जिस दिन से लॉकडाउन हुआ है, मेरी सहेली रानो का कोई फोन नहीं आया। मैंने ये सोच कर नहीं किया कि पति और दोनो बेटे घर पर हैं इसलिये नहीं किया होगा। होम मेकर है पति के ऑफिस और बेटों के कॉलिज जाने पर अपने खाली समय में फोन कर लेती थी। आज मैंने फोन करके पूछा,’’आजकल तो जब जी चाहा सो कर उठती होगी। न समय पर ब्रेकफास्ट तैयार करने और लंच पैक करने, बेटों के कॉलिज से लौटने पर गर्म लंच बनाना, अब लॉकडाउन तक.... मैं आगे कुछ बोलती वो तो बीच में ही फट पड़ी बोली,’’ झाड़ू, पोचा, बर्तन खुद ही करना पड़ रहा है। बाप, बेटे जब घर आते इन्हें व्यवस्थित घर मिलता था। इन तीनों से मैंने कभी काम नहीं करवाया। कभी बिमार भी पड़ी तो बाई से खाना बनवा लिया या रैस्टोरैंट से मंगवा लिया। अब काम निपटा कर जैसे ही दो मिनट सांस लेने को बैठती हूं ,पति की चाय या कॉफी की फरमाइश, बना कर ले जाओ तो यार पकौड़े बना ला। जितनी देर में पकौड़े बन कर आये। तो कहेंगे,’’ इसके साथ एक कप चाय और हो जाये।’’बेटे मोबाइल पर रहते हैं, पकौंड़े देखते ही तोहमत लगानी शुरु,’’ हमारी तो तोंद निकल आयेगी, न कहीं आना न जाना। मॉम हमारे लिए तो पापड़ भून लाओ।’’ कोई नाश्ते, लंच, डिनर का समय नहीं। किसी भी वक्त कुछ भी मांग लेना। मैं एक मिनट भी फ्री नहीं हो पाती। बेटों को जब कहती हूं कि मोबाइल बंद करके, मेरी मदद करो। तो मेरे गले में बांह डाल कर जवाब,’’आप इतना काम मत किया करो। रहने दो ना, घर को ऐसे ही। लॉकआउट में कोई मेहमान तो घर आयेगा नहीं। हमारे बस का नहीं है, औरतों वाले काम करना।’’फिर दुखी शक्ल बना कर कहने लगे, ’’मम्मा हम घर में कितना बोर हो रहें हैं!! इंटरनैट के सहारे टाइम पास हो रहा है। अगर इंटरनैट न हो तो सोचो!!’’ मैं बोली,’’बेटा, तब तुम म्यूजिक लगा देना, तुम्हारी बोरियत दूर करने के लिए मैं नाच दिया करुंगी।’’दोनों एक दूसरे की शक्ल देख कर हंसते हुए बोले,’’मम्मा, आप भी बस।’’
मैं अंकूर के घर गई। सुबह बर्तन, सफाई के लिए मेड आई। छोटे से अदम्य में ने उसके साथ एक झाड़ू लेकर लगाया।


