Search This Blog

Friday 6 May 2022

चितवन से काठमांडु नेपाल यात्रा भाग 24 नीलम भागी


अंधेरा हो गया था। बस चली तो कुछ देर सहयात्री भूले बिसरे गीत गाते रहे। मेरे लिए भी बाहर देखने को अंधेरा था। दस बजे काठमांडु पहुंचने की उम्मीद थी। डिनर में क्या हो? जो जल्दी बन जाए। हरीश जी इसमें लगे थे ताकि नाज़िर रास्ते में सामान ले ले। गुप्ता जी मेरे पास बैठ गए और कहने लगे कि इन आठ लोगों की वजह से सारा शैड्यूल बिगड़ गया है। मैंने कहा कि पहले दिन सीटों को लेकर बेमतलब क्लेश हुआ!! अब कोई सीट के लिए परेशान करता है! नहीं न। आप बुकिंग के हिसाब से सबको पहले ही सीट नम्बर दे देते तो ऐसा नहीं होता। सीट न0 के हिसाब से ही होटल के रुम की चाबी देते। अब वैसा होने में परेशानी है क्योंकि सबकी अपने हिसाब या जो मिलीं वैसी सीटें हैं। जिस प्वाइंट पर गाड़ियां उतारती हैं। उससे पहले बताना चाहिए कि यहां 3 घण्टे का समय है। इतने बजे बस चल कर अमुक प्वाइंट पर पहुंचेगी वहां 2 घण्टे रुकेगी। जो छूट जायेगा वो अपने खर्चे पर अमुक प्वाइंट पर पहुंचे। क्योंकि जब ग्रुप में यात्रा कर रहें हैं तो किसी की देरी से सब लोग क्यों परेशान हों। आपने देखा कि मैं  खाने के समय लास्ट में होती हूं पर कहीं जाने को जितने बजे बोला जाता है। वहां होती हूं कभी इंतजार नहीं करवाया। गुप्ता जी ने सब बातें लिख लीं। काठमांडू आने से पहले ही दूर से जगमगाती रोशनियां दिखने लगीं। राजू ने एक रैस्टोरैंट के आगे गाड़ी रोकी और बोला,’’यहां चाय कॉफी पी लो। वो देखो जाम इसे खुलने में कम से कम दो घण्टे लगेंगे। पहाड़ियों से घिरा शहर है। सामने ऊंचाई पर देखा दो स्टैप में जाम है। वीकएण्ड है यहां साप्ताहिक छुट्टी शनिवार को होती है। इसलिए खूब ट्रैफिक था। ख़ैर गाड़ियां चलीं। अब तुरंत हरीश जी ने मैन्यु बदल कर वन पॉट डिश कर दिया। यानि दाल, चावल, सब्ज़ियों को मिला कर खिचड़ी की तरह क्योंकि अब दो घण्टे और लेट हो गए हैं। जू0 राजू काठमांडु का वर्णन करता जा रहा था देखो देखो लेफ्ट में रानी पोखरा। राइट में देखो 2015 में भूकंप आने से ये सब गिर गया था और नया बन गया ये भी बनेगा। वो देखो दरबार स्क्वायर, राइट में पशुपतिनाथ मंदिर और सामने ही अंदर पशुपति प्लाज़ा होटल पर गाड़ियां रुकीं। लगेज़ उतरना शुरु हो गया। हमेशा की तरह रुम लेते समय बदगमनी फैली। हमें डबल शेयरिंग वाले रुम अंदर एवरेस्ट होटल में मिला। बाहर आते ही मैम ने बड़बड़ाना शुरु कर दिया। सर्विस ब्वाय इतनी रात में बार बार आकर सामान उठाने आता झट से फाइव स्टार, सखि या मैम अपना उठवातीं। मैं अपना सामान खुद उठा कर चलती रही। वह एक चक्कर और लगाने आता तो और देर होती। सामान उठाने के चक्कर में, मैं पानी की बोतल न उठा सकी। ये सोचा कि डिनर के लिए आउंगी तो लेती जाउंगी। होटल अच्छा था सेकण्ड फ्लोर पर रुम था। फाइव स्टार उसकी सखि और हमारा रुम बराबर में था।

   दरवाजा खुलते ही मेरा मन हो रहा था कि मैं डिनर के लिए भी न जाउं बस सो जाउं। मैम को सर्विस ब्वाय मिल गया हड़क दिखाने को। वे शुरु,’’ मुझे मग बाल्टी चाहिए।’’ उसने नल, शॉवर, ठंडा पानी, गर्म पानी चलाना सब समझाया उसने समझा। पर उसे तो मग बाल्टी ही चाहिए। उसने कहा,’’आपको सुबह नहाने से पहले मिल जायेगी।’’ मैम बोली,’’मैं तो अभी नहा कर सोउंगी।’’मुझसे ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह फाइव स्टार के रुम में झांक कर आई जो हमारे रुम में नहीं था। सब उसे उसी वक्त चाहिए था। मैं बाहर आ गई। देखा सखि भी बाहर खड़ी इनकी हरकतें देख रही है। मेरी उनकी टेबल पर नज़र पड़ी। उस पर 5 पानी की एक ली. बोतलें रखीं देख, मैं खुशी से बोली,’’अरे आपके पास पानी है। उसी वक्त फाइव स्टार आकर बोली,’’ये पांचों खुली हुई हैं।’’सखि को उसका ऐसा मना करना शायद बुरा लगा। सर्विस ब्वॉय बाल्टी मग लेकर आया। तो उसे डांटा,’’डबल रुम है तो दो साबुन क्यों नहीं है? ये उसको नीचे से ऊपर चक्कर कटवाने में लगी हुई थी। अंग्रेजी टेप तो चालू था। मैं ये देख कर परेशान की ये बैड डबल है और एक डबल कंबल। इंटरकॉम की जगह मैं खुद रिसैप्शन पर गई कि हमें अलग बैड वाला रुम दो। वो बोले,’’कोई भी रुम नहीं है सॉरी।’’ मैंने सोचा की फाइव स्टार मुक्तिनाथ से लौटते समय अपने सोशल वर्क का बखान कर रही थी। हांलाकि मुफ्त का पानी देने पर उसने अपना सोशल वर्क दिखा ही दिया है। फिर भी मैंने उनके रुम में जाकर कहा,’’ आपके बैड अलग हैं। आप दोनों सहेलियां हो, प्लीज़ हमसे रुम चेंज कर लो।’’ सखि ने इशारे से बताया कि वो तैयार है फाइव स्टार से भी पूछ लो। फाइव स्टार ने पूछने का मौका ही नहीं दिया। वह बोली,’’मैं यहां कमर्फटेबल हूं।’’ मैं अपने रुम में आई। सर्विस ब्वॉय से इसने 22डिग्री पर ए.सी चलवाया। वह गया और उसने लाकर मुझे अलग कंबल दे दिया। डिनर के लिए फोन आ गया। वहां गए। मैं खाने लगी। किसी ने मुझे कहा कि आपको प्रणाम है जो उसके साथ रुम शेयर करती हो, और तुरंत टॉपिक बदल दिया। देखा तो पीछे मैम खड़ी है। मैं तो कभी नहीं जानना चाहती कि कौन मेरे बारे में क्या कह रहा है? क्रमशः     




  


No comments: