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Wednesday, 25 May 2022

जनकपुर के दर्शनीय स्थल नेपाल यात्रा भाग 39 नीलम भागी Janakpur Dham Nepal Yatra Part 39 Neelam Bhagi

ई रिक्शावाले से मैंने कहा कि यहां कि जो जो कहानियां तुम्हे आतीं हैं सब सुनाते हुए जाना है। वह जितना जानता था, बड़े अच्छे से सुनाता गया। जानकी मंदिर से सटे राम जानकी विवाह मंडप के चारों ओर छोटे छोटे ’कोहबर’ हैं जिनमें सीता राम, माण्डवी भरत, उर्मिला लक्ष्मण एवं श्रुतिकीर्ति शत्रुघ्न की मूर्तियां हैं। राम मंदिर के विषय में जनश्रुति है कि अनेक दिनों तक सुरकिशोर दास जी ने जब एक गाय को वहां दूध बहाते देखा तो खुदाई करायी जिसमें मूर्ति मिली। वहां एक कुटिया बनाकर उसका प्रभार एक संन्यासी को सौंपा, इसलिए तब से उनके राम मंदिर के महन्त संन्यासी ही होते हैं। जबकि वहां के अन्य मंदिरों के वैरागी हैं। जनकपुर में अनेक कुंड और आसपास 115 सरोवर हैं। सीताकुंड, अनुराग सरोवर, परशुराम सागर सीताकुंड इत्यादि ज्यादा प्रसिद्ध हैं। मंदिर से कुछ दूर ’दूधमती’ नदी के बारे में कहा जाता है कि जनक जी के हल चलाने से धरती से उत्पन्न शिशु सीता जी को दूध पिलाने के उद्देश्य से कामधेनु ने जो दूध की धार बहायी, उसने बाद में नदी का रुप धारण कर लिया।

 भूतनाथ मंदिर पशुपतिनाथ मंदिर की तरह बनाया है। मंदिर के सामने हराभरा बाग और उसके आगे शमशान है। दर्शन करके सीढ़ियां उतरने लगी तो चिता जलती दिख रही थी।


हनुमान मंदिर कदम चौक पर है। इधर भी बहुत बड़ा सरोवर हैं। यहां सभी मंदिरों में सफाई उत्तम है।





जनकजी की कुलदेवी का मंदिर देखने गए।




अब वह हमको गंगा सागर लेकर गया जहां शाम को गंगा जी की आरती दशर्नीय है।

यह एक तालाब है जिसका नाम गंगा सागर है। इस तालाब के बारे में बताया कि महाराजा जनक ने शिव धनुष की पूजा के लिए पवित्र जल की मांग की थी और शिव जी ने स्वयं आकाश से यहां जल प्रदान किया था।

रिक्शा वाले ने कहा कि वह बाहर हमारा इंतजार कर रहा है। आरती के बाद हमें धर्मशाला छोड़ देगा। मैं और मैम अंदर आए। देखा सागर के आसपास हमारे सहयात्री बैठे हुए हैं। आरती हमारे जाने पर ही शुरु हुई। इस आरती को यहां गंगा आरती कहते हैं। गंगा जी के प्रति श्रद्धा और श्रद्धालुओं के भाव से यहां अलग सा माहौल बना हुआ है। यहां बैठना बहुत अच्छा लग रहा है। आरती के समापन पर सब बाहर आकर अपने अपने ई रिक्शा पर बैठ गए। मुझे अपना रिक्शा नहीं दिखा। मैंने उसका नाम भी नहीं पूछा था क्योंकि वह रिक्शा बाहर छोड़ कर हर जगह मेरे साथ मुझे वहां के बारे में बताता चलता था। मुझे परेशान देख कर रिक्शावाले कोरस में बोले ,’’वो जहां भी होगा आपको लेकर ही जायेगा। उसका नाम क्या था?’’मैंने कहा,’’नाम पूछा नहीं, चश्मा लगाता है।’’एक हंसते हुए बोला,’’वो पढ़ने का बहुत शौकीन है। कुछ भी पढ़ लेता है। कहीं अखबार मिल गया होगा, रोशनी देख कर बैठा पढ़ रहा होगा। पर वह सामने से भीड़ में मुझे खोजता चला आ रहा है। अब मैं मुड़ कर मैम को देखने लगी। वो बोला,’’ मैम ने कहा था कि उन्हें नहीं देखनी आरती। अभी इसी वक्त मुझे छोड़ कर आओ। उन्हें धर्मशाला छोड़ने गया था।’’मैं और सरोज बैठ गए वह बताने लगा कि होली से पहले पूर्णिमा को यहां एक दिवसीय परिक्रमा होती है। धर्मशाला  आ गए। डिनर तैयार था। खाया और आकर सो गई। सुबह हमें धनुषाधाम  होते हुए सीतामढ़ी जाना है। क्रमशः           

ब्

 


2 comments:

Chandra bhushan tyagi said...

Nice

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद चंद्रभूषण जी