उस दिन तो मुझे लवली दिखा नहीं। दो दिन के बाद मैं शॉप पर गई तो लवली, गल्ले पर था। मैंने सोचा पहले सलोनी समोसे ले जाए फिर लवली से बात करूंगी। सलोनी आई, डण्डी को स्कूटर के सहारे टिका कर बड़ी मेहनत से तशरीफ उसकी सीट पर रखी। पता नहीं उस दिन मुझे क्यों लगा कि राधे समोसे बहुत ही धीमी आंच में तल रहा है। बड़ी मुश्किल से वह सीट से उतर कर समोसे लेकर जाते समय मुझे देखा पर आज सलोनी ने नमस्ते न करके, बहुत प्यारी मुस्कान के साथ हाथ हिलाया और चल दी। उसके जाते ही मैंने लवली को बुलाया। उससे पूछा कि उसने सलोनी से पूछा है,’’मुझसे शादी करोगी, तुम्हारे घर में किससे बात करुं?’’ उसने जवाब दिया,’’हां दीदी।’’मैंने पूछा,’’तूने इसे क्यों पसंद किया?’’कुछ देर वह सोचता रहा फिर बोला,’’दीदी, ये बड़ी तकलीफ़ से स्कूटर पर चढ़ती है, उतरती है, मैं रोज देखता हूं। इस बिचारी से कौन शादी करेगा? मैं इससे शादी करके इसका सहारा बनूंगा। ये सुनकर सलोनी बहुत खुश होगी। इसलिये मैंने जाकर सीधे ही कह दिया। लगता है शरमा रही है अभी तक जवाब नहीं दिया। देखो कब तक नहीं देती! मैं भी उसके जवाब का इंतजार करता रहूंगा।’’सामने से चाचा आ रहे थे। उसके जाने का समय हो गया और वो चला गया। जैसे ही मेरे दोनो भाई आये मैंने उन्हें सलोनी लवली का प्रसंग सुनाया। सुनते ही दोनों ने मुझे सख्ती से समझाया कि तुम उन्हें बुला कर, दोनों से कुछ नहीं पूछोगी और न ही कोई सलाह दोगी। तुम्हें सुनाने कोई आयेेगा तो सुन लेना।’’ अभी ये लोग संर्घष से मुक्त हुए हैं। लवली हमेशा हमारी आंखों के सामने रहा है। इसके लिए बहुत अच्छे रिश्ते आ रहें हैं। हमसे लड़की वाले इन्क्वायरी करते हैं। अच्छा हुआ तुमने हमें बता दिया। हम दोनों पड़ोसी हैं। लवली सीरियस है तो ये शादी करके मानेगा। दिल का मामला है। तूं समझायेगी तो ये शादी के बाद महान बनने को सलोनी को बतायेगा कि तुमने भी मना किया था कि लंगड़ी से शादी मत कर। वो बेमतलब तेरी दुश्मन बन जायेगी। और पड़ोस की दुश्मनी अच्छी नहीं होती।’’मैंने ध्यान से सुना और मनन किया। मैंने भाइयों को नहीं बताया कि मैंने लवली को बुला कर पूछा था। मुझे ममता के पास बतियाना बहुत अच्छा लगता है पर अब मैं कम जाती हूं क्योंकि वो मुझसे लवली परिवार की बातें पूछती है। एक दिन लवली आया वो बहुत खुश था और उसने ट्रैक सूट पहना हुआ था उसे देख मुझे याद आया, मार्किट के सामने बहुत शानदार कोठी बनी। गृहप्रवेश पर उसने दुकानदारों को निमंत्रण दिया। उसे सब पहचान गए क्योंकि पहले वो रेडियो फिर टी.वी. पर क्रिकेट मैच की कमैन्ट्री बोलते थे। सुनते ही चाचा बोले,’’मेरा लवली भी स्कूल में क्रिकेट के मैच जीत कर बनियाने, कप इनाम में लाता था।’’शायद फिर इसने खेलना शुरु कर दिया। मुझे देखते ही आकर बैठ गया और बोला,’’दीदी स्टेडियम के कई चक्कर लगाता हूं पर पेट कम नहीं हो रहा है। किसी डॉक्टर को आप जानतीं हैं जो पेट की चर्बी निकाल कर पेट फ्लैट कर दे। मैंने कहा,’’हो जायेगा कम ऐसे ही दौड़ लगाता रह। ऐसी क्या मुसीबत आ गई है जो पेट कम करने के लिए ऑपरेशन करवायेगा!!’’उसने जवाब दिया कि उसने फिर सलोनी से जवाब मांगा तो उसने कहा कि और सब तो ठीक है पर आपका पेट बाहर निकला हुआ है। क्रमशः
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