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Tuesday, 2 June 2020

लिटिल इण्डिया और किशमिश का आचार सिंगापुर यात्राSingapore yatra भाग 11 Neelam Bhagi नीलम भागी



शिखा ने अपनी दुनिया घूमने की इच्छा ज़ाहिर की तो मैं ध्यान से उसे देख कर उसकी उम्र का अंदाज़ लगाने लगी वो तुरंत बोली,’’एक साल इण्डिया में काम किया और चार साल, चार देशों में, अपने दोनों सन्डे ऑफ में मैं हमेशा घूमने जाती हूं और वहां भी मेडस आती हैं। उनसे दोस्ती हो जाती है। खर्च तो हमारा कुछ होता नहीं है। जब सर मैडम होलीडे पर विदेश जाते हैं। तो एजेंट के घर रहो तो ओर भी लड़कियां होती हैं। उनसे दूसरे देशों के बारें में पता चलता है तब मेरे जैसी, अपनी च्वाइस लिखवा देती हैं। ऐसे ही रास्ता बन जाता है। वीकएंड पर एओ को अर्पणा अमन अपने साथ ही रखते हैं। शिखा इन दो दिनो में ढूंढ ढूंढ कर घर के काम करती है। सबको कपड़े अलमारी में प्रेस किए मिलते। अर्पणा ने बताया कि अमन को खट्टी मीठी चटपटी गोलियां खाने का शौक है। मैं इण्डिया से आपसे मंगवाना भूल गई। वीकएंड पर लिटिल इण्डिया चलेंगे, वहां शायद मिल जाएं।     
अर्पणा मुझे लिटिल इण्डिया घुमाने ले जा रही थी। जब उसने टैक्सी बुलाई तो मैंने पूछा,’’गाड़ी क्यों नहीं लेकर जा रही हो?’’उसने जवाब दिया,’’मासी वीकएंड है न, वहाँ बहुत भीड़ होती है। पार्किंग में बहुत समय लग जाता है इसलिये।’’ टैक्सी वाला गलती से एक ऐसे कट पर मुड़ गया, जो लम्बा रूट था। उसने हमें कहा,’’सॉरी, मैं थोड़ा लांग रूट पर आ गया।’’मुझे तो खैर पता ही नहीं था। अर्पणा को भी याद नहीं था पर उसने जवाब दिया कि कोई बात नहीं। मैंने मन में सोचा कि इसने सॉरी कह दिया। बिल तो हमें ही ज्यादा देना पड़ेगा न। लेेकिन मेरी सोच गलत निकली। मैं उस इंडोनेशियन टैक्सीवाले पर हैरान रह गई, उसने फालतू किलोमीटर बिल से घटा कर ही पैसे लिये। अगर वह हमें न भी बताता तो भी हमें तो रास्ता पता ही नहीं था पर उसकी ईमानदारी!!  वहाँ चलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे चाँदनी चौक में घूम रहे हों। संकरी पर बहुत ही साफ सड़कें। यहाँ तमिल लोगों की दुकाने ज्यादा थीं। सोने की दुकानों पर कोई सिक्योरिटी नहीं। जबकि सोने से दुकाने अटी पड़ी थीं। वहाँ हम नारियल पानी पी रहे थे और मैं अर्पणा से नारियल पानी के स्वाद का ज़िक्र कर रही थी, जो भारत के स्वाद से अलग था। उसने बताया कि ये नारियल थाइलैंड से आता है। दूध फल सब्जियां न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया से, दाल चावल अन्य थाईलैंड, इण्डोनेशिया से। हमने वहाँ आचार के लिये मोटी हरी लाल मिर्चं खरीदीं और कुछ रसोई का सामान खरीदा।
 ऐओ और अमन साथ नहीं थे इसलिए पैदल खूब खट्टी मिठी गोलियां ढुंढी पर नहीं मिली। यहीं मैंने किशमिश का आचार बनाने का सोचा जो मैंने आज तक न खाया था न बनाया था। सामान खरीद लिया। घर पहुंचते ही मैंने शिखा से कहा,’’आ तुझे किशमिश का आचार बनाना सिखाउं। वो बोली,’’कितना सामान निकाल कर लाउं।’’ मैंने कहा,’’ जो मैं लाई हूं मेज पर रख दे। सालो से खाना बना रही हूं इसलिए अंगुलियां ही मेरा नाप तोल विभाग हैं। 250 ग्राम किशमिश का पैकेट फाड़ कर बोल में डाल कर उसे कहा कि इसमें नींबू निचोड़ कर रस डालती जा बीज नहीं गिरना चाहिए। जब किशमिश रस में डूब गई। तो उसमें नमक डाल कर मिला दिया रस का नमक चख लिया। आधा आधा चम्मच मेथी दाना और कलौंजी, 2 चम्मच धनिया, 4 चम्मच सौंफ, 2चम्मच राई सबको मिक्सी में पिसवाया। उसमें एक एक चम्मच हल्दी और मिर्च पाउडर मिला लिया। जब किशमिश नींबू का रस पीकर फूल गई तो उसमें ये सारे मसाले और थोड़ा सा सरसों का तेल और थोड़ा सा नमक डाल कर अच्छी तरह मिला कर बोतल में ठूस ठूस कर भर दिया। जरा भी एअर गैप नहीं छोड़ा। उपर से थोड़ा और सरसों का तेल डाल कर बंद कर दिया। यदि मर्स्टड का टेस्ट है तो तुरंत खाना शुरु कर सकते हैं वरना दो तीन दिन बाद। अमन को ये बहुत पसंद आया।क्रमशः


2 comments:

डॉ शोभा भारद्वाज said...

घर बैठे यदि सिंगा पुर की यात्रा की यात्रा करनी है लेख पढ़ कर आनंद लीजिये

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद