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Tuesday, 8 November 2022

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक झांसी यात्रा भाग 1 नीलम भागी

 

 मैं जब भी यात्रा से लौटती हूँ तो मुझ पर यात्रा लिखने का भूत सवार रहता है। इधर मेरा यात्रा वृतांत लिखना समाप्त होता है, तब तक दूसरी यात्रा में जाने का प्लान बनने लगता है। लेकिन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के आयोजन में जाने से मैं कुछ सीख कर ही लौटती हूं। ये नहीं लिख सकती कि क्या सीखती हूं! झांसी यात्रा लिखने में एक महीने का विलंब हो गया। हुआ यूं कि मुझे यहाँ से बहुत पुस्तकें मिलीं। 


अब ये उपन्यास और कहानी संग्रह तो है नहीें, जिन्हें शुरु किया और समाप्त कर लिया और साहित्य एकेडमी लाइब्रेरी में जाकर लौटा आई। ये मेरी पुस्तकें हैं। इन्हें पढ़ते हुए हाथ में पेंसिल रखती हूँ, अण्डरलाइन करती हूँ। आज उत्कर्षिनी का फोन आया। उसे मेरे स्वास्थ्य की चिंता हो गई। घुमा फिरा कर पूछने लगी कि मैं लिख क्यों नहीं रही हूँ!! मैंने उसे आयोजन में मिली किताबें दिखाई। उसने कहा,’’मैं आपकी झांसी यात्रा पढ़ने का इंतजार कर रहीं हूं। पढ़ने का तो आपको शौक़ है पर लिखो भी न।’’ और मैं लिखने बैठ गई।    डॉ. साधना बलवटे(राष्ट्रीय मंत्री) का अखिल भारतीय साहित्य परिषद की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक में झांसी पहुंचने का आमन्त्रण था।

   भारतीय भाषाओं का देशव्यापी राष्ट्रीय संगठन अखिल भारतीय साहित्य परिषद की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक के आयोजन में पहुँचने के लिए सभी प्रांत अध्यक्ष/ महामंत्री/ सहमंत्री /मीडिया प्रभारी को आमंत्रण पत्र मिला।  

’समस्त प्रदेश प्रांत मीडिया प्रमुखों की बैठक 08 अक्तूबर 2022 शनिवार को( एक दिन की) प्रातः 09.00 बजे से सायं 6.00 बजे तक झाँसी(उत्तर प्रदेश) में तय हुई है। 9 अक्तूबर को अखिल भारतीय साहित्य परिषद की लेखक समूह की बैठक है। डॉ0 महेश पाण्डे ’बजरंग’ जी को अपने आगमन और प्रस्थान की सूचना दे दें।’ मैंने डॉ0 महेश पाण्डे जी को टिकट पेस्ट कर दी। कार्यक्रम से पहले डॉ. साधना बलवटे जी का फोन और मैसेज फिर आया। उन्होंने बताया कि हमारा स्टे कहाँ होगा और स्टेशन से हमें ले जाने की व्यवस्था है। फिर डॉ0 पवनपुत्र बादल जी(मार्गदर्शक,राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री) ने ग्रुप में होटल रॉयल रिर्सोट का गूगल मैप भेजा और लिखा कि स्टेशन से उसकी दूरी 10 किमी. है और बस स्टैण्ड से 6 किमी. है। यानि, मुझे कोई चिंता नहीं। 

हमारे प्रवीण आर्य जी(राष्ट्रीय प्रचार मंत्री) का फोन आया,’’नीलम जी आपने झांसी की टिकट बुक करवाली, नहीं करवाई तो डॉ. नृत्यगोपाल शर्मा (मीडिया प्रमुख दिल्ली प्रांत) करवा रहें हैं, उनके साथ करवा लो।’’ जवाब में मैंने उनको भी टिकट पेस्ट कर दी। 

 7 अक्टूबर को दोपहर बाद जाना था और 9 बजे रात्रि की गाड़ी से 10 अक्टूबर को सुबह लौटना था। प्रेरणा शोध संस्थान से प्रकाशित पत्रिका ’केशव संवाद’ के लिए लेख 10 अक्टूबर तक देना था। मैं जाने से पहले लेख भेजना चाह रही थी, उसी में लगी हुई थी। क्योंकि  लौटने पर तो मेरे दिमाग में झांसी छाई रहेगी। 6 अक्तूबर को मैंने लेख पूरा कर लिया पर ये सोच कर नहीं भेजा कि कल फिर पढ़ कर भेजूंगी। पैकिंग करके लैपटॉप खोल कर लेख पढ़ने बैठ गई और उसमें खो गई। प्रवीण आर्य जी का फोन आया,’’नीलम जी आपने डॉ. महेश पाण्डे जी को फोन कर दिया कि आप रात 9 बजे झांसी पहुंच रही हो, नहीं किया तो कर दो।’’लेख भेज कर, मैंने तुरंत पाण्डे जी को फोन किया।

  मुझे परिषद् का ये पारिवारिक माहौल बहुत पसंद है, जिसमें मेरे जैसी को समझाते भी हैं। मेरी आदत है स्टेशन के लिए घर से जल्दी निकलने की और मैं नौएडा से निजामुद्दीन दिल्ली स्टेशन के लिए निकल गई। क्रमशः