ये सभी 90 प्लस मेरे परिवार की महिलाएं बेस्वाद खाना तो बनाना ही नहीं जानती थीं। जब कोई खानदान में नई बहू आती तो लजी़ज सादा खाना खाकर, इनके पास डायरी कॉपी लेकर रेस्पी लिखने बैठती तो इन्हें लिखवाना नहीं आता क्योंकि इनकी उंगलियां ही चम्मच है। नमक मसालों का नाप पर इत्ता सा, जरा सा, थोड़ा सा बतातीं। जब बहूरानी मन में खीज़ कर डायरी बंद कर देती तब वे मुस्कुरा कर कहतीं,’’बिटिया जैसे चिड़िया के बच्चे मां को देख कर उड़ना सीख जाते हैं न, वैसे ही हमारे परिवारों की लड़कियां खाना बनाना सीख जातीं हैं। जो मन से बनाती है उसका स्वाद होता है और जो बनाना है तो बनाती है उसका बनाया खाना, पेट भरने लायक होता है। मैंने देखा खाना बनाने में इनका कोई र्हाड एण्ड फास्ट रुल(Hard and Fast rule) नहीं है। पर धुएं वाले चूल्हे के समय से आज के आधुनिक यंत्रों पर पकाते हुए ये आंच से समझौता नहीं करतीं। अवन, माइक्रोवेव में भी सबसे पहले टैम्परेचर समझतीं हैं। किसी भी खाने की चीज से कुछ भी बना देतीं हैं। जो बहुत ही स्वाद होता है। बस नाप जोख बताने मेें असमर्थ हैं। कैसे बता सकती हैं भला!! मसलन
हमारे घर में करोंदे के पेड़ हैं। 93 साल की अम्मा के समय से कच्चे हरे करोंदे हरी चटनी में पड़ते हैं। अब जितने तोड़ने लायक हुए उतनी चटनी बन गई। बचे तो काट कर आम के आचार में डाल दिए। उसमें आम के टुकड़े खाए जाने तक ये गल जाता है। अब वो करोंदे का आचार हो जाता है। पेड़ पर करोंदे खत्म होने पर भी कुछ करोंदे पत्तों काटों में छिपे रहते हैं। पकने पर गहरे लाल रंग के होने पर दिखते हैं। जो पकते जाते हैं वे दिखते हैं तो तोड़ लिए जाते हैं। अब ये तोले तो नहीं जाते कि इनमें कितने मसाले पड़ेंगे!
करोंदों की संख्या के अनुसार ही गैस पर पैन रखा मीठी चटनी में सरसों का तेल नहीं डालते। रिफाइंड डाल कर गर्म होने पर उसमें जीरा डाला। जीरा भुनते ही धोकर पोंछे हुए साबूत करोंदे उसमें डाल दिए। साथ ही चीनी या गुड़ और स्वाद अनुसार नमक मिर्च और हिलाते जाना। चीनी पिघलती हैं करोंदे फट जाते हैं। उनका लाल रस चीनी में मिल जाता हैं। ये सब कम से कम आंच पर करना हैं। अब गैस बंद करके उसमें गरम मसाला और काली मिर्च पाउडर डाल कर मिला लेते हैं। ये बहुत लजी़ज़ चटनी जिसमें खट्टे मीठे और तीखेपन का मेल लाजवाब होता हैं। जब पहली बार गहरे लाल जामुन जैसे करोंदे देखे तो यह रेस्पी यू ट्यूब, गूगल पर नहीं खोजी गई थी। अपने आप बन गई। इसे खाने के लिए छिपे हुए पके करोंदे तोड़ने के लिए, कांट न चुभें, मुझे बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है।
चटनी की तस्वीर उत्कर्षिनी को भेजें उसने रेसिपी पूछ ली। अभी U. S. A में उत्कर्शिनी ने craneberry sauce बनाई है, गीता चाट चाट कर खा रही है।
करोंदे के पेड़ लगाने के लिए पढें लिंक https://neelambhagi.blogspot.com/2020/08/blog-post.html?m=1
2 comments:
Zaroor try karungi, husband kuch din pehle hi cranberry ka bada packet le aaye samjh nahi aa raha tha ki kya Karun uska.
हार्दिक धन्यवाद
Post a Comment