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Saturday, 26 April 2025

Main Nida सराहनीय फिल्म नीलम भागी

 


हिंदी, उर्दू  के मशहूर शायर, विभिन्न मनोदशाओं के  कवि , उपन्यासकार, गीतकार निदा फ़ाज़ली पर बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म 'मैं निदा' देखी।  उनको पढ़ना अच्छा लगता है। अपने प्रशंसकों में वे 'शब्द रूप' में हैं। सराहनीय फिल्म 'मैं निदा' देख कर तो और भी अच्छा लगा। उस असाधारण व्यक्तित्व पर फ़िल्म बनाने के लिए टीम को साधुवाद। नीलम भागी 











Friday, 25 April 2025

श्रद्धेय दिवंगत डॉ सूर्यकांत बाली जी की श्रद्धांजलि सभा डॉ. प्रवीण आर्य(राष्ट्रीय मंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद)

 

इंदिरा गांधी कला केंद्र में  पधारे देश भर से सुप्रसिद्ध विद्वान् साहित्यकार एवं लेखक

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् -वैश्विक हिंदी परिवार एवं इंदिरा गाँधी कला केंद्र  द्वारा २४ अप्रैल गुरुवार को इंदिरा गांधी कला केंद्र होटल जनपथ दिल्ली में आयोजित की गई।  श्रद्धांजलि सभा में देश भर से सुप्रसिद्ध साहित्यकार विद्वान् लेखक पत्रकारों श्रद्धांजलि अर्पित की गई।  सबसे पहले प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी का शोक सन्देश पढ़ा गया।  इस क्रम में  भाजपा नेता श्री विनोद तावड़े जी , पांचजन्य के सम्पादक श्री हितेश शंकर जी एवं पूर्व उत्तर क्षेत्र के माननीय संघचालक डॉ बजरंगलाल गुप्ता जी का भी शोक सन्देश पढ़ा गया।  सर्वप्रथम विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी ने अपने प्रचारकीय समय के साथी डॉ सूर्यकान्त बाली जी के साथ अपने संस्मरणों को सांझा किया।  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकुमार भाटिया जी ने उनके साथ गुजारे अनमोल समय चाहे वो डूटा का हो या पत्रकारिता का अनेक संस्मरण सुनाये और श्रद्धांजलि अर्पित की।  डॉ अवनिजैश अवस्थी जी के डॉ सूर्यकान्त बाली जी का सम्बन्ध गुरु शिष्य का रहा है डॉ  अवस्थी संस्मरण सुनाते सुनाते काफी भावुक हो गए।  जितेंद्र बजाज जी, हर्षवर्धन त्रिपाठी जी , अवधेश कुमार जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री संजय पासवान जी महेंद्र पांडे जी एवं प्रभात कुमार जी ने भी भावत्मक श्रद्धांजलि अर्पित की।  वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी जी ने डॉ बाली जी के साथ अनेक अपने संस्मरण सांझा किये।  अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री श्री प्रवीण आर्य जी ने डॉ सूर्यकांत बाली जी के साथ किये गए आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए उनके आंदोलनकारी स्वभाव का व्यक्तित्व बताया।  श्री आर्य ने बताया किस तरह सूर्यकांत बाली जी एवं अवनिजैश अवस्थी के साथ किस प्रकार साहित्य अकादमी के कार्यक्रम में गुरिल्ला प्रदर्शन किया था। डॉ बाली वहां अंगद के पांव जमा कर डट  गए थे।  श्रद्धांजलि सभा में इंद्रा गांधी कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ सचिदानंद जोशी जी ने साहित्य परिषद् एवं वैश्विक हिंदी परिवार का आभार व्यक्त किया कि आपने श्रद्धांजलि सभा परिसर में आयोजित की।  श्रद्धांजलि सभा में सूर्यकांत बाली जी के सदस्य उपस्थित रहे।









Tuesday, 22 April 2025

हम हर तरह से हरियाली.... नीलम भागी



 हम हर तरह से हरियाली बढ़ाएं, 

पानी और बिजली बचाएं। 

पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं 

नीलम भागी #EarthDay ,

Friday, 18 April 2025

अम्मा 95+ की, निरोगी लंबी उम्र का कारण हरकत में बरकत! नीलम भागी

 


