पार्लर में मैं ममता की बातें सुन रही थी पर नज़रें मेरी सलोनी का पीछा कर रहीं थीं। पहले दिन जैसे ही उसका स्टाइल था, लवली के स्कूटर की सीट पर बैठ कर गर्म समोसों का इंतज़ार करना। ख़ैर वह समोसे लेकर आ गई। अचानक बैल बजी सलोनी ने अपने पर्स में से मोबाइल निकाला और सुनने अंदर के कमरे में चली गई। जल्दी ही कुछ फुसफुसाकर आ गई। उसके आते ही ममता ने उसे समझाते हुए कहाकि सबको यहां के लैंड लाइन का नम्बर दे दिया कर क्योंकि इसमें तो सुनने के भी पैसे लगते हैं। तेरे घर में फोन नहीं है वहां इनकमिंग सुनना तो मजबूरी है। उसने जवाब के बदले मुस्कुराहट दी। मैं सोच में पड़ गई कि मोबाइल और इसका बिल!! इसके पिता की तो बहुत ही मामूली नौकरी है और इसके हाथ में भी कोई कौशल नहीं है कि कमा ले। जो ममता दे रही है, वही बहुत है और टांग का ऑपरेशन!! दो तीन दिन बाद मैं दुकान पर आई तो लवली बिना शेव बनाए, मजनू सा बना दुकानदारी कर रहा था। टेप पर दिल टूटे, मनहूस से गाने बज रहे थे। उनकी धुन के अनुसार कारीगरों के भी धीरे धीरे हाथ चल रहे थे यानि वातावरण ग़मगीन था। सलोनी के समोसे खरीदने आने का समय भी हो गया था। वह पार्लर से तो खिलखिलाती निकली, स्कूटर पर बैठने तक बेहद गंभीर हो गई और उसी समय अगला गाना बजा, ’’वो दिल कहां से लाऊँ तेरी याद जो भूला दे, मुझे याद आने वाले कोई रास्ता बता दे’’सलोनी समोसे लेने के बाद जैसे ही मुड़ी उसकी मुस्कान नहीं रुक रही थी। सामने से चाचा, आंटी और उनके साथ एक पति पत्नी और थे। आते ही बोले,’’ ओ टेप बंद कर, बात करने दे।’’ उन्होंने अंदर बाहर दुकान देखी और चारो हमारी शॉप के आगे ही बैठ कर बतियाने लगे। उन्होंने पूछा,’’और जी आपकी कोई डिमाण्ड तो नहीं है।’’अब चाचा तो घोषणा करते हुए बोलते हैं, वैसे ही बोले,’’पंजाबी कभी औलाद की कसम नहीं खाता और न ही बेटे की शादी में डिमाण्ड करता है। पाकिस्तान से खाली हाथ आए थे। बच्चे पाल लिए और अपना ठिया बना लिया, घर किराए का है वो भी अपना हो जायेगा। और शादी लवली को लड़की दिखा कर उसकी पसंद से होगी। लवली अभी बाइस साल का है और हम चाहते हैं कि अपना मकान बना लें तब इसकी शादी करें। आप आये हो आपकी बड़ी मेहरबानी उन्हें अच्छी तरह नाश्ता करवा कर भेजा। पर लवली अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था। पता नहीं उसने यह वार्तालाप सुना या नहीं। वह चला गया। अगले दिन मैं शॉप पर गई तो लवली के समय सोनू बैठा हुआ था लेकिन लवली का स्कूटर वहीं खड़ा था। समोसे लेने भी सलोनी नहीं आई, अलका आई। बड़ा अजीब लगा, उसे देखने की आदत जो हो गई थी। अलका जैसे और समोसे की खरीदार लड़कियां आतीं हैं। वैसे ही खड़ी रही। समोसे मिलते ही चली गई। जब घर लौटने लगी तो ममता मेरे पास बड़ी खुशी से चहकती हुई आई और आते ही बोली,’’तुम्हें पता है आज सलोनी का डॉक्टर से एपांमैंट है। देखो वो क्या कहता है? भगवान बस इसकी टांग ठीक करदे। जो करवा रहा है न, उसने इसको ले जाने के लिए टैक्सी भेजी। मैंने पूछा,’’किसने भेजी? कौन करवा रहा है?’’ उसने बताया कि सुबह से इस बारे में कोई बात नहीं हुई थी। जब टैक्सी आई तो जाते हुए बताया कि टांग के इलाज के लिए जा रही हूँ। क्रमशः
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Sunday, 18 October 2020
वो दिल कहां से लाऊँ, तेरी याद जो भूला दे। मुझसे शादी करोगी!! भाग 13 नीलम भागी Mujhe Se Shadi Karogi Part 13 Neelam Bhagi
