुलायम गुंधना है। जिससे गोभी का मसाला उसमें  धंस जाये। कवर से बाहर झांकने पर भी मसाला अलग नहीं हो। 

पहली तरह का परांठा पहली बार गोभी का परांठा सीखने वाली बनातीं हैं। इसके लिए गोभी के मसाले में कद्दूकस करके इतना उबला आलू मिलाते हैं कि मसाला बाइंड हो जाए और इसमें जीरे का छौंक लगा कर नमक मिला देते हैं। इसके गोले बना कर  आटे की लोई में रख कर कर चकले पर बेलन से बेल कर तवे पर दोनों ओर तेल लगा कर तलते रहते हैं। ये फूले फूले परांठे बनते हैं।



दूसरी तरह के परांठें में गोभी के मसाले( लाल मिर्च नहीं, बारीक कटा थोड़ा लहसून यदि खाते हैं तो मिला सकते हैं।) को बड़ी सी लोई में चकले पर रख कर उसमें नमक स्वादानुसार डाल कर लोई बंद करके हाथों से थपथपा कर, हलके हाथ से बेलते हैं। चकला टेढ़ा करके बड़े ध्यान से पराठा हथेली पर उठाकर तवे पर फैलाते हैं और दोनों ओर तेल लगा कर जब चकत्ते पड़ जाएं तो कम आंच पर क्रिस्पी होने तक सेकते हैं। इसका स्वाद बहुत अलग होता है।




तीसरी प्रकार के परांठों में गोभी के मसाले में आटा नमक और आजवाइन मिला कर सख्त गूंध लेते हैं क्योकि नमक मिलने से गोभी पानी छोड़ने लगती है। इसलिये जल्दी  जल्दी रोटी की तरह लोई बना कर उसमें घी या तेल लगा कर फिर रोटी की तरह बेल कर तवे पर दोनों तरफ तेल लगा कर सेकते हैं।


मैं अपने खाने के परांठों को सेकने में कम घी लगाती हूं क्योंकि मुझे परांठे देसी घी, मक्खन या मलाई के  साथ खाना अच्छा लगता है।  

       



     


Thursday 14 January 2021

मां बेटी और कोरोना नीलम भागी Mother, Daughter & Corona Neelam Bhagi

रात को सोने से पहले और सुबह उठते ही विदेश में रहने वाली अपनी बेटी उत्कर्षिणी का मैसेज़ देखती हूं। 27 दिसम्बर को सुबह उसका मैसेज़ था कि उसे कोरोना हो गया है। मैसेज पढ़ते ही मैंने उसे कॉल किया। वह बताने लगी कि उसकी बेटी गीता का शायद स्कूल खुलेगा। उससे पहले सब पेरेंट्स का कोरोना टैस्ट होगा। वह अपना टैस्ट करवाने चली गई। राजीव जी और गीता बाद में करवा लेंगे। हॉस्पिटल से फोन आया कि वह कोरोना पॉजिटिव है। मैं चिन्ता कर रही कि कैसे मैनेज़ होग? गीता तो अभी छ साल की है। बेटी बोली,’’गीता बहुत रो रही है कि मैं उसे 15 दिन तक गले नहीं लगा सकती। मेरे कमरे में उसे आने को मना कर रखा है। आज तो सामने कुर्सी पर बैठने की बजाए स्टूल लाकर कमरे की जो हमने लक्षमण रेखा खींची है। वहां बैठी है।’’

यहां मुझे भी चैन नहीं था। मेरी 92साल की अम्मा मुझे लैपटाप खोलते न देखकर, रात को परेशान हो गई। मैं पढ़ती लिखती हूं। वे मेरे बराबर सोती हैं। ज्यादातर मैं पढ़ते हुए सो जाती हूं। वे ही रात में लाइट बंद करती हैं। उनके पूछने पर मैंने बताया कि उत्कर्षिणी को कोरोना हो गया। उन्होंने अपनी पूजा का समय और बढ़ा दिया। सारा परिवार उत्कर्षिणी के ठीक होने की और राजीव जी, गीता के ठीक रहने की प्रार्थना करने लगा और इतनी दूर से कर भी क्या सकते थे? श्वेता अंकुर दिन में मुझे कई बार फोन करते।