  मोबाइल की गैलरी साफ कर रही थी।  स्वर्गीय होने से कुछ दिन  पहले का अम्मा का धूप में बैठकर मटर छिलते हुए फोटो देखकर याद आया। मुझे उस दिन गुस्सा आ गया था। ठंड में ठंडे ठंडे मटर छिलने को मांग रही थीं। मैं मना कर रही थी। वे उठकर खुद घर के अंदर से मटर लेने जाने लगी तो मैंने यह सोचकर उनका मटर छिलने का सेटअप लगाया कि ये तो मानेगी नहीं। उनकी डंडी के साथ पॉलिथीन टांग दिया, उसमें मटर  डालने के लिए, गोदी में उन्होंने मटर रखें। पैरों के पास डस्टबिन और पैर लटका के थक जाती हैं तो छोटा स्टूल, पैर रखने के लिए। अब अम्मा खुशी से मटर छीलने में व्यस्त हो गई क्योंकि अम्मा कभी खाली नहीं बैठी थीं। आंगन पेड़ों से ढका हुआ है वहां धूप नहीं आती, पेड़ों की कटाई छटाई नहीं करने देती थी। इसलिए बाहर धूप में बैठने लगी। जो भी वहां से गुजरा है वह जरुर सोचता होगा की इतनी बुजुर्ग महिला से काम लेते हैं ! वे कुछ न कुछ करती रहती थीं। उनका कहना था कि हरकत में ही बरकत है। उम्र के साथ और मौसम के साथ वे बदलाव करतीं थीं। मसलन सुबह उन्होंने पूजा पाठ जरूर करना है।  गर्मी में नहा कर, सर्दी में नहाना धूप देखकर, समय और दिन बदलकर नहाती लेकिन पूजा पाठ सुबह ही करती फिर नाश्ता करके अखबार पढ़ना।  सबके मना करने के बावजूद किसी न किसी काम में सहयोग देना। मसलन सब्जी काटना, धुले हुए कपड़ों को उलट पलट के जल्दी सुखाना फिर घड़ी करना। आंगन में खूब पत्ते गिरते रहते हैं वहां झाड़ू लगा देना। हम सब ने मान लिया था जो करती हैं उन्हें करने दो। कहते हैं आदत चिता के साथ ही जाती है और उनकी आदत थी 'हरकत में बरकत है'

Thursday, 17 April 2025

सिख इतिहास के ऐतिहासिक क्षण की लाजवाब प्रस्तुति!! नीलम भागी

 

मेरठ में हमारा घर गुरुद्वारे के पीछे था इसलिए शबद कीर्तन की आवाज हमारे यहां आती थी। शबद कीर्तन सुनना  मुझे बहुत अच्छा लगता है।  मेरा जब भी गुरुद्वारा जाना होता है तो मैं शबद कीर्तन के समय जरूर पहुंच जाती हूं।  बैसाखी से एक दिन पहले मेरी बेटी उत्कर्षनी वशिष्ठ अमेरिका से अपनी दो बेटियों को छोड़कर जरूरी काम से, 5 दिन के लिए भारत आई थी। रात को ससुराल में रही। 13 तारीख को हमारे घर 3 घंटे के लिए आई थी। शाम को 6:00 बजे उसकी मुंबई की फ्लाइट थी। उसके साथ एक घंटा और  बतिया लूं , इसलिए मैं उसे एयरपोर्ट छोड़ने चली गई। वहां से सीधे गुरुद्वारा सेक्टर 12 गई। 7:00 से 8 बजे तक भाई चरणजीत सिंह का शबद कीर्तन था जो मेरे पहुंचते ही समाप्त हो गया था। गुरुद्वारा प्रांगण में  नोएडा पंजाबी एकता समिति द्वारा आयोजित बैसाखी उत्सव में बड़ी स्क्रीन लगा रखी थी। गेट के बाजू में खाली सीट देखकर, मैं वहीं बैठ गई। भाई सरबजीत सिंह द्वारा संगीतमय👍 बैसाखी के दिन वर्ष 1699 में दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का बहुत आसान सबको समझ आने वाली भाषा में वर्णन चल रहा था। वे अपने शब्दों को समधुर गायन द्वारा, जिसमें  चिमटे और तबले का ग़ज़ब का साथ था, उस समय के दृश्य को आंखों के सामने खींच रहे थे। सिख इतिहास के ऐतिहासिक क्षण की लाजवाब प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया था। 10:00 बजे उनके समापन पर मेरी तंद्रा टूटी।  घर लौटने से पहले मैंने अपने  प्रिय छात्र मनिंदर सिंह(सोनू) से कहा,"सिख इतिहास की प्रस्तुति मुझे बहुत अच्छी लगी।"सुनते ही वह हमें उनसे मिलवाने ले गया। धन्यवाद वीरेंद्र मेहता अध्यक्ष (नोएडा पंजाबी एकता समिति) का जिन्होंने हमारी तस्वीर ली और हमें भेजी। 




