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Wednesday 10 January 2024

जीवन शैली और जीवन मूल्य दोनों ही बदल रहे हैं प्रो. लल्लन प्रसाद (अध्यक्ष कौटिल्य फाउएडेशन, लेखक कवि, अर्थशास्त्र और राजनीतिक विश्लेषक, मैनेजमैंट गुरू Part 2

 


प्रो. लल्लन प्रसाद (अध्यक्ष कौटिल्य फाउएडेशन, लेखक कवि, अर्थशास्त्र और राजनीतिक विश्लेषक, मैनेजमैंट गुरू) 

  भारत के प्रति पश्चिम का दृष्टिकोण अब बदल रहा है। भौगोलिकरण के कारण विश्व एक होता जा रहा है। जीवन शैली और संस्कृतियों का मिलन तेजी से हो रहा है। खानपान , रहन सहन, वेशभूषा, तीज त्यौहार मनाने के तरीके सभी प्रभावित हो रहें हैं। सब की सीमाएं अपने देश तक न सीमित रहकर दूर दूर तक फैल रहीं हैं। जीवन शैली और जीवन मूल्य दोनों ही बदल रहें हैं। भारतीय जीवन शैली का विदेशों में बढ़ने का एक बड़ा कारण है विश्व के कोने कोने मेे प्रवासी भारतीयों का होना। भारतीय नवयुवकों का अध्ययन के लिए विदेश में जाना, भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रबंधकों, प्रोफेसरों, डॉक्टरों, कलाकारों और उच्चशिक्षा प्राप्त विशेषज्ञों का बड़ी संख्या में विदेशों में जाकर बसना और वहाँ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देना, अपनी सामाजिक और पारिवारिक परंपराओं, जीवन मूल्यों का पालन करते हुए सभी धर्मों, संप्रदायों के साथ मिलकर रहना भारतीय लोक जीवन शैली को दुनिया के कोने कोने तक ले जा रही है। योग अब भारत तक सीमित नहीं है दुनिया के अधिकांश देशों के लोग इसकी उपयोगिता समझने लगे हैं और इसे अपने जीवन शैली का अंग बना रहें हैं। शाकाहारी खाने का प्रचलन बढ़ रहा है। शाकाहारी रैस्टोरैंट दुनिया के अधिकांश शहरों में खुलने लगे हैं। भारत में मनाए जाने वाले वाले त्यौहरों के प्रति जैसे दीपावली होली आदि के प्रति आर्कषण बढ़ रहा है। लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक जो भारत आते हैं और यहाँ के तीज त्यौहारों को मनाते हुए देखते हैं और स्वभाविक रूप से आर्कषित होते हैं। उदाहरण के लिए वृदावन में होली के अवसर पर विदेशी पर्यटकों में आम लोगों के साथ होली खेलने का उत्साह देखा जाता है। अमेरिका, और इंग्लैंड के राज्य अध्यक्षों के निवास पर भी अब दिवाली मनाई जाने लगी है। भारत के बड़े बड़े त्यौहार विश्व भर में फैल रहें हैं जिसमें वहाँ के नागरिक भी रूचि लेते हैं। भारत की जीवन शैली और रहन सहन में जो विविधता है, वह अन्य देशों में देखने को नहीं मिलती। उदाहरण के लिए यहाँ का खान पान, जैसे उत्तर भारत की कढ़ी चावल, पूरी सब्जी, दक्षिण भारत की इडली डोसा आदि दुनिया भर के वैजिटेरियन रैस्टोरैंट में उपलब्ध हैं और वहाँ के निवासी समय समय पर बड़े चाव से उनका स्वाद लेने पहुँचते हैं। भारतीय महिलाओं की पोशाक, उनके श्रृंगार के तरीके, वस्त्र आभूषण, विदेशी महिलाओं को आकर्षित करते हैं। संयुक्त परिवार के प्रति पहले जो विदेशियों में भ्रम  था वह अब दूर हो रहा है। बच्चों महिलाओं, बड़े बूढ़ों को संयुक्त परिवार जो सुरक्षा देता है वह सरकारी व्यवस्था में संभव नहीं है। इसका अहसास उन्हें भी हो रहा है। भारतीय मनीषियों का चिंतन कि सारा विश्व एक परिवार है। धीरे धीरे पश्चिम के लोगों को भी समझ आ रहा है। क्रमशः

यह आलेख मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित इंगित पत्रिका के राष्ट्रीय संगोष्ठी विशेषांक से भारतीय जीवन शैली का वैश्विक रूप से लिया गया है।

 





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