 राजीव जी चाय के सिवाय कुछ बनाना नहीं जानते। गीता के जन्म पर राजीव जी हॉस्पिटल से आते तब हॉस्पिटल मैं जाती थी। एक दिन दाल बनाई। कूकर में प्रैशर था, दाल का छौंक साथ ही रक्खा था। वे आ गए। मैं छौंक दाल में मिलाए बिना चली गई। अगले दिन उत्कर्षिणी मुझसे पूछती है,’’मां कल आपने क्या बनाया था? मैंने राजीव जी से पूछा था कि आज क्या खाकर आए हो? उन्होंने बताया कि काली उबली हुई दाल थी, सब्जी पता नहीं किस चीज की थी उसमें नमक नहीं था। हम दोनों हसने लगीं कि दाल अलग खा ली। छौक सब्जी समझ कर खा लिया। लेकिन अब बेटी से पूछ कर खाना बनाना भी सीख रहे थे। यहां से जो काढ़ों की रैस्पी जा रही थी, उसे भी तीनों के लिए बना रहे थे। नखरों से खाने वाली गीता पापा का बनाया खाना खा और काढ़ा पी रही थी। 

गीता को राजीव जी ने समझाया है कि जब मम्मा को हग करना हो उन्हें आवाज लगाना, वह सब काम छोड़ कर बेटी को हग करेंगे। मैं उत्कर्षिणी के साथ विडियो कॉल पर थी। इतने में रसोई से कुछ टूटने की आवाज़ आई। साथ ही अंगुली पर कट लिए गीता, लक्ष्मण रेखा पर खड़ी थी यह सोच कर कि अब तो मां उठ कर दौड़ेगी। पर मां कि जगह पापा दौड़े आए। शुक्र, मामूली कट था!! बैंडेड लगा दिया। वह समझ गई है कि उसे भी सहयोग करना है। मां को खुश रखना है। झाड़ू लगाती मां के कमरे के आगे ही कूड़ा बाएं से दाएं और दाएं से बाएं करती।   


     

 एक्सरसाइज़ करके दिखाती मौका देखते ही लक्ष्मण रेखा पार करने लगती तो....


गाना सुनाती 


खाना भी वहीं मां के सामने खाती


नाटक करके दिखाती 


गीता मां को हग करने के लिए एक एक दिन गिनती और मैं स्वस्थ उत्कर्षिणी को उसकी बेटी को हग करते हुए देखने के लिए एक एक दिन गिन रही थी और वह दिन आ गया।  



Friday 8 January 2021

गाजर की पौष्टिक कढ़ी 90 प्लस रसोई नीलम भागी Carrot Curry Neelam Bhagi

हमारी 90 प्लस महिलाएं बच्चों को सब्जी़ खिलाने पर बहुत ध्यान देतीं हैं। मसलन जो बच्चे गाजर की सब्जी नहीं खाते, उनके लिए वे गाजर की कढ़ी बना देतीं। विटामिन A. C. K.और पोटेशियम, आयरन, बीटा कैरोटीन से भरपूर गाजरों को  छील कर अच्छी तरह धोकर बारीक काट लेते हैं। खट्टी छाछ(फ्रिज में रखी दो दिन पुरानी, बाहर एक दिन पुरानी) में से थोड़ी सी छाछ लेकर उसमें बेसन डाल कर अच्छी तरह फेंट लेते हैं ताकि कोई बेसन की कोई गांठ न बने। अब इसे बाकि छाछ में मिलाकर स्वादानुसार नमक, हल्दी और गाजर के टुकड़े डाल कर गैस पर चढ़ा कर, गैस की तेज आंच कर देते हैं। इसे लगातार कलछी से चलाते रहना है ताकि छाछ फटे न। उबाल आने पर गैस स्लो कर देनी है। जब उबाल आने बंद हो जाएं और कढ़ी कढ़ने लगे तब उसे बीच बीच में चला दें। कढ़ी को तब तक काढ़ें जब तक गाजर न गल जाए। पतली गाढ़ी आप जैसी पसंद करते हैं बनाएं। गाजर गलने पर तड़का लगायें।

  अब तड़का पैन में तेल गर्म कर के उसमें मेथी दाना डालें, मेथी का रंग बदलने पर जीरा, सूखे साबुत धनिये को चकले पर रख कर बेलन से दो टुकड़ो में करके या मोटा कूट कर डालें, कैंची से कटी मोटी मोटी सूखी अखा लाल मिर्च का तड़का लगा कर इस तड़के को कढ़ी में डाल दो। 2 मिनट के  बाद गैस बंद कर दो। हैल्दी कढ़ी खाने के लिए तैयार है।

अब फाइनल टच भी दे सकते हैं, तड़का पैन में देसी घी इतना गर्म करें कि जिसमें बिना धुआं छोड़े लाल मिर्च पाउडर ंऔर हींग भुन जाए और थोड़ी सी कसूरी मेथी डाल कर इसे कढ़़ी में डाल दो।

