मैं यात्रा में किसी से डिबेट तो करने आई नहीं थी इसलिए मैं मोबाइल में लगी हुई थी। मैम ने होटल में प्रवेश करते ही पहले वाई फाई कनेक्ट करवाया था, उसी समय मैंने भी करवा लिया था। मैम बाथरुम से निकली और धड़ाम से गिर गईं। फटाफट उन्हें उठाया, लिटाया बालों को चैक किया कहीं खून तो नहीं निकल रहा है और चोट तो नहीं आई। पर कोई निशान नहीं था। भगवान को धन्यवाद किया कि हड्डी वगैर नहीं टूटी। इस बीच मैम ने अंग्रेजी बोलना बंद करके भद्दी गालियां मसलन मादर... बहन....और कुछ उनकी अपनी शायद मौलिक अश्लील गालियां थीं क्योंकि वैसी गालियां मैंने आजतक नहीं सुनी थी। महात्मा बुद्ध की धरती का शायद मेरे ऊपर असर था, मुझे किसी पर गुस्सा नहीं आ रहा था। हांलाकि मैंने देख लिया था कि जो वे अपने साथ बाथरुम स्लीपर लाईं थीं, उसका सोल बिल्कुल घिसा हुआ था। गीली चप्पल से जैसे ही उन्होंने फर्श पर पैर रखा शायद उस कारण से फिसल गईं। होटल की भी स्लीपर थीं उन्होंने शायद उसे देखा नहीं था। जब वे शांत हुईं। तब उन्होंने आज्ञा दी बोली,’’जाओ गुप्ता को बुलाकर लाओ।’’ मैं नीचे जाकर गुप्ता जी को बुला लाई। गुप्ता जी के आते ही उन्होंने धमकाना शुरु कर दिया कि वे पता नहीं क्या क्या कर देंगीं। मैं गुप्ता जी को देखती रही, वे वैसे ही हंसते मुस्कुराते रहे। जब वे बोल बोल कर थक गईं। तो उन्होंने पूछा,’’आपने चाय पी?’’ मैम फिर चालू,’’इतना समय हमें आए हो गया, कोई चाय देने नहीं आया।’’गुप्ता जी बोले,’’मैं अभी लाता हूं।’’ और बाहर निकलते हुए बोल गए कि सब लोग डाइनिंग हॉल में चाय पी आए हैं न। मैंने तो गाड़ी में ही चाय पी ली थी। मैं अब तैयार होने में लग गई, पैकिंग भी कर ली और मोबाइल लेकर लेट गई। वो अंग्रेजी में दहाड़ी,’’देख कर आओ, गुप्ता अब तक चाय लेकर क्यों नहीं आया?’’ नीचे आकर देखती हूं रिसेप्शन में सिम लेने वालो की भीड़ है और मनी एक्चेंज वालों की। गुप्ता जी देखते ही बोले,’’अभी चाय लाया।’’ऊपर आते ही मैंने कहा,’’आ रही है चाय।’’और मैं लेट गई। वो एक 5रु का बिस्कुट का पैकेट और एक 10रु वाला नमकीन का पैकेट खोल कर खाने लगीं और बताने लगी,’’ वो दिल्ली एयरर्पोट पर पहुंची कोई रिसेप्शन के लिए नहीं था। मैं मैट्रो से रेलवे स्टेशन पहुंची। रेलवे स्टेशन पर मुझे कहा कि बी 2 डिब्बे के आगे पहुचों। ट्रेन में बिहार के लड़के छुट्टी पर घर जा रहे थे। मैंने उन्हें अपना र्काड दिखाया। वे मेरी बहुत रिस्पैक्ट कर रहे थे। ये स्नैक्स भी उन्होंने ही मुझे दिए हैं।’’ वो गाली सिर्फ हिन्दी में देती थी बाकि वह हिन्दी का उपयोग बिल्कुल नहीं करती थी। गुप्ता जी चाय लेकर आ गए। अब वह फिर चालू चाय पीती जा रही थी और बोलती जा रही थी कि अब चाय पी रही है तो डिनर कब करेगी! उसके डिनर का समय निकल गया है। अब वह डिनर नहीं करेगी। गुप्ता जी ने दो दो कप हमें चाय पिलाई। और चले गए। अब उसने मुझे अपनी लग्ज़री कश्मीर यात्रा सुनाई। और कई बड़ी बड़ी अपने से संबंधित घटनाएं सुनाईं। मैंने ध्यान से सुनी। अब वह उठ कर बाहर गई और आते ही बोली,’’सबके रुम बंद हैं और लगेज़ बाहर रखा है। जाओ देख कर आओ। डिनर चालू है।’’मैं देख आई और उसे बताया सब डिनर कर रहें हैं। अब उसने जल्दी से सामान निकाला और बोली,’’खाना खत्म न हो जाए।’’और फटाफट नीचे चली गई। मेरा हल्का सा तो लगेज़ होता है। मैं साथ ही ये सोच कर ले आई की अब मैं डिनर के बाद बस में बैठ जाउंगी। ऊपर नहीं जाउंगी। नीचे मैम गुप्ता जी के साथ रिसेप्शन में सोफे पर बैठीं थी। गुप्ता जी ने मुझे भी बुलाया। मेरे बैठते ही वहां हमारे लिए खाना सर्व होने लगा। मैं तुरंत उठ कर यह कहते हुए डाइनिंग हॉल में चल दी कि मैं वहां खाउंगी। क्रमशः
2 comments:
यात्रा वृत्तांत का वर्णन अपने बहुत सुंदर तरीके से किया है इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद, आभार तिवारी जी
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