रमा ने मुझे लंच पर बुलाया था। तीन घण्टे उनके साथ बिताये। खूब बातें कीं। जरा सी सुस्ती आते ही उसके पति रवि कॉफी़ बना लाते। इनके दोनो बच्चे विदेश में हैं। पहले ऊपर का फ्लोर बंद रहता था कि जब बच्चे इण्डिया विजिट करने आएं तो उनकी प्राइवेसी में कमी न रह जाए। धीरे धीरे उनकी विजिट कम होने लगी। इन्होंने भी अपने मित्रों और पेड़ पौधों के साथ समय बिताना शुरु कर दिया। जब बच्चों का फ्लोर भाड़े पर उठाया तो रमा ने मुझे कहा कि साल में कुल एक महीना बच्चा लोग रहने आते हैं। ग्यारह महीने इसकी मुझे सफाई करवानी पड़ती है। जब आते हैं तो हम ऊपर जाएं या जब उनका मन हो तो वो नीचे आएं। लगता है मेहमान घर आएं हैं। अब आते हैं तो हमारे साथ रहते हैं। सब बनाना खाना सामने रहता हैं। अब बच्चों के आने पर बहुत खुशी होती है और जाने पर कुछ दिन उदासी रहती है। पहले लगता था घर जैसे गैस्ट हाउस है और ये यहां से खुश जाएं और बार बार आएं। अब एक आवाज लगाओ किरायेदार उसी समय पूछने आता है। हम यात्रा पर जाते हैं। तो पौधों को पानी लगाते हैं। बच्चे हमें अपने पास रहने को बुलाते हैं पर हमने तो सोच लिया है कि दोनों अपने घर में ही रहेंगे। आखिर में तो एक को अकेले रहना है। अकेला भी जब तक शरीर साथ देगा, वह मैनेज़ करेगा। बाद की बाद में देखी जायेगी। उसे सोच कर अपना आज क्यों खराब करें? शायद सोच बदलने के कारण ही रवि हर काम में हाथ बटा रहे थे। ये सोच कर कि यदि वे अकेले रह गए तो!! उनका दुख और न बढ़े इसलिए घर के काम करना अपनी आदत में शामिल कर रहे थे।। लौटने से पहले मैं उनके टॉयलेट में गई सीट के साथ हैण्डिल देख कर सरोज बहुत याद आई और मैं उदास हो गई।
किसी तरह अपनी उदासी छिपा कर हंसते हुुए उन्हें बाय करके लौटी। रास्ते भर मैं सोचती रही अगर सरोज भी इस तरह टॉयलेट बना लेती तो ...। सरोज मुझसे तीन साल बड़ी थी हमारा स्कूल कॉलिज एक ही था इसलिए दोनो साथ जातीं। उसकी सरकारी नौकरी लगी थी। पति संजीव भी सरकारी नौकरी में थे। शाम को छ बजे पति पत्नी साथ ही घर लौटते। पहला बेटा पैदा हुआ। दूसरे का चांस नहीं लिया कि अगर लड़की हो गई तो! दोनों सारा दिन घर से बाहर रहते हैं। लड़की की बड़ी जिम्मेवारी होती है। दोनो के परिवार दूर थे। बिना किसी मदद के बेटा पाला। खूब पैसा जोड़ा और सम्पत्ति बनाई। बेटू को बिजनेस लगा कर दिया कि बेटू आंखों के सामने रहेगा। संजीव भी शाम को ऑफिस से आकर बेटेू के बिजनेस में बैठ जाते। बेटू का पहला ही रिश्ता आया। इन्हें होम मेकर लड़की चाहिए थी। पैसा की कमी नहीं थी बिजनेस भी चल निकला था। बेटू को लड़की दिखाई बेटू को पसंद आ गई। बेटू के सभी दोस्तों में सबसे पहले बेटू की चीनू से शादी हो गई। सरोज ने दहेज के लिए बहुत मना किया। क्योंकि उसके तीन बेडरुम के घर में सब कुछ था। संजीव सरोज तो दिन भर घर से बाहर ही रहते हैं और बेटू शॉप पर रहता है। पहली मंजिल शादी में मेहमानों के कारण खाली रखी थी। चीनू के घर वालों ने सरोज की बात का सम्मान रखते हुए कुछ भी नहीं दिया पर पहली मंजिल में सोफा और डबल बैड रख दिया। क्रमश
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