इस कढ़ी के फायदे


वैसे तो इसमें बारीक कटी गाजर डालते हैं। पर मैं बड़े टुकड़े डालती हूं क्योंकि जो गाजर की सब्जी नहीं खाते उनको परोसने से पहले उसमें से गाजर निकाल कर उनकी कढ़ी में रायते की बूंदी डाल देती हूं। उनकी बूंदी कढ़ी में गुणवान गाजर के कुछ तो गुण उनके पेट में भी जाते होंगे। ये सोच कर खुशी मिलती है।

डाइटिंग करने वाले इस फाइबर से भरपूर कढ़ी से ही पेट भरते हैं क्योंकि इसे खाने के बाद बहुत देर तक भूख नहीं लगती। छाछ की खटास और गाजर की मिठास दोनो का मेल बहुत अच्छा लगता है। मैं तो खाते समय इसमें बारीक कटी हरी मिर्च और जरा सा काला नमक मिला कर खाती हूं। खट्टा, मीठा, नमकीन तीखे का ये मेल मुझे तो बहुत पसंद है।   



Wednesday 6 January 2021

गार्डनिंग में बच्चे की उर्जा का सदुपयोग ! नीलम भागीChannelize your child's energy ..productively!! Neelam Bhagi


बच्चे में बहुत उर्जा होती है। उसने कुछ न कुछ करना ही है, उसमें चाहे तोड़ फोड ही क्यों न हो!! नये खिलौने से भी वह जल्दी बोर हो जाता है फिर और दो। अगर बच्चे को मोबाइल दे दो फिर तो कोई समस्या ही नहीं है। जब उससे मोबाइल छिनो तो वो चीख चीख कर रोता है क्योंकि रोना उसका अस्त्र है जिसे वह शस्त्र की तरह उपयोग करता है। मां बाप ढाई साल के बच्चे को प्ले स्कूल में भेज कर इनकी दिनचर्या व्यवस्थित करते हैं। लेकिन छोटे से अदम्य को दीदी ने अपने साथ काम पर लगा लिया। दीदी ने सफाई की। उसने उसके साथ एक झाड़ू लेकर लगाया। वो बर्तन करने लगी तो सुबह जल्दी में श्वेता बैंक, शाश्वत स्कूल और अंकूर ऑफिस जाते समय,  कोई जूठा बर्तन इधर उधर छोड़ गए तो अदम्य लाकर किचन में रखता जाता। दीदी डस्टिंग करती, वह भी कपड़ा लेकर करता है। घर में कैमरा लगा हुआ है। यह देख कर अंकूर श्वेता हंसते कि मोबाइल देखने से अच्छा है दीदी की मदद करना। अंकूर श्वेता ने मोबाइल देने और टी.वी. दिखाने के लिए दीदी को सख़्ती से मना किया हुआ है। उनके घर लौटने पर टी.वी. चलता है। राशन से मोबाइल मिलता है। कोरोना काल में स्कूल बंद हैं।


  प्रैप में पढ़ने वाले अदम्य की ऑनलाइन क्लास 10 बजे से 11 बजे तक चलती है। जिसे वह बड़े बेमन से अटैंड करता है क्योंकि उसे स्कूल जाना पसंद है। क्या करें! मजबूरी है कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं। अदम्य एक घंटे की क्लास में गुड मार्निंग टीचर करने के बाद, मन मार कर बैठता है। इसी समय उसे सू सू भी आता है। खूब पानी भी पी लेता है।


क्लास खत्म होते ही वह दीदी की मदद करता है। दीदी बहुत समझदार है। अदम्य की उर्जा का सदुपयोग करती है इसलिए वह सोमवार से शुक्रवार मेथी, बथुआ, पालक आदि हरे पत्तेदार सब्जियां और मटर लेती है। जिसे तोड़ने छिलने में चटाई पर बिठा कर बड़े प्यार से अदम्य की मदद लेती है।


अदम्य बड़ी लगन से मेथी तोड़ता है। छुट्टी के दिन अंकूर श्वेता घर में होते हैं। अदम्य को कोई काम नहीं होता तो वह अपनी उर्जा शैतानी में लगाता है मसलन घड़ी तोड़ कर रसोई में छिपना आदि।

अब अंकूर श्वेता ने बालकोनी में र्गाडन बनाया है जिसमें अदम्य छुट्टी के दिन उनकी मदद करता है और प्राकृति से जुड़ता है। बच्चे की उर्जा के सदुपयोग का पाठ उन्होंने कैमरे की सहायता से दीदी को बिना बताए दीदी से सिखा है।