पार्लर में मैं ममता की बातें सुन रही थी पर नज़रें मेरी सलोनी का पीछा कर रहीं थीं। पहले दिन जैसे ही उसका स्टाइल था, लवली के स्कूटर की सीट पर बैठ कर गर्म समोसों का इंतज़ार करना। ख़ैर वह समोसे लेकर आ गई। अचानक बैल बजी सलोनी ने अपने पर्स में से मोबाइल निकाला और सुनने अंदर के कमरे में चली गई। जल्दी ही कुछ फुसफुसाकर आ गई। उसके आते ही ममता ने उसे समझाते हुए कहाकि सबको यहां के लैंड लाइन का नम्बर दे दिया कर क्योंकि इसमें तो सुनने के भी पैसे लगते हैं। तेरे घर में फोन नहीं है वहां इनकमिंग सुनना तो मजबूरी है। उसने जवाब के बदले मुस्कुराहट दी। मैं सोच में पड़ गई कि मोबाइल और इसका बिल!! इसके पिता की तो बहुत ही मामूली नौकरी है और इसके हाथ में भी कोई कौशल नहीं है कि कमा ले। जो ममता दे रही है, वही बहुत है और टांग का ऑपरेशन!! दो तीन दिन बाद मैं दुकान पर आई तो लवली बिना शेव बनाए, मजनू सा बना दुकानदारी कर रहा था। टेप पर दिल टूटे, मनहूस से गाने बज रहे थे। उनकी धुन के अनुसार कारीगरों के भी धीरे धीरे हाथ चल रहे थे यानि वातावरण ग़मगीन था। सलोनी के समोसे खरीदने आने का समय भी हो गया था। वह पार्लर से तो खिलखिलाती निकली, स्कूटर पर बैठने तक बेहद गंभीर हो गई और उसी समय अगला गाना बजा, ’’वो दिल कहां से लाऊँ तेरी याद जो भूला दे, मुझे याद आने वाले कोई रास्ता बता दे’’सलोनी समोसे लेने के बाद जैसे ही मुड़ी उसकी मुस्कान नहीं रुक रही थी। सामने से चाचा, आंटी और उनके साथ एक पति पत्नी और थे। आते ही बोले,’’ ओ टेप बंद कर, बात करने दे।’’ उन्होंने अंदर बाहर दुकान देखी और चारो हमारी शॉप के आगे ही बैठ कर बतियाने लगे। उन्होंने पूछा,’’और जी आपकी कोई डिमाण्ड तो नहीं है।’’अब चाचा तो घोषणा करते हुए बोलते हैं, वैसे ही बोले,’’पंजाबी कभी औलाद की कसम नहीं खाता और न ही बेटे की शादी में डिमाण्ड करता है। पाकिस्तान से खाली हाथ आए थे। बच्चे पाल लिए और अपना ठिया बना लिया, घर किराए का है वो भी अपना हो जायेगा। और शादी लवली को लड़की दिखा कर उसकी पसंद से होगी। लवली अभी बाइस साल का है और हम चाहते हैं कि अपना मकान बना लें तब इसकी शादी करें। आप आये हो आपकी बड़ी मेहरबानी उन्हें अच्छी तरह नाश्ता करवा कर भेजा। पर लवली अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था। पता नहीं उसने यह वार्तालाप सुना या नहीं। वह चला गया। अगले दिन मैं शॉप पर गई तो लवली के समय सोनू बैठा हुआ था लेकिन लवली का स्कूटर वहीं खड़ा था। समोसे लेने भी सलोनी नहीं आई, अलका आई। बड़ा अजीब लगा, उसे देखने की आदत जो हो गई थी। अलका जैसे और समोसे की खरीदार लड़कियां आतीं हैं। वैसे ही खड़ी रही। समोसे मिलते ही चली गई। जब घर लौटने लगी तो ममता मेरे पास बड़ी खुशी से चहकती हुई आई और आते ही बोली,’’तुम्हें पता है आज सलोनी का डॉक्टर से एपांमैंट है। देखो वो क्या कहता है? भगवान बस इसकी टांग ठीक करदे। जो करवा रहा है न, उसने इसको ले जाने के लिए टैक्सी भेजी। मैंने पूछा,’’किसने भेजी? कौन करवा रहा है?’’ उसने बताया कि सुबह से इस बारे में कोई बात नहीं हुई थी। जब टैक्सी आई तो जाते हुए बताया कि टांग के इलाज के लिए जा रही हूँ। क्रमशः
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4 comments:
Bahut shandar Mam!
Very very Nice Massi ji
हार्दिक धन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद
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