मैं घर जा रही थी साथ ही मेरे दिमाग में प्रश्न चल रहे थे। कौन सलोनी का इलाज करवा रहा है? अब समोसे लेने सलोनी नहीं आ रही थी। ममता बड़ी खुशी से मेरे पास आई और कहने लगी कि मैंने उससे पूछा कि तेरा इलाज़ कौन करवा रहा है? उसने कहा कि ये सबके लिए सरप्राइज़ होगा। देखो कैसा सरप्राइज़ होगा!! उसके मैडिकल टैस्ट हो रहें हैं। टैक्सी से ही आती जाती है। इधर मैं देख रही थी कि ये दुकानदारी के समय ही जाती थी और शाम को हलवाई तीन लोग होते थे। अब सोनू और चाचा ही होते थे। लवली बे टाइम आता था। ममता को जो भी सलोनी के बारे में पता चलता वो अपनी खुशी मुझसे शेयर करने आती। उसने बताया कि डाक्टर ने सलोनी को बैंगलोर के किसी डॉक्टर का पता दिया है और कहा है कि जहां तक मैं कर सकता था किया, अब इससे आगे बैंगलोर में उन डॉक्टर को दिखाना होगा। अब फ्लाइट से सलोनी बैंगलोर गई है। लवली भी नहीं दिखाई दिया। पर इनकी दुकान पर जो ब्याज पर पैसा देते हैं, वे आते और मार्किट का चक्कर लगा कर चले जाते। बैंगलौर से टांग का ऑपरेशन करवा कर सलोनी आई। उसने ममता को बताया कि अब उसे अपना वजन डॉक्टर के बताए वजन के अनुसार रखना होगा क्योंकि ये टांग बहुत कमजोर है, बिना डण्डी के चलने की धीरे धीरे कोशिश करनी है। इधर चाचा की आवाज़ का वाल्यूम कम होने लगा। आंटी और चाचा धीरे धीरे कोई चर्चा करते रहते थे। उनकी लाडली बहू प्रमिला जिसे इनके यहां प्यार का नाम पम्मी मिला वो भी अपने बेटे के साथ दुकान पर जासूसी करने आने लगी कि उसका पति क्यों दुकान पर इतनी लंबी ड्यूटी करता है? और साथ ही मां बेटे बर्फी और ड्राइफ्रूट से पेट भर लेते। दुकान पर बैठने वाला लवली, उसे तो बहुत लोग पहचानते थे। अब एक दिन एक बेहूदा ग्राहक हमारी शॉप से सामान लेने आया, उसी समय लवली आया एक ट्यूबलाइट लेकर जाते हुए बोला,’’भाई साहब लिख लेना।’’ ये सामान लेते रहते थे हम लिखते रहते थे। किसी भी दिन सबकी पेमैंट कर देते। लवली के जाते ही वो बेहूदा ग्राहक बोला,’’बताओ जी, ये चाचा का लड़का शाम को उधर गली में जो लंगडी रहती है न, उसे बिना डण्डी के स्टेडियम में चलना सिखाता है। दो चार कदम चल कर वो गिरने लगती है तो ये उसे बांहों में ले लेता है। जब तक ये उसे प्रैक्टिस करवाता है। हमारी फुटबॉल की प्रैक्टिस नहीं हो पाती। लड़के बस इनकी पिक्चर देखते रहतें हैं।’’उसको सामान देकर चलता किया। अब जैसे हमें पता चला है कि लवली कहां गायब रहता है। ऐसे इसके परिवार को भी तो कोई बता गया होगा। दो चार दिन बाद लवली आया तो चाचा ने उसे टोक दिया कि तूं दुकानदारी के समय मत जाया कर, शाम को हम दोनों से काम नहीं सम्भलता। लवली ने जरा ग्राहकों का लिहाज़ नहीं किया बोला,’’तुम्हें किसने कहा दो दो रुपए के समोसे बेचो। माल लाओ, तैयार करके लोगो की पसंद का स्वाद दो। सुबह से रात तक लगों। कोई छुट्टी नहीं। दुनिया में इतने काम हैं।’’चाचा ने उस समय चुप रहना ही मुनासिब समझा। क्र्रमशः
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