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Tuesday 10 May 2022

गुह्येश्वरी देवी शक्तिपीठ की ओर नेपाल यात्रा भाग 28 नीलम भागी Nepal Yatra Part 28




  पशुपतिनाथ जी के दर्शनों को जाते समय और लाइन में लगे हुए मैं यहां का वास्तु शिल्प देख रही थी। लौटते समय मैं फर्श को देखते हुए चल रही हूं जिसके पत्थरों पर सूरज की किरणें पड़ने से उनमें हल्की अलग सी चमक थी। घिसाई ऐसी नहीं थी कि कोई फिसले। मैंने फोटो ली।


अब तो मैं फर्श को ही देखते हुए चल रही थी। एक महिला परिवार के साथ बड़ी खुशी से रांग साइड आ रही है। मैं फर्श पर निगाहें गढ़ाए उसका अध्ययन करते चल रहीं हूं। अचानक उससे टकराते हुए बची। वह बैग संभालते एक दम बोली,’’शुक्र हमारा लक्ष्य बाती बच गया, नीचे गिर जाता जो!!’’मैंने लक्ष्य बाती की फोटो ले ली और चल दी।

अचानक चंद्रा कौशिक ने आवाज़ लगाई,’’इधर से नीलम।’’मैं उनके पास गई। उन्होंने अण्डर पास दिखाया। वहां तक सड़क तक पहुंचने में सीड़ियां टूटी हुई थीं। चंद्रा जी ढलान के पास खड़ी सोच रहीं थीं। एक लड़का आया उसने सहारे से उन्हें चढ़ाया क्योंकि नेपाली लोग मदद को हमेशा तैयार रहते हैं।


चंद्रा कौशिक अण्डर पास के रास्ते से मुझे लाई जो मुझे नहीं पता था। सुबह हैवी ट्रैफिक में बड़ी मुश्किल से रोड क्रास की थी। हम बतियाते हुए चल दीं। होटल पर नाज़िर से मैंने पूछा,’’ज्यादा से ज्यादा कितनी देर तक मैं लंच के लिए आ सकती हूं।’’उसने कहा कि 3 बजे तक। सामने मुझे मंजुषा कौशिक मिल गईं। मंजूषा बड़ी सौम्य, कम बोलने वालीं पर बहुत ही सटीक बोलतीं हैं। जिसे सुन कर मैं मुस्कुराए बिना नहीं रहतीं हूं। मैंने उन्हें रात वाला, फाइव स्टार सोशल वर्कर का पानी का किस्सा सुनाया। सुनते ही मंजुषा ने हैरानी से मुझसे ही प्रश्न किया,’’पाँचों बोतल खुलीं हैं का मतलब! क्या वह पाँचों बोतल से एक साथ पानी पीतीं हैं?’’ मैं हंसते हुए सोने के लिए चल दीं। रिसेप्शन से चाबी लेकर रुम में सोई। अभी आंख ही लगी थी कि मैम आ गईं। दरवाजा खोला और मैं फिर सो गई। मैम के अंग्रेजी टेप से उसी समय नींद खुली क्योंकि वह तो मुझ पर चिल्ला रहीं कि मैंने बाथरुम में टावल जहां टांगा हैं। जब वह नहाएंगी तो वे अपना टॉवल कहां टांगेगी? मैंने नींद में ही कहा,’’जब आप नहाएंगी तो मैं हटा दूंगी न।’’वह बोली,’’मैं तो अभी नहाउंगी।’’मैं यह कहते हुए टॉवल उठाने उठी,’’ रात 2 बजे भी आपने यह कह कर बाल्टी मग मंगवाया था कि आप अभी नहाएंगी पर नहाई तो नहीं थीं। देखिए मैं आपको अच्छी तरह समझ रहीं हूं। सामने वाले को आप हड़कातीं हैं जिसके पीछे पता नहीं आपका क्या मकसद है? जो मुझे जानना भी नहीं है। हां मैंने पहली बार 70 +अश्लील गालियां देने वाली महिला देखी है। मुझ पर रोब मत जताना, समझी।’’टॉवल दूसरी जगह टांग कर मैं सो गई। इंटरकॉम लगातार बज रहा था। 2.30 बजे थे। मैं नीचे गई गुप्ता जी मुझे देखते ही बोलने लगे,’’न आप लंच करने आईं। मैंने नेपाली गोल गप्पे का ठेला लगवाया, आप खाने नहीं आईं।’’ वहां गई तो दोनों छोटी गाड़ियां गुह्येश्वरी देवी काठमांडु जाने को तैयार हैं। दोनों बसें तो मेन रोड पर खड़ी होती हैं। मेरा इंतजार हो रहा है। ये देखकर मैं बहुत शर्मिंदा हो रही हूं। गुप्ता जी ने हलवाई से कहा,’’मेरे लिए खाना लगाकर लाए।’’मैं सबका और समय नहीं खराब करना चाह रही थी। मैंने कहा,’’ब्रेकफास्ट में ब्रेडपकोड़े बहुत अच्छे बने थे। दो खा लिए थे इसलिए लंच नहीं करना है।’’गुप्ता जी नहीं माने तो मैंने कहा,’’बस थोड़ी सी सब्ज़ी खा लूंगी।’’जल्दी से सब्ज़ी निगल कर मैं तेजी बस के लिए चल दी। बसे जा चुकीं थी। मैं मुड़ी, गुप्ताजी गाड़ी लिए खड़े मुझसे पूछ रहे,’’कहां चली गई थीं? आपके लिए गाड़ी रोकी हुई हैं। देखा फाइव स्टार सोशल वर्कर को पिछली सीट पर भेज दिया,’’मुझे ड्राइवर यादवजी के बराबर की सीट पर बिठाया और गाड़ी चल पड़ी। घना बसा,  बहुमंजली इमारतों वाले काठमांडु से मैं परिचय करती जा रही हूं। खाने पीने की दुकानों पर ज्यादा भीड़ दिखी। एक किलोमीटर पर हमारी खाली बसें खड़ीं थीं। मैं भी गाड़ी से उतर कर बागमती का पैदल पुल पार करके गुह्येश्वरी देवी मंदिर की ओर चल दी। क्रमशः     


      


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