Tuesday, 15 April 2025

गढ़मुक्तेश्वर धाम नीलम भागी

 


17 वर्ष प्रयागराज में रहने के कारण हमारे परिवार को गंगा जी से विशेष प्रेम है। पिताजी का मेरठ में तबादला होने के बाद, मेरी दादी और पिताजी का अंतिम संस्कार भी गढ़मुक्तेश्वर गंगा जी के किनारे किया गया। उम्र के 96वें वर्ष में अम्मा प्रयागराज का कुंभ मेला अखबार में पढ़ती रहती और गंगा जी को याद करती रहती थीं। उनकी भी इच्छा गंगा जी के किनारे संस्कार करवाने की थी। हमारा परिवार उन्हें वही ले गया 6 घंटे वहां हम गंगा जी के किनारे रुके। अम्मा  के फूल गंगा जी में प्रवाहित कर, वहां पवित्र गंगा स्नान कर  लौटे। मैं वहां संस्कार क्षेत्र में घूमती रही। लोगों की गंगा जी के प्रति श्रद्धा भावना भी महसूस करती रही। कुछ दुकानदार तो लावारिस शव  के लिए मुफ्त में लकड़ी भी देते हैं। गढ़मुक्तेश्वर धाम का हमारे धर्म में बहुत महत्व है।

महाभारत काल में हुए 18 दिन युद्ध के बाद की स्थिति से युधिष्ठिर कुछ विचलित हो गए तो श्री कृष्ण पाण्डवों के साथ गढ़ खादर के विशाल रेतीले मैदान में आए। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को पाण्डवों ने स्नान किया और कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तक गंगा किनारे यज्ञ किया। इसके बाद दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीपदान करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। भारत देश भक्ति से जुड़ा हैं। इस दिन बहादुर सैनिक जो भारत के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।  गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा किनारे स्थित देवी गंगा को समर्पित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, गंगा मंदिर, मीराबाई की रेती, गुदडी़ मेला, बृज घाट, झारखंडेश्वर महादेव, कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ गंगा स्नान पर्व भी होता है। गढ़मुक्तेश्वर से 3 किमी की दूरी पर   ब्रजघाट पर्यटन का मुख्य केंद्र है। वर्ष भर केवल ब्रजघाट में ही गंगा स्नान होता है। यहाँ के नवनिर्मित गंगा घाट, फव्वारा लेजर शो,घंटाघर, गंगा आरती,प्राचीन हनुमान मंदिर,वेदांत मंदिर,अमृत परिषर मंदिर आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।

बृजघाट के संस्कार क्षेत्र में बहुत काम की आवश्यकता है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। गंगा मां है और मां का कोई रूप नहीं होता। इसका ये मतलब नहीं की आसपास के परिवेश का ध्यान न दिया जाए। मैंने जो देखा और महसूस किया मुखाग्नि से लेकर कपाल क्रिया तक लोग चुपचाप बैठे, गंगा जी  को निहारत रहते हैं और अपने परिजन को पंच तत्वों में विलीन होते देखते रहते हैं। फिर गंगा जी में डुबकियां लगाते हैं और तैरते हैं। तब तक फूल प्रवाहित करने  का समय हो जाता है। फूल गंगा जी ले जाती हैं और परिवार को दुख को सहने की शक्ति देती हैं।


#garh






Sunday, 13 April 2025

*पंजाबी विकास मंच* द्वारा आयोजित बैसाखी महोत्सव


*पंजाबी विकास मंच* ने दिनांक 12.4.2025 को शाम 7:00 से गुरुद्वारा साहिब सेक्टर-12 नोएडा में बैसाखी महोत्सव के पर्व को पंजाबी संस्कृति के अनुसार बहुत धूम धाम से मनाया।

*बैशाखी* की परम्परानुसार श्रद्धा पूर्वक *शबद कीर्तन विश्व प्रसिद्ध भाई जसप्रीत सिंह जवादी कला वालों द्वारा * किया गया व लंगर* का आयोजन किया गया । 

