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Friday 27 May 2022

विकास! जनकपुर से सीतामढ़ी नेपाल यात्रा 41 नीलम भागी Nepal Yatra Part 41 Neelam Bhagi



विकास दिख रहा है। जब मैं 2018 में सीतामढ़ी से जनकपुर आयी थी तो यहाँ सौर्न्दयीकरण किया जा रहा था इसलिये हमें बहुत खराब रास्ता मिला था। खराब सड़क जीरो माइलेज़ से शुरू हो रही थी। एक घण्टे में 10 किमी. की रफ्तार से गाड़ी चल रही थी। लौटते में  वही बिना स्ट्रीट लाइट के धूल मिट्टी की सड़क थी, सूरज डूब रहा था। गाय बकरियाँ झुण्डों में अपने डेरों में लौट रहीं थी। धूप नहीं थी शायद इसलिये जगह जगह साप्ताहिक बाजार लगे हुए थे। जहाँ लोग अपनी जरूरत का सामान ले रहे थे।  





      लेकिन आज! लाजवाब सड़क पर गाड़ी दौड़ रही है। अगर कोरोनाकाल न आया होता तो और भी सौन्दर्यीकरण हो गया होता। इतने में नाज़िर को फोन आ गया कि सुनीता अग्रवाल का मोबाइल मिल गया है। सुनकर बहुत अच्छा लगा। मैं तो वैसे ही हंसमुख, मेहनती, ईमानदार नेपालियों से बहुत प्रभावित हूं। कहीं भी जूते चप्पल के लिए टोकन नहीं दिया पर कभी किसी की चप्पल नहीं खोईं। मोबाइल मिलने से तो जाते जाते यहां की ईमानदारी से और भी प्रभावित हो गई हूं।  कानपुर की रेखा गुप्ता सखियां तो मोबाइल मिलना सुनते ही खिल गई। 


    जनकपुर से सीतामढ़ी  35 किमी. पूरब में एन.एच 104 पर भिट्ठामोड़ भारत नेपाल सीमा पर स्थित है। सीमा खुली है।


अब हम अपने देश में आ गए हैं। भारत नेपाल का संबंध तो रोटी बेटी का है। दुकानों के नाम भी संबंध दिखाते हैं। मसलन भारत नेपाल साड़ी संगम!

रामायण काल में मिथिला राज्य का यह महत्वपूर्ण अंग बिहार के उत्तर में गंगा के मैदान में स्थित यह जिला नेपाल की सीमा से लगा है। यहाँ की बोली बज्जिका है जो मिथिला और भोजपुरी का मिश्रण है। हिन्दी उर्दू राज काज की भाषा एवं शिक्षा के माध्यम की भाषा है। दिमाग में पौराणिक सुनी, पढ़ी कथाएं भी चल रहीं हैं। आँखें रास्ते की सुन्दरता, जगह जगह प्राकृतिक पोखरों को देख रहीं है।  यहाँ हो रहे विकास का बालरूप भी देखने को मिल रहा है। उम्मीद है कि ये विकास युवा भी होगा। सीतामढ़ी सांस्कृतिक मिथिला का प्रमुख शहर एवं जिला है। यह हिन्दुओं का बिहार में प्रमुख तीर्थ एवं पर्यटन स्थल है जो लक्षमना(लखनदेई) नदी के तट पर स्थित है। हमारा होटल स्टेशन के पास है। अब हम भीड़ वाले शहर में चल रहें हैं। यहां दुकानों के नाम सीता जी के नाम पर हैं। मसलन जानकी मिष्ठान आदि। एक जगह रास्ता डाइर्वट कर रखा था और नियम तोड़ने पर एक हजार रू का जुर्माना है। बस रोक कर पुलिस जी से पूछने गए। उन्होंने दूसरा रास्ता  बता दिया। उस रास्ते पर गए। गूगल की मदद ली, डेढ़ घण्टा बस से खेतों में भी भटके। फिर भीड़ में गए। थाने के पास बस रोकी। हेमंत तिवारी और हरीश गुप्ता जी पुलिस जी से पूछने गए की होटल कैसे जायें? उन्होंने कहा कि स्टेशन पर टैªफिक जाम हो जाता है इसलिए भारी वाहन बस वगैरह सब बंद कर देते हैं। वही जुर्मानेवाली जगह पर जाकर बस से उतरो। ई रिक्शा पर सामान के साथ बैठो और जाओ होटल। अब जहां से डाइर्वट हुए थे। वहीं लौटे। ई रिक्शा से होटल पहुंचे। रूम में गए। अब मैम कुछ नहीं बोलीं। मैं जाते ही लेट गई और मोबाइल पर लग गई। चाय बिस्कुट मिल गए और खाना बनने लगा। मैम मोबाइल पर जोर जोर से किसी से बातें करती हुई कह रहीं हैं,’’जब मैंने उसको अपना कार्ड दिखाया तो उसका पेशाब निकल गया।’’ पर अब गालियां नहीं दे रही हैं। होटल के आगे ई रिक्शा की लाइन लग गई। 300 रू तय हुआ कि वह 5 सवारियां बिठाएगा सीतामढ़ी के मंदिर दर्शन करायेगा। हम 5, मैं, रोशनी, सुरेखा, राजकली, सरला ही रह गए तो एक शेयरिंग ऑटो आ गया। उसे गुप्ता जी ने जाने को कहा,’तो बोला ,’’मैं तो 500 रू लूंगा सवारियां चाहे 12 बैठ जायें।‘‘ मैं उससे समझने लगी कि वह इसमें 12 सवारियां कैसे बिठाएगा! गुप्ता जी बोले,’’तुझे 500 ही मिलेंगे और ये पाँचों ही जायेंगीं। जल्दी कर सबके साथ पहले हलेश्वर चल।’’वह मुझे समझाने लगा कि उसका कैसे 12 सवारियां बिठाने का तरीका है। वहां जाम लगने लगा पुलिस जी ने डंडा दिखाया तो वह चला। क्रमशः   


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