ज्यादातर साग, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां सर्दियों में होतीं हैं। लेकिन हरी और लाल चौलाई गर्मी और बरसात में खूब होती है। मैं अपने यहां के बीज की लोकल दुकान से लाल चौलाई का पैकेट खरीद कर लाई। पहली बार बो रही थी। इसलिए कैसे बोना है? ये भी दुकानदार से समझा। जो भी समझा उसे अपनी मैमोरी में फीड करके आ गई। जैसे कोई नया कपड़ा खरीद कर उसे तुरंत पहनने को बेचैन हो जाता है, ऐसे ही मैं बीज घर में लाते ही तुरंत बोने की तैयारी में लग जाती हूं। पर उस समय मेरे पास कोई कंटेनर नहीं था। दुकानदार ने कहा था कि इसके लिए गहरे पॉट की जरुरत नहीं है। मैंने सोचा घर में होंगे इसलिए पॉट नहीं खरीद कर लाई।
अब सामने जो डब्बा, थैली, बोल दिखा उसमें ही ड्रेनेज होल करके बोने की तैयारी करने लगी। 50% मिट्टी, 40% वर्मी कम्पोस्ट और 10% रेत मिला कर पॉटिंग मिक्स तैयार करके डब्बा, थैली और बोल में भर दिया। इस पर बहुत थोड़े बीज छिड़क दिए। ताकि उगने वाले सभी पौधों को उचित स्पेस मिले। और हल्के हाथों से थपथपा कर दबा दिया। अब इन बीजों को हल्की मिट्टी से ढक दिया। पानी अच्छी तरह दे दिया ताकि बीज सैट हो जायें। 5 से 6 दिनों में अंकुरण भी हो गया। थैली वाली चौलाई थैली के अंदर हरे रंग की बढ़ने पर बाहर आते ही लाल होनी शुरु हो गई है। बोल और डब्बे की लाल ही हैं।
खनिज विटामिनो से भरपूर, उगाने में आसान चौलाई को उगता देखकर, अब मैंने जमीन पर क्यारी तैयार करके बोया है।
किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।
अब सामने जो डब्बा, थैली, बोल दिखा उसमें ही ड्रेनेज होल करके बोने की तैयारी करने लगी। 50% मिट्टी, 40% वर्मी कम्पोस्ट और 10% रेत मिला कर पॉटिंग मिक्स तैयार करके डब्बा, थैली और बोल में भर दिया। इस पर बहुत थोड़े बीज छिड़क दिए। ताकि उगने वाले सभी पौधों को उचित स्पेस मिले। और हल्के हाथों से थपथपा कर दबा दिया। अब इन बीजों को हल्की मिट्टी से ढक दिया। पानी अच्छी तरह दे दिया ताकि बीज सैट हो जायें। 5 से 6 दिनों में अंकुरण भी हो गया। थैली वाली चौलाई थैली के अंदर हरे रंग की बढ़ने पर बाहर आते ही लाल होनी शुरु हो गई है। बोल और डब्बे की लाल ही हैं।
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