इस अवसर पर पंजाबी विकास मंच के *चेयरमैन पंजाबी रतन दीपक विग* ने उपस्थित पंजाबी परिवारों को वैशाखी पर्व की महता बताते हुए कहा कि - 


हमारा देश विभिन्न त्यौहारों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। इस गुलदस्ते का एक सुंदर फूल है ‘बैसाखी’। 

वैसाखी पंजाब के कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। वैसाखी एक वसंत उत्सव है जो हर साल 12-13 या 14 अप्रैल को होता है।इस दिन को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। 

इसी दिन सिखों के दसवें *गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी* ने 1699 ईस्वी को आनंदपुर साहिब में ‘पांच प्यारों’ को अमृत छकाकर ‘खालसा पंथ’ की सृजना की थी। पांच प्यारों को अमृत छकाने का मूल उद्देश्य गुलाम मानसिकता की जिंदगी व्यतीत कर रही जनता में ‘चढ़दी कला’ अर्थात जोश और शक्ति की भावना भर कर आत्मबल और शक्ति पैदा करना था ताकि हर प्रकार के जुल्म का डट कर सामना कर सके। इस पंथ के द्वारा *गुरु श्री गोबिन्द सिंह जी* ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी।इस दिन गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। 

बैसाखी के दिन हिंदु समाज की मान्यता है कि देवी गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। इस लिए देश में सबसे बड़े वैशाखी मेलों में से एक हरिद्वार में आयोजित किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। 

वैशाखी पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए लगभग 50 लाख तीर्थयात्री हरिद्वार में ब्रह्म कुंड में आते हैं।

पंजाबी विकास मंच के *डिप्टी चेयरमैन संजीव पूरी**ने बताया कि - 

भारत भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है और इसे दूसरे नाम से खेती का पर्व भी कहा जाता है। किसान इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। 

इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है। किसान इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है। 

इस दिन पवित्र सरोवर  मे स्नान का अपना अलग महत्व है सुबह के समय से ही स्नान आदि के बाद सिक्ख लोग श्री गुरुद्वारा साहेब जाते है। इस दिन श्री गुरुद्वारा साहेब मे *श्री गुरु ग्रंथ साहेब* का पाठ किया जाता है, कीर्तन आदि करवाए जाते है. नदियो किनारे मेलो का आयोजन किया जाता है 

पंजाबी लोग इस दिन अपनी खुशी को अपने विशेष नृत्य भांगड़ा के द्वारा भी व्यक्त करते है. बच्चे बुड़े महिलाए सभी ढोल की आवाज मे मदमस्त हो जाते है और हर्षो उल्लास से नाचते गाते है। 

 उन्होंने  कहा कि पंजाबी विकास मंच का प्रयास  सदैव अपने सभी हिंदू सिख पर्वों  व गुरुओं की शिक्षा को आज की जेनरेशन तक पहुँचाना व उन्हें अपनी संस्कृति से अवगत कराना है। 

कीर्तन के उपरांत गुरु घर की लंगर की सेवा  की गई। सभी पंजाबी परिवार व अन्य उपस्थित गुरु संगत जिनकी संख्या तक़रीबन 600 से अधिक थी लंगर प्रसाद लेकर अति आनंदित हुए और उसकी सराहना की। 

पंजाबी विकास मंच के *संरक्षक जे एम सेठ ** ने संबोधित करते हुए कहा कि हर वर्ष बैसाखी 12-13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है इस दिन से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है । क्योंकि सूर्य स्वयं की राशि मेष में आता है सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करने के बाद स्वयं की राशि मेष में उच्च का होता है सूर्य सभी ग्रहों का राजा है सूर्य के उच्च में आने के कारण इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत *शुभ* मानी जाती है सूर्य के उच्च में आने से जो अलौकिक किरणें सूर्य के द्वारा जो पृथ्वी में आती है वह नदियों में समा जाती है वह वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है  बैसाखी के दिन नदियों में स्नान करने से आभामंडल में तीव्रता आती है और कई रोगो का नाश भी होता है ।

