सलोनी को सामने से आते मैं देख रही थी। पास आते ही उसने मुझे देखते ही नमस्ते करके जोर से राधे से कहा,’’6 समोसे पैक करदो।’’ और हमारी शॉप में आ गई आते ही मुझसे बोली,’’दीदी आप भी चलो न, चाय बन रही है। आपके लिए भी समोसा लिया है।’’मैंने कहाकि मेरे दोनो भाई इस समय नहीं हैं इसलिए मैं शॉप नहीं छोड़ सकती।’’साथ ही मैं सलोनी को निहारने लगी। कल और आज में, उसमें जमीन आसमान का र्फक था। शेप में आइब्रो, ब्लीच, फेशियल किया चेहरा, हाथों में मैनिक्योर, पैरों में पैडिक्योर, बालों में ड्रायर किया हुआ था। कहते हैं न कि ’पुत के तो दीवार भी सुन्दर लगती है।’ सलोनी तो अत्यंत सुन्दरी है। ममता की तरह चेहरा उसने मेकअप के बिना रखा था। चाचा दुकान पर आए तो लवली का ऑफ हो गया। लवली ने नया टू विलर लाल रंग का काइनिटिक होंडा लिया था वो जब भी उस पर जाता तो पहले उस पर कपड़ा जरुर फेर कर चमकाता था। आज भी चमकाते हुए, मुझे देखते ही बोला,’’दीदी नमस्ते और स्कूटर र्स्टाट करके चल दिया। सलोनी ने गर्दन घूमा कर उसे ध्यान से देखा। लवली ने इसकी पीठ थी इसलिए नहीं देखा और ये समोसे लेकर धीरे धीरे लाठी टेकती चल दी। इसके पहुंचते ही ममता दो कप चाय दो समोसे लेकर मेरे पास आ गई। और आते ही बोली,’’सलोनी ने बताया कि आप दुकान पर हो, मैं तो सुनते ही यहां आ गई। मेरे पीछे कोई बात होगी तो सलोनी को चुगली का काम भी मिल जायेगा। दोनों हंसने लगीं। मैंने कहाकि सलोनी तो बहुत खुश लग रही थी। वह बोली,’’ दोनो ट्रेनी को तो आज इसने अपने ऊपर ही लगाये रखा। समोसे कहती कि मैं लेकर आउंगी। बेचारी से चला तो जाता नहीं है। पर मैंने मना नहीं किया इसकी खुशी, शायद बैठे बैठे उकता गई होगी।’’ फिर मुझ बताया कि अमुक पार्लर का फेशियल बहुत मशहूर है, वहां जो फेस पैक लगाते हैं। उसमें सब कुछ उसी समय कूट कर तैयार करते हैं सब कुछ नैचुरल। कल चलोगी? मैं तुरंत तैयार हो गई। अगले दिन हम अमुक पार्लर गए। उन्होंने कैबिन बना रखे थे। ममता कभी रेट नहीं पूछती थी। उसके साथ फेशियल कैबिन में मैं जाने लगी। तो उसने मना कर दिया। ममता ने कहा कि ये मेरा देखने के बाद करवायेंगी अगर इन्हें मुझमें कोई चेंज दिखा तो। उसने चुपचाप वहां मेरे बैठने के लिए स्टूल रख दिया। मैं देखती रही। जब फेस पैक लगाने का समय आया तो उसने खरल निकाली। थोड़े से भीगे हुए बारीक दानों का अच्छी तरह कूट कूट कर बारीक पेस्ट बनाया। शायद उसके पास थोड़ा सा पहले का बचा पेस्ट भी था जो रखने से फरमैंट हो गया था और मैं इन दोना पेस्ट की गंध से अच्छी तरह परिचित थी। पर मुझे याद नहीं आ रहा था। एम.एस.सी कैमिस्ट्री का एक साल किया था। वहां लैब में कई तरह की गंध से परिचित थी इसलिए कनफूयज़ हो रही थीं। उसने ममता के चेहरे पर खरल में बनाये पेस्ट को लगा कर, उसने ममता से पूछा कि कुछ र्हबल सी स्मैल नाक में लग रही होगी। आंखे मत खोलना। ममता ने हां में सिर हिलाया। जैसे ही वह बाहर गई। मैंने अच्छे से उसके चेहरे पर लगे पैक को सूंघा। मुझे याद आ गया। इसने सरसों के भीगे दाने पीसे हैं। पंद्रह मिनट बाद उसने चेहरा साफ करके, आखिर में गुलाव जल से पोंछा। मुझसे पूछा आप करायेंगी। मैंने कहा फिर आउंगी। पेमेंट करके हम चल दीं। क्रमशः
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