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Wednesday 14 October 2020

र्हबल फेस पैक यानि उबटन भाग 10 मुझसे शादी करोगी!! नीलम भागी Herbal Face Pack Mujhe Se Shadi Karogi Part 10 Neelam Bhagi



गाड़ी में बैठते ही ममता बोली,’’फेशियल तो ठीक था, मसाज़ में रैपट बहुत जोर जोर से मार रही थी। लगता था जैसे किसी से लड़ कर आई हो। वैसे गैजेट्स नहीं थे। पर फेस पैक बनाने मे सचमुच हकीमों वाले औजा़र में कूट रही थी। पर कूटा क्या इसने?’’ मैंने जवाब दिया कि जो भी उसने पैक बनाया था उसकी गंध मेरी बहुत परिचित है पर याद नहीं आ रही किसकी!! मुझे सोच में डूबा देख कर, वो भी चुपचाप ड्राइविंग करती रही। अचानक रोड पर गायों का झुण्ड देखते ही मुझे अपनी गंगा गाय याद आ गई और साथ ही फेस पैक की गंध। मैं ममता को बताने लगी,’’ मेरठ में मैं तब बी.एड कर रही थी। रात दस बजे की सानी हमेशा मैं ही बनाती थी। अगर मैं कोर्स की किताब पढ़ती तो मुझे नींद आ जाती, जिससे कई बार गंगा भूखी रह जाती और वह भी आधी रात को मां मां करने लगती। तब अम्मा पिताजी मुझे कोसते कि बेजुबान को मैंने भूखा रक्खा, जिसकी सजा थी एक हफ्ते तक सुबह पाँच बजे की सानी भी मुझे बनानी पड़ती थी। अच्छी कहानी पढ़ते समय मुझे कभी भी नींद नहीं आती इसलियेेे मैं एक कहानी की किताब छिपा कर रखती थी। सब सो जाते थे तो मैं कहानी की किताब पढ़ने लगती और गंगा को समय पर सानी मिलती थी। ंसुबह कॉलिज जाने से पहले मैं सरसों की खली भिगो कर जाती, सानी के समय वह अच्छी तरह फूल जाती थी फिर मैं बाल्टी में बांह डाल कर उसे एक सार करती। पहले दिन बनाने लगी तो मेरी दादी ने समझाया एक दिन बाई बांह से घोलना है, दूसरे दिन दाई से वरना दानों बाहों में फर्क आ जायेगा। उसमें यही गंध थी। एक दिन सब लड़कियां बैठीं थीं। एक ने पूछा,’’ तुम अपनी बांहों में कौन सी क्रीम लगाती हो बड़ी शाइन करतीं हैं।’’ मैंने जवाब दिया कि गाय की सानी बनाने के बाद पानी से धोती हूं। ऐसे ही चिकनी हो जातीं है। सुनते ही सब लड़कियां मुंह बिचका कर हंसने लगीं। ये शत प्रतिशत सरसों का पेस्ट था। इतने ड्रामें की जरुरत नहीं हैं। सरसों की खली मिल जाये मैं वही गंध दे दूंगी। दिल्ली की पली बढ़ी ममता, मदर डायरी का दूध पीने वाली। उसने सरसों की खली देखी नहीं थी। मर्स्टड केक कहा तब भी उसे नहीं पता। बिजनैस में वह बहुत पक्की थी। अब उसे सरसों की खली के सिवाय कुछ नहीं समझ आ रहा था। वह मेरठ जाने को तैयार थी। मैंने कहा जहां पशुओं के चारे का सामान मिलता है। वहां मिलेगी। तब गुगल बाबा तो थे नहीं। हमें पता चला कि गाजीपुर, घड़ौली दिल्ली में डायरीर्फाम हैं, वहां दुकाने हैं। अरे! वो तो नौएडा के पास है। हमारे रास्ते में ही पड़ रहा था। हम सरसों की खली खरीद कर ही लाये। ममता ने उसे गाड़ी में ही रखा। मुझसे कहा जितना लेना है ले लो, किसी को दिखाना नहीं। पार्लर पहुंचते ही चाय रखी। सलोनी ने ड्रार से रुपये लिए, बालों में ब्रश किया, कई बार शीशा देखा और लाठी के सहारे समोसे लेने चल दी। समोसे कड़ाही में थे। वह लाठी की मदद से लवली के स्कूटर की सीट पर इंतजार में बैठ गई। ममता ने अपने लंच बॉक्स में खली डाल कर मुझे पकड़ाया। मैंने उसमें पानी डाला। उसने ढक्क्न बंद करके अपनी अलमारी में रख कर बंद कर दिया। किसी को देखने को नहीं मिला कि क्या भिगोया है? क्रमशः      


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