इस वर्ष वैशाखी पर्व को मनाने में विशेष रूप से  

पीवीएम के सरांक्षक जे एम सेठ,  एस पी कालरा , चेयरमैन पंजाबी रत्न दीपक बिग , अध्यक्ष जी०के॰बंसल, डिप्टी चेयरमैन संजीव पुरी,  वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील वाधवा,संजीव बाँधा,हरीश सभरवाल,उपाध्यक्ष-प्रदीपवोहरा,आर के भट्ट,संजय खत्री,कोषाध्यक्ष-अजय साहनी, सचिव-अलका सुद व एस एस सचदेवा,सरोज भाटिया,सह सचिव अमरदीप शाह,रितु दुग्गल व प्रभा जयरथ, ऑडिटर प्रेम अरोड़ा और अन्य पदाधिकारी,देवेंद्र सिंह चावला,राज कुमार नारंग,अमरजीत कौर,सुनील वर्मा,सुषमा नेब,गौरव जग्गी, प्रवीण पासी, शरण चौहान, अंजू मग्गू, विक्की कलसी, सविता अरोड़ा, राजीव चावला, इंद्रपाल खांडपुर, अजय अग्रवाल, आदि पंजाबी समाज के लोगों का स्वागत करने के लिए वहाँ उपस्थित थे। 

इस कार्यक्रम का पूरा प्रबंध करने के लिए  नोएडा के समस्त पंजाबी परिवारों ने तन मन धन से पूरा सहयोग किया। 

दीपक बिग- +91 81303 65436

जे एम सेठ-9810290073









Friday, 11 April 2025

वर्ष प्रतिप्रदा (हिन्दू नववर्ष) पर गोष्ठी नांगलोई के निहाल विहार में संपन्न हुई

 


30 मार्च,न.दि.- इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती,दिल्ली प्रांत (संबद्ध अखिल भारतीय साहित्य परिषद,न्यास) के पश्चिमी विभाग की ओर से वर्ष प्रतिप्रदा (हिन्दू नववर्ष) पर गोष्ठी नांगलोई के निहाल विहार में संपन्न हुई।

कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे दिल्ली प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.विनोद बब्बर,नांगलोई जिला परिवार प्रबोधन संयोजक और मुख्य अतिथि श्री विष्णु गोपाल,विशिष्ट अतिथि डॉ.रजनी मान,मंचस्थ अतिथि और उत्तम जिलाध्यक्ष श्री जितेंद्र सिंह,महामंत्री और पूर्णकालिक प्रचारक धर्म जागरण श्री राजेश भारद्वाज ,शिवराम पार्क नगर प्रौढ़ व्यवसाई प्रमुख श्री राजिंदर जी ,श्री पुनीत जी,श्री शिवकुमार जी ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

अतिथियों को अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ से स्वागत के बाद बाल कवयित्री महक ने सरस्वती वंदना से गोष्ठी का आरंभ किया।कवि अंश द्विवेदी ने वीर रस,लोक कवि बृजभूषण सिंह ने भोजपुरी में तथा युवा कवि रजनीश शुक्ला ने श्रृंगार रस में काव्यपाठ किया।

भजन सम्राट श्री अविनाश अद्वैत ने श्रीराम जन्मभूमि संघर्ष पर गीत गाया तो माहौल राममय हो गया।राजेश भारद्वाज ने देशभक्ति पर गीत गाया तो स्थानीय कवि हरिश्चंद शुक्ला ने सम सामयिक विषय हिंदू नववर्ष और बसंत ऋतु पर शानदार काव्यपाठ किया।

सुविख्यात शायर रमाशंकर शर्मा ने अवधी बोली में श्रृंगार के शेर सुनाए तो सबने प्रशंसा की।जितेंद्र सिंह के दोहों पर खूब तालियां बजीं।अखिलेश द्विवेदी ने सामाजिक एकता पर गीत सुनाते हुए कहा - 

"चमन में एकता की बात यार करते हैं।

अमन और चैन के जज्बात - प्यार भरते हैं।" तो सबने प्रशंसा की।

डॉ.रजनी मान ने अपने संबोधन में  हिंदू नववर्ष का महत्व और बच्चों को साहित्यिक वातावरण देने पर जोर दिया।उन्होंने बाल कवियों को प्रोत्साहन हेतु राशि भी प्रदान की।

विष्णु गोपाल जी ने हिंदू समाज में टूटती परिवार व्यवस्था पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उसे मजबूत बनाने पर जोर दिया और संस्कृति से जुड़ाव की बात कही।

