पेलियोग्रस्त सलोनी एक हाथ से डण्डी के सहारे, दूसरे हाथ में समोसों की थैली लटकाए चलती आई। तो ममता ने उसे प्यार से कहा कि किसी और को भेज दिया करो न। उसने ममता को ऐसे देखा, जैसे कह रही हो वो किसी से कम नहीं है, वो सब कुछ कर सकती है। अब उसने सबको अपने हाथ से समोसा दिया फिर चाय दी। अगले दिन मैं गई तो मुझे देखते ही ममता ने भीगी खली का डिब्बा निकाला। मैंने चम्मच से मिलाया वही गंध। ममता तो बहुत खुश, उसने उस फेशियल का न जाने क्या नाम रखा और कण्डीशन! इसके लिए पहले एपायंमेंट लेना होगा क्योंकि फेस पैक बनाने में टाइम लगता है। उसने थोड़़ी थोड़ी खली पेस्ट तीन हिस्से में बांटा और किसी में मुल्तानी मिट्टी, किसी में गुलाव की पत्तियां, किसी में चंदन पाउडर मिला तीन पैक बनाये। बारी बारी से सबको अपने चेहरे पर लगा कर, बीस मिनट तक बैठी मुझसे बतियाती रही। चेहरा साफ करने के बाद, उसने लिस्ट में इस फेश्यिल का नाम जोड़ा। दो रुपए की खली, चेहरे पर लगते ही 200 रूपए की हो गई। खली का मिक्सी में पाउडर बना कर सिरैमिक के खूबसूरत जार में रखा। सबसे जरुरी औजार था खरल वो बड़ी प्यारी सी खरीदी गई।
फेस पैक को बेमतलब खरल में घोटा जाता। मुझे यह देखने में बहुत मज़ा आता। सलोनी समोसे लेने निकलती, पता नहीं क्या ऐसा था? उसी समय राधे कढ़ाही में समोसे डालता, जो उस समय गर्म निकले होते उसके ग्राहक खड़े होते। सलोनी लवली के स्कूटर की सीट पर बैठ कर इंतजार करती। अगर मैं अपनी शॉप पर बैठी होती वो मुझे अनदेखा कर देती। समोसे लेने के बाद मुझे देखती और चौंक कर नमस्ते करती। अगर चाचा आ जाते तो लवली जाकर स्कूटर के पास खड़ा हो जाता फिर वो बड़ी मुश्किल से उतरती। लवली स्कूटर स्टार्ट कर, ये जा वो जा क्योकि घर जा कर रैस्ट करके उसे और सोनू को आना है, शाम को दुकानदारी जो तेज होती है। एक दिन मेरे पास संदेश आया कि ममता ने आपसे जरूरी बात, आपकी दुकान पर ही करनी है। तीन दिन बाद जब दुकान पर मेरी जरूरत थी, मैं चली गई। उसी समय ममता आ गई। आते ही बोली,’’ जो बात बताने जा रही हूं सुन कर हैरान हो जाओगी।’’ मैंने पूछा,’’ऐसा क्या हुआ?’’ वह बोली लवली ने सलोनी से पूछा है,’’मुझसे शादी करोगी, तुम्हारे घर में किससे बात करुं?’’मैंने पूछा,’’फिर।’’ ममता बोली,’’यह कह कर स्कूटर र्स्टाट करके चला गया।’’मैंने पूछा,’’अब सलोनी समोसे लेने आती है?’’ उसने जवाब दिया,’’हां, वैसे ही पहले की तरह आती है।’’ममता कहने लगी कि उस बेचारी से मजा़क तो नहीं कर गया। ये मार्किट में इतनी बड़ी अपनी दुकान वाले, लड़का बिल्कुल स्वस्थ ठीक, कोई जिम्मेवारी नहीं। सलोनी का परिवार तो इनके आगे कुछ भी नहीं है। सलोनी ने आते ही मुझे यह बात बताई। मैं तो तब से हैरान हूं। और तुम भी नहीं आईं।’’ मैंने पूछा,’’सलोनी क्या कह रही है?’’ममता ने जवाब दिया,’’मुझे ये बताकर, उसके बाद कभी इस बात का उसने जिक्ऱ भी नहीं किया । जब भी मैं उसको देखती हूं तो मंद मंद मुस्कुरा रही होती है। शीशे में अपने को खूब निहारती है। मुझे तो इसकी चिंता हो रही है। अगर ये मजा़क होगा तो ये कैसे सहेगी?’’ सुन कर मैं भी सोच में पड़ गई और मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि लवली जैसा भला लड़का ऐसा मजा़क करेगा। दुकान पर होता तो मैं उसी वक्त उसे बुला कर पूछ लेती। क्रमशः
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