Search This Blog

Monday, 12 October 2020

चुगलखोरी की नौकरी, मुझसे शादी करोगी भाग 8 नीलम भागी Chugalkhori ki Naukari Mujhe Se Shadi Karogi Part 8 Neelam Bhagi



ममता हमेशा मौसम के अनुसार कॉटन, सिल्क और शिफॉन की साड़ी पहनती थी। शाम को घर जाते समय भी उसकी साड़ी में एक भी सलवट नहीं होती थी। पता नहीं उसके व्यक्तित्व में क्या था! क्लाइंट पर सारा काम हैल्पर करतीं थीं। हैल्पर के हो गया कहने पर वह उठती, काम का बड़ी गहरी नज़रों से मुआयना करती फिर उस पर जरा सा फेर बदल करती। मेरे हिसाब से कुछ नहीं करती थी। बस एक लाइन में उसको किसी हिरोइन जैसा बताती। बदले में कंजूस से कंजूस महिला भी मोटे बिल के साथ लड़कियों को टिप देकर, बड़े आत्मविश्वास से इतराती हुई जाती थी। कटिंग और हेयर स्टाइल को छोड़ कर हर काम के दो रेट थे। क्योंकि दूसरे रेट के आगे र्हबल जो लगा होता था। कोई भी नई कटिंग, फेशियल या मेकअप सुनते ही वह उसे सीखने या करवाने पहुंच जाती थी। मुझे साथ चलने को कहती, मैं भी चल पड़ती। उससे मिलने से पहले मैं कभी ब्यूटीपार्लर नहीं गई थी। अब उसके साथ नये नये पार्लर जाती। जो वह करवा कर आती, अगले दिन से लिस्ट में वो भी ममता के पार्लर में होना शुरु हो जाता और मैं झट से नोट्स लिख देती और ममता उसे सीखाने के अलग पैसे लेती। सिखाती वह हमेशा जोड़े में थी। ताकि वे एक दूसरे पर प्रैक्टिस करें। मैं तो वहां कभी थोड़ी देर के लिए जाती,पर जब घर से बुलावा आता तब ममता आने देती। एक बड़ी सुन्दर सी लड़की मोहनी काम करवाने आई। आते ही बोली,’’दीदी मेरा जल्दी करवा दो। सब लड़कियां बिजी थीं। ममता उसका काम खुद करने लगी। फिर वह बोली,’’ पीछे ही डण्डी पकड़े सलोनी आ रही होगी। ऑफिस के अलावा मैं कहीं भी जाऊं, मेरा पीछा करते पहुंच जायेगी। पढ़ी न लिखी, घर का कोई काम नहीं करती । कहती है  कि यह नौकरी करती है तो मैं क्या घर की नौकरानी हूं? मैं घर का काम भी करती हूं और नौकरी भी।’’ ममता ने हैरानी से पूछा,’’सलोनी कुछ नहीं करती क्या?’’ मोहनी ने चिड़ कर जवाब दिया,’’करती है न समाज सेवा।’’सुन कर ममता ने पूछा,’’किस तरह की समाज सेवा?’’ मोहनी बोली,’’ब्लॉक में लोगो के मनोरंजन का इंतजाम करना। उसके लिए चुगलखोरी करके, लोगों को आपस में लड़वाना और तमाशा देखना। इतने में एक बहुत सुंदर, गोरी सुनहरे घुंघराले बालों वाली बड़ी मुश्किल से डण्डी के सहारे चलती सलोनी अंदर आई। भगवान ने उसे रुप देने में जरा भी कंजूसी नहीं की थी। बैठते ही उसने डण्डी साइड में रख कर, हमें हाथ जोड़ कर नमस्ते की। मोहनी का काम हो गया था। सलोनी ने बिल पूछा। ममता ने बहुत ही कम पैसे बताए। सलोनी ने अपने पर्स में से  दिए। दोनों बहनों के बाहर जाते ही ममता ने मोहनी जहां बैठी थी, उस दराज से पैसे निकाले। हम दोनों सबसे अलग बतियाने बैठ गये
इतनी सुन्दरता के साथ लंगड़ापन देखकर मेरा मन अजीब सा हो गया था। मैंने धीरे से कहा कि तुमने मोहनी से बहुत कम पैसे लिए! ममता ने बताया कि वह फोन पर मुझसे रेट पूछ कर कहती है कि आप सलोनी को ये बताना बाकि के रूपये मैं ड्रार में रख जाउंगी। उसकी रिसैप्शनिश्ट की जॉब है। उसे तो काम करवाना होता है। दिन भर की थकी वह आती है। मां इनकी मर गई है| बड़ी बहन की शादी हो गई। पापा इनके प्राइवेट नौकरी में हैं। घर में शांति रहे इसलिए सब कुछ सलोनी के हिसाब से चलता है। फिर मुझसे पूछने लगी,’’ये ऐसा क्यों करती है?’’मैंने वैसे ही कह दिया कि सलोनी को करने को कुछ नहीं है शायद इसलिए। ममता ने मुझसे पूछा,’’इसे अपने पार्लर में लगा लूं। यहां चार लड़किया तो हमेशा होती हैं। मुझे आना जाना रहता है। यह समय से पार्लर खुलवा लेगी, मुझसे लड़कियों की चुगली कर लिया करेगी और मैं शाम को इसे घर छोड़ते हुए चली जाया करूंगी। पार्लर में पहले दिन ही सलोनी शाम की चाय के साथ समोसे लेने डण्डी के सहारे, चाचा की दुकान पर चल दी।  क्रमशः            


No comments: