अब डिनर के बाद पम्मी भी दोनों बच्चे लेकर दुकान पर आ जाती और सोनू को साथ लेकर घूमने चली जाती। वो चलती भी जाती और लगातार पतर पतर सोनू के कान में बोलती भी जाती। सोनू चुपचाप सुनता रहता। फिर वे भी अपनी मरजी से घर जाते। पम्मी के मायके वालों ने भी अपने दामाद सोनू के हितचिंतक बन कर काफी आना जाना शुरु कर दिया। लवली का दुकान से जाने का कोई समय नहीं था। कभी भी चल देता, हमें कह कर कि दुकान का ध्यान रखना, हममें से कोई उधर चला जाता। एक दिन ममता खुशी से कूदती हुई आई, आते ही ब्रेकिंग न्यूज़ की तरह सुनाया कि सलोनी का इलाज़ करवाने वाला सरप्राइज़ लवली है। देखो हम दोनों को तो सामने रह कर भी नहीं पता चला। इसकी फैमली चाहती थी कि इसकी टांग का इलाज, शादी से पहले हो, लवली ने करवा दिया। सुन कर मैंने पूछा,’’अब ये शादी कब कर रही है?’’ममता तपाक से बोली कि मैंने भी इससे यही पूछा। जब ये जवाब में मुस्कुरा दी तो मैंने कहा कि उसने तेरे हाथ से डण्डा छुड़वा दिया। इससे ऊपर आज की तारीख में इलाज ही नहीं होता। बस तेरे चलने में नुक्स रह गया है। भगवान ने चाहा तो वो भी ठीक हो जायेगा। अच्छा अब बता तेरा ब्राइडल मेकअप मुझे कब करना है? और तेरी ब्राइड की ड्रैस मेरी तरफ से।’’ ये सुन कर बदले में वो खी खी खी हंसते हुए बोली,’’मेरी बहने भी मुझे हलवाइन कह कर छेड़तीं हैं।’’पता नहीं क्यों हलवाइन शब्द मेरे कान में बजने लगा। ममता लवली की तारीफों के पुल बांधते हुए कहने लगी कि लवली जैसा लड़का आज कल के जमाने में मिलना मुश्किल है। उस दिन, हमेशा की तरह दिन भर समोसे बनते रहे, कोई न कोई दुकान देखने आता रहा। अगले दिन दुकान गई तो वहां कोई कारीगर नहीं था। रात से मशीन की फिटिंग चालू थी। एक ट्रक सरसों की बोरियों का उतरा। पूजा हुई। लवली ब्राण्डेड कपड़े पहने काम करवा रहा था। मशीन चलने का शोर मचा। आगे काउण्टर के पास एक ड़ªम में सरसों का तेल पाइप से गिरने लगा। किसी ने पूछा,’’चाचा क्या काम लगाया है?’’ चाचा ने जवाब दिया,’’ये कोल्हू नहीं है, उसे तो बैल चलाते हैं। यहां मशीन से तेल निकलता है, मिल लगाई है।, आयल कौंपनी हैं। तीन बहुत शानदार कुर्सियां काउण्टर के पीछे लगीं। पर चाचा के चेहरे पर वो खुशी नहीं थी जो पहली बार उन्हें समोसे तलते हुए मैंने देखी थी। ममता बहुत खुश थी कि फेस पैक के लिए सरसों की खली लेने गाजी पुर नहीं जाना पड़ेगा। सलोनी की खुशी तो चेहरे टपक रही थी। पार्लर की साथिने उसे छेड़ रहीं थी कि हम तो हलवाइन ही कहेंगी। चाचा के ग्राहक भी खुश थे कि शुद्ध सरसों का तेल मिलेगा। जल्दी ही हमारे हाथों में लवली की सलोनी से शादी का कार्ड आया, जो भी उस खूबसूरत र्काड को हाथ में लेता तो उसका मुंह खुला रह जाता। शादी से पहले हमारे कारीगर भी दुकान पर आने बंद हो गए। वे सलोनी के घर पर लवली के निर्देशन में शादी की व्यवस्था में लगे थे। बारात में सबसे ज्यादा पैसे हमारे कारीगर लुटा रहे थे। सलोनी के घर के आगे तो उन्होंने नागिन डांस करते हुए नोट लुटाने में हद ही कर दी। मुझसे नहीं रहा गया। मैंने रामऔतार को बुला कर डांटते हुए कहा,’’क्यों इतने नोट लुटा रहे हो?’’उसने जवाब दिया कि हम तीनों को लवली भैया ने लुटाने को गड्डियां दी थीं।’’क्रमशः
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