डॉ.विनोद बब्बर ने वर्ष प्रतिप्रदा के महत्व और इसकी प्राचीन परंपरा को इंगित करते हुए भावी पीढ़ी को संस्कारयुक्त बनाने पर बल दिया।

गोष्ठी का संचालन पश्चिमी विभाग अध्यक्ष डॉ. अखिलेश द्विवेदी ने किया।उन्होंने अंत में सभी अतिथियों,कवियों और हिंदी प्रेमी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में 37 की संख्या थी।

रिपोर्ट - पिंकी द्विवेदी








Thursday, 10 April 2025

नवसंवत प्रतिपदा के शुभ अवसर पर संगोष्ठी

 


आज दिनांक तीन अप्रैल २०२५ को इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के केशव पुरम विभाग द्वारा ज्ञान प्रकाश सरस्वती मंदिर विद्यालय, मीरा बाग , नई 

दिल्ली के प्रांगण में नवसंवत प्रतिपदा के शुभ अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम विद्यालय की आचार्यों द्वारा सरस्वती वंदना एवं माता की एक भेंट से आरम्भ हुआ। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय मंत्री श्री प्रवीण आर्य द्वारा की गई। 

डॉ नीलम राठी, राष्ट्रीय महामंत्री ने हिंदू  नववर्ष की विशेषताएँ बतायीं। श्री भारत भूषण ने नववर्ष की ऐतिहासिकता का महत्व बताया। 

श्री अक्षय कुमार अग्रवाल एवं श्री वीरेश बग्गा ने भी अपने विचार रखे। 

श्री अखिलेश द्विवेदी और संगोष्ठी संचालक , प्रदेश मंत्री डॉ सुनीता बग्गा द्वारा नववर्ष के भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किए। 

अंत में अध्यक्ष श्री प्रवीण आर्य ने वक्ताओं के उद्बोधन का सारांश एवं समिति की सूचनाएँ भी दीं। 

सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री कमल किशोर जी के निधन पर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 

कल्याण मंत्र द्वारा सभा का समापन हुआ।

सुनीता बुग्गा जी प्रांत मंत्री 






*देश के प्रमुख साहित्यकारों की ओर से स्व.डॉ कमल किशोर गोयनका जी को श्रद्धांजलि* डॉ विनोद बब्बर


अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में देश-विदेश से प्रमुख साहित्यकारों ने स्वर्गीय डॉ कमल किशोर गोयनका को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके विशिष्ट योगदान को श्रद्धा से स्मरण किया । इस श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्वों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, भारतीय भाषा परिषद के अध्यक्ष श्री चम्मू कृष्ण शास्त्री, शिक्षा संस्कृति न्यास के संगठक श्री अतुल कोठारी, विद्या भारती के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ प्रचारक श्री लक्ष्मी नारायण भाला,  दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामशरण गौड़, साहित्य अकादमी हरियाणा के पूर्व निदेशक डॉ पूरनमल गौड़, संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य और प्रो नीलम राठी,  प्रसिद्ध विचारक इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष डॉ अवनिजेश अवस्थी, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ विनोद बब्बर भी शामिल थे। 

डॉ रामशरण गौड़ ने गोयनका जी से अपने दीर्घकालीन संबंधों को स्मरण किया तो डॉ अवनीजेश अवस्थी ने प्रेमचंद और  प्रवासी साहित्य में गोयनका जी के असाधारण योगदान तथा राष्ट्रवादी विचारधारा से उनकी प्रतिबद्धता की चर्चा की। अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरियाणा के मार्गदर्शक डॉ पूरणमल गौड़ ने हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से गोयनका जी को आजीवन साहित्य साधना सम्मान देने तथा हरिगंधा के विशेषांकों में गोयनका जी के विशिष्ट योगदान की चर्चा की। श्री प्रवीण आर्य ने साहित्य परिषद के संगठन मंत्री श्री श्रीधर पराड़कर जी की ओर से गोयनका जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कुछ वक्ताओं ने गोयनका जी की स्मृति में व्याख्यान माला आरंभ करने का सुझाव भी दिया ।









 केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र दुबे एवं डॉ सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने सभी उपस्थित साहित्यकारों का आभार प्रकट करते हुए डॉक्टर गोयनका की स्मृति में केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से स्मारिका प्रकाशित करने की घोषणा की। इस अवसर पर स्वर्गीय कमल किशोर गोयनका जी के परिवारजनों की भी उपस